चीन के राष्ट्रपति ने 20वीं पार्टी कांग्रेस के समक्ष जो संबोधन दिया है उससे यह स्पष्ट हो गया है कि चीन खतरनाक अंतरराष्ट्रीय माहौल में भी अपनी आक्रामक बाहरी नीतियां जारी रखेगा। बता रहे हैं श्याम सरन
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) की 20वीं कांग्रेस पेइचिंग में आयोजित हो रही है। पहले दिन 16 अक्टूबर को चीन के राष्ट्रपति और पार्टी महासचिव शी चिनफिंग ने प्रारंभिक सत्र को संबोधित किया और उसमें उन्होंने बीते दशक में राजनीतिक, वैचारिक, सामाजिक,
आर्थिक और तकनीकी क्षेत्र में चीन की प्रगति के बारे में विस्तार से बात की और आगे के एजेंडे को लेकर बात की। कांग्रेस का विस्तृत विश्लेषण इसकी सप्ताह भर की चर्चा समाप्त होने के बाद होगा लेकिन व्यापक रुझान पहले ही स्पष्ट हैं। शी का इरादा नीति निर्माण को अधिक वैचारिक रुझान प्रदान करने का है और उनका जोर इस बात पर है कि पार्टी कार्यकर्ताओं और पूरे देश में मार्क्सवादी-लेनिनवादी तथा समाजवादी विचारों की पैठ बनाई जाए ताकि पार्टी का समाजवादी चरित्र बरकरार रहे।
उनका मानना है कि वैचारिक रूप से सशक्त पार्टी गिरावट और उभार के ऐतिहासिक चक्र से उबर सकती है। जब तक पार्टी अपनी पहचान को देश के साथ जोड़कर रखती है, तब तक चीन के भी इस चक्र से बचे रहने की गारंटी है। पार्टी राष्ट्रीय जीवन के हर क्षेत्र में नेतृत्व करेगी और तंग श्याओफिंग के सुधारों की तुलना में शी इसी मायने में अलग हैं। तंग पार्टी को निगरानी वाली भूमिका में ले गये थे जबकि शी उसे एक सक्रिय हिस्सेदार मानते हैं।
विचारधारा पर जोर दिए जाने को इस बात से भी समझा जा सकता है कि कार्यकर्ताओं और अन्य लोगों के चयन में राजनीतिक प्रतिबद्धता को प्रमुख अर्हता माना जाएगा। सरकारी कंपनियों की भूमिका पर नए सिरे से जोर दिया जाना भी इसी ओर संकेत करता है। इससे पहले चीन के वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए शी ने कहा था कि तकनीकी नवाचार अब अंतरराष्ट्रीय सामरिक क्षेत्र में युद्ध का प्रमुख मैदान बन गया है।
शी के भाषण में तकनीक की महत्ता को लेकर यह जागरूकता साफ नजर आती है। उन्होंने न केवल तकनीकी नवाचार को प्राथमिकता देने की बात को रेखांकित किया बल्कि यह भी बताया कि उच्च तकनीक वाले क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने का क्या मतलब है।
चीन शोध एवं विकास पर होने वाले वैश्विक व्यय में दूसरा स्थान रखता है और उसने कृत्रिम बुद्धिमता, क्वांटम कंप्यूटिंग, एरोरोस्पेस और जैव-विज्ञान आदि में भारी निवेश किया है। अमेरिका द्वारा सेमीकंडक्टर क्षेत्र में चीन की पहुंच करने के प्रयासों का उल्लेख नहीं किया गया लेकिन शी ने यह स्पष्ट कर दिया कि आने वाले वर्षों में चीन इस क्षेत्र में खुद पर ही भरोसा करेगा। हमें इन क्षेत्रों में व्यापक निवेश की अपेक्षा करनी चाहिए।
आर्थिक नीति के मोर्चे पर शी ने दोहरे वितरण की नीति को लेकर प्रतिबद्धता दोहराई। इसके तहत घरेलू अर्थव्यवस्था को प्राथमिकता दी जाती है तथा बाहरी व्यापार और निवेश की पूरक भूमिका होती है। निजी क्षेत्र के योगदान को चिह्नित किया गया है लेकिन इसे पार्टी और प्राथमिकताओं के आधार नियंत्रित रखा गया है।
संपत्ति और आय की असमानता चिंता का विषय बनी हुई है और यह बात उस प्रतिबद्धता में नजर आती है जिसमें कहा गया है कि न केवल एक बड़ा मध्य वर्ग बनाने की आवश्यकता है बल्कि लोगों की सामाजिक और स्वास्थ्य सेवाओं का दायरा भी बढ़ाने की बात कही गई। शी अक्सर इसी साझा समृद्धि की बात करते हैं।
उन्होंने खुलेपन और सुधार को लेकर चीन के अनुपालन की बात भी दोहराई लेकिन आत्म निर्भरता की ओर किए गए रुख ने इसे नुकसान पहुंचाया है। जोखिम भरे और अनिश्चित अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक और आर्थिक माहौल में आत्मनिर्भरता की राह अपनाई गई है।
शी की शून्य कोविड नीति पर विशेष जोर दिया गया है। ऐसे में संभव है कि आर्थिक मोर्चे पर दिक्कतें बनी रहेंगी। चीन ने इस वर्ष 5.5 फीसदी की वृद्धि दर का लक्ष्य रखा है लेकिन लगता नहीं कि वह तीन फीसदी से अधिक की वृद्धि दर हासिल कर पाएगा। यह बात बाहरी व्यापार और निवेश को प्रभावित कर रही है। चीन में काम कर रहे कई विदेशी वहां से चले गए हैं या उनकी ऐसी योजना है। वहीं विदेशी निवेशक भी अपनी निवेश योजनाओं को लंबित किए हुए हैं।
उन्होंने अन्य देशों से रिश्तों पर कोई टिप्पणी नहीं की। खासतौर पर यूक्रेन युद्ध के संबंध में। बहरहाल, राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर चिंता पूरे भाषण में नजर आई। इस दौरान कई संदर्भ तो भविष्य के लिए जोखिम भरे पूर्वानुमान दर्शाते हैं। शी ने चेतावनी दी कि चीन को रोकने और दबाने के बाहरी प्रयास किसी भी समय जोर पकड़ सकते हैं और यह भी एक वजह है कि पार्टी के नेतृत्व में चीन की सेना को मजबूत और तकनीक सक्षम होना होगा।
यह सामरिक प्रतिरोधक का काम करेगा। ताइवान का मामला भी उनके भाषण में प्रमुखता से आया और हमेशा की तरह इस बात से इनकार नहीं किया गया कि उसे चीन में मिलाने के लिए बल प्रयोग किया जा सकता है। हालांकि कहा गया कि ऐसा विदेशी हस्तक्षेप के अवसर पर ही किया जाएगा। अमेरिकी सदन की प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद वहां हलचल बढ़ी है।
विदेश नीति की बात करें तो शी ने विभिन्न देशों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया। बड़े देश, पड़ोसी देश और अन्य विकासशील देश। साझा लाभ को ध्यान में रखते हुए इनमें से हर श्रेणी के साथ काम करने की इच्छा जताई गई। चीन अमेरिका संबंधों को लेकर कुछ विशिष्ट नहीं कहा गया।
उन्होंने अपने एक दशक के शासन की कामयाबी का जिक्र करते हुए कहा कि उस दौर में अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में बदलाव आया, खासतौर पर चीन को ब्लैकमेल करने, उसकी राह रोकने और दबाव बनाने की कोशिशों के बीच चीन ने अपने राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखा और आंतरिक राजनीतिक चिंताओं पर ध्यान देते हुए सामरिक रुख को मजबूत रखा गया। उन्होंने कहा कि चीन ने लड़ाकू क्षमता दिखाई है और किसी के सामने न झुकने को लेकर तगड़ी प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया है और इस दौरान चीन के बुनियादी हितों और उसके मान-सम्मान का पूरा ध्यान रखा गया है।
ऐसे में आने वाले दिनों में हमें चीन की ओर से आक्रामक बाहरी नीतियां देखने को मिलती रहेंगी। हालांकि अधिक चुनौतीपूर्ण, जोखिम भरे और अविश्वसनीय अंतरराष्ट्रीय माहौल को लेकर जागरूकता इसे थोड़ा संतुलित करेगी। शी चिनफिंग इतिहास के मौजूदा चरण को एक अवसर के रूप में देखते हैं और उन्हें यकीन है कि चीन श्रेष्ठता की दिशा में बढ़ता रहेगा।
(लेखक पूर्व विदेश सचिव और सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के सीनियर फेलो हैं)