नौ वर्ष पहले मैंने लिखा था कि इलेक्ट्रॉनिक मुद्राएं जल्दी ही सरकार और मौद्रिक प्राधिकार के लिए चिंता का विषय होंगी। मैंने पूछा था कि कर प्रशासन बिटकॉइन लेनदेन का पता कैसे लगाएगा? क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल करने वाली छिपी पूंजी का इस्तेमाल रोकने के लिए विदेशी एक्सचेंजों तथा अन्य नियमन में किस प्रकार बदलाव करने होंगे? क्या बिटकॉइन से करवंचना आसान हो जाएगी और सरकार की राजकोषीय नीतियां प्रभावित होंगी? बाद के वर्षों में क्रिप्टो परिसंपत्तियों ने स्वयं को हमारे वित्तीय माहौल के साथ समायोजित किया लेकिन बतौर मुद्रा अपनी संभावनाओं के साथ नहीं। संभवत: बदलाव का अहम क्षण तब आया जब चीन ने 2017 में पूंजी के बहिर्गमन के बाद स्थानीय क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों के खिलाफ सफलतापूर्वक कार्रवाई की। 2016 में 725 अरब डॉलर की राशि चीन से बाहर गई और नियामकों ने ध्यान दिया कि क्रिप्टोकरेंसी की व्यापक उपलब्धता पूंजी नियंत्रण के प्रयास बाधित करेगी। जिन देशों में क्रिप्टोकरेंसी को वैध माना जाता है वहां भी वास्तव में वे मुद्रा नहीं हैं। आप उनके जरिये खरीद बिक्री नहीं कर सकते। क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट और नियमित वित्तीय व्यवस्था को जोडऩे के उपाय प्रभावी नहीं रहे। अमेरिका में बड़े एक्सचेंजों पर आपकी क्रिप्टो परिसंपत्ति से डेबिट कार्ड जुड़ सकते हैं लेकिन उनसे लेनदेन में विफलता ज्यादा हाथ लगती है और उन पर शुल्क भी अधिक लगता है। बिटकॉइन में लेनदेन दरअसल 2017 से कम हो रहा है।
मुद्रा के तीन इस्तेमाल हैं: विनिमय का माध्यम, मूल्य संधारण और लेखा इकाई। क्रिप्टोकरेंसी विनिमय के माध्यम के रूप में उपयोगी नहीं हैं लेकिन लेखा इकाई के रूप में तो उनकी स्थिति और खराब है। उनके मूल्य में बहुत तेज उतार-चढ़ाव होता है। मूल्य संधारण के कारण ही क्रिप्टोकरेंसी का अस्तित्व अब तक बना हुआ है। उदाहरण के लिए गोल्डमैन सैक्स ने जनवरी में कहा था कि बिटकॉइन अब मूल्य के मामले में सोने से होड़ कर रही है और मूल्य के मामले में 20 फीसदी बाजार पर उसका कब्जा है। परंतु अस्थिरता की समस्या बरकरार है। सर्वाधिक स्थिर क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन भी सोने की कीमत की तुलना में पांच गुना अस्थिर है। जेपी मॉर्गन के विश्लेषक मानते हैं कि यदि बिटकॉइन भी सोने के समान अस्थिर होती तो एक बिटकॉइन की कीमत डॉलर की तुलना में उसके मौजूदा मूल्य का साढ़े तीन गुना होती।
हालांकि तब से अब तक हम लंबा सफर तय कर चुके हैं। जेपी मॉर्गन निजी बैंकिंग के निवेश नीति के चेयरमैन माइकल सेंबालेस्ट ने इस माह एक रिपोर्ट जारी की जिसने मूल्य संधारण की दलील में कई खामियां उजागर कीं। पहली बात तो यह कि हमारे पास बॉन्ड, जिंस, इक्विटी या अचल संपत्ति की तरह क्रिप्टोकरेंसी के लिए कोई मूल्य निर्धारण मॉडल तक नहीं है। अभी तक क्रिप्टो से जुड़ी हर बात विशुद्ध अटकलबाजी है और उनकी कीमतों के पीछे कोई ठोस तर्क नहीं है। आश्चर्य नहीं कि क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े अहम नियामकीय प्रश्न सामने हैं। पहला, व्यापक वित्तीय बाजारों को ऐसी सटोरिया गतिविधियों से जुड़े जोखिम से कैसे बचाया जाएगा, दूसरा, खुदरा उपभोक्ताओं को पूरी तरह सटोरिया गतिविधि पर आधारित बाजार से कैसे बचाया जाएगा और तीसरा, ऐसी गतिविधियों से कुछ लोगों को होने वाले लाभ से कैसे निपटा जाएगा? हमें भारत में हालिया घटनाक्रम को वैश्विक संदर्भों में देखना होगा। उदाहरण के लिए क्रिप्टो से जुड़े विज्ञापनों को लेकर चिंता जाहिर की है। एक वर्ष से ये विज्ञापन देश में छाये हुए हैं। सिंगापुर और स्पेन तक ऐसे विज्ञापनों के नियमन पर विचार कर रहे हैं ताकि धोखाधड़ी और खुदरा निवेशकों का जोखिम कम किया जा सके।
इसके बाद वृहद स्थिरता का मसला है। गत अक्टूबर में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की वैश्विक वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में चेतावनी दी गई थी कि क्रिप्टोकरेंसी की व्यापक और तेज स्वीकार्यता से अर्थव्यवस्थाओं को तब दिक्कत शुरू हो सकती है जब नागरिक स्थानीय मुद्रा के बजाय क्रिप्टो परिसंपत्तियों का इस्तेमाल शुरू कर देंगे। इससे वित्तीय स्थिरता को भी जोखिम पैदा हो सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक ने भले इन दिक्कतों के बारे में न सोचा हो लेकिन अन्य उभरते देशों के बैंक ऐसा कर रहे हैं।
अंत में, करों का प्रश्न आता है। हालिया बजट में आभासी डिजिटल परिसंपत्तियों को पूंजीगत लाभ मानते हुए कर लगाने की बात कही गई है। इसमें क्रिप्टोकरेंसी से अर्जित आय शामिल है। सिलिकन वैली के कई प्रमुख लोगों समेत विभिन्न जानकारों ने कहा कि ऐसा करके भारत बिटकॉइन को वैधानिक बना रहा है। अन्य लोगों ने कहा कि यह क्रिप्टो व्यवस्था के लिए एक जीत है। ऐसा कुछ नहीं है। अधिकांश जगहों पर अभी भी अवैध उपक्रमों से अर्जित आय पर कर लगता है। अमेरिकी आंतरिक राजस्व सेवा का पब्लिकेशन 17 करदाताओं को याद दिलाता है कि अगर वे कोई संपत्ति चुराते हैं तो भी उन्हें चोरी के वर्ष की आय में उसका उचित बाजार मूल्य दर्शाना होगा। यह भी लिखा गया है कि अवैध मादक पदार्थों की सौदेबाजी से हुई आय आदि को भी दर्शाना होगा। आंतरिक राजस्व सेवा करदाताओं को ऐसी आय घोषित करने को कहकर इन गतिविधियों को वैधानिक नहीं बनाता। प्रधानमंत्री ने हाल ही में विश्व आर्थिक मंच को संबोधित करते हुए कहा था कि क्रिप्टो नियमन का वैश्विक हल निकालना होगा। संभवत: यह सही उत्तर है, खासकर वैश्विक वित्तीय स्थिरता, कर आधार को नुकसान तथा पूंजी के बहिर्गमन पर इसके असर को देखते हुए। यह कहना मुश्किल है कि दुनिया के नेता इस विषय को कब और कैसे हल करेंगे। इस बीच क्रिप्टो तंत्र को अपने पक्ष में दलील देनी होगी। ब्लॉकचेन आधारित तकनीक बिना क्रिप्टो के सार्वजनिक कारोबार के आगे बढ़ सकती है। ऐसे में क्रिप्टो की आगे बढऩे की दलील क्या है? यह किफायत, वृद्धि या वित्तीय समावेशन को कैसे आगे बढ़ाएगा? ऐसा इसलिए कि इस प्रश्न के बहुत कम आश्वस्त करने वाले उत्तर हैं और यही कारण है कि क्रिप्टो को घोटाला और सटोरिया कारोबार मानने वाले आज तर्क के क्षेत्र में जीत रहे हैं।
