वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज बैंकरों से कहा कि वह ग्राहकों को पहले विकल्प के रूप में सिर्फ रुपे कार्ड जारी करें और इस साल दिसंबर तक सभी खातों को आधार कार्ड और जरूरी होने पर पैन कार्ड से जोड़ें।
इंडियन बैंक एसोसिएशन (आईबीए) की 73वीं सालाना आम बैठक को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘रुपे कार्ड आपके द्वारा प्रचारित एकमात्र कार्ड होना चाहिए। जिस किसी को कार्ड की जरूरत हो, रुपे एकमात्र कार्ड होगा, जिसे आप प्रोत्साहित करें। मुझे नहीं लगता कि जब रुपये कार्ड वैश्विक बन रहा है, ऐसी स्थिति में रुपे को प्राथमिकता न देकर किसी और कार्ड को बढ़ावा दिया जाए।’ उन्होंने कहा, ‘सीतारमण यह सुनिश्चित करें कि एनपीसीआई (नैशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन आफ इंडिया) ब्रांड इंडिया उत्पाद बन सके। जब कोई कार्ड जारी किया जाए तो निश्चित रूप से पहले आप रुपे (एनपीआई का) कार्ड जारी करें।’
उन्होंने कहा, ‘भारत के बैंकों ने शानदार काम किया है, लेकिन वित्तीय समावेशन का काम पूरा नहीं हुआ है। 31 दिसंबर के बाद मैं अब यह सुनना नहीं चाहती कि अभी भी ऐसे खाते हैं, जो आधार से नहीं जुड़े हैं या जरूरत के मुताबिक पैन से नहीं जुड़े हैं। व्यवस्था में कोई यूनिवर्सीफाइड अकाउंट नहीं होना चाहिए।’ हालांक िउन्होंने कुछ क्षण बाद ही साप किया कि अंतिम दिथि अधिकतम अगले साल मार्च तक बढ़ाई जा सकती है।
सुरक्षा और दोहराव को रोकने के लिए तकनीक का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। सीतारमण ने कहा, ‘यह पूरी तरह सुरक्षित व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे कि आप बेहतर प्रबंधित बैंक हों।’
वित्त मंत्री ने बैंकरों से कहा कि उन्हें गैर डिजिटल भुगतान को हतोत्साहित करना चाहिए और यूपीआई (यूनाइटेड पेमेंट्स इंटरफेस) बैंक में आम इस्तेमाल में आना चाहिए। उन्होंने कहा कि हर आर्थिक पृष्ठभूमि के हर ग्राहक को बैंक की हर सेवा का डिजिटल इस्तेमाल करने में सक्षम होना चाहिए और हर पृष्ठभूमिक के ग्राहकों के लिए टेलर मेट सर्विसेज होनी चाहिए।
वित्त मंत्री ने कहा कि भारत के बैंकों को अपने सेवानिवृत्त कर्मचारियों को उसी तरह से देखना चाहिए, जैसा रक्षा क्षेत्र में होता है। वित्त मंत्री ने कहा, ‘पूर्व रक्षा मंत्री होने के नाते मैं भारतीय बैंकों को सलाह देना चाहूंगी कि उन्हें अपने कर्मचारियों के साथ उसी तरह व्यवहार करना चाहिए, जैसा रक्षा क्षेत्र करता है। वहां हर किसी को एक परिवार के रूप में देखा जाता है, चाहे वह सेवा में हो या सेवानिवृत्त। मैं चाहती हूं कि यही संस्कृति भारत की बैंकिंग व्यवस्था में हो और सेवानिवृत्त कर्मचारियों का बेहतर तरीके से खयाल रखा जाए।’ हालांकि यह उत्साहजनक बयान है, लेकिन उन्होंने इसका कोई विस्तृत ब्योरा नहीं दिया कि आने वाले दिनों में क्या पेशकश होने वाली है।
वित्त मंत्री ने कहा, ‘ऊपर से नीचे तक हर एक कर्मचारी को महसूस होना चाहिए कि वे आपके परिवार के सदस्य हैं और सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें भुलाया नहीं जाना चाहिए।’ वित्त मंत्री ने महमारी के दौर में बगैर थके देशवासियों की सेवा करने से लेकर अर्थव्यवस्था को तेजी से पटरी पर लाने में सहयोग देने, विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को तेजी से लागू करने के लिए अधिकारियोंं से लेकर बिजनेस करेस्पॉन्डेंट तक सभी कर्मचारियों के प्रति आभार व्यक्त किया।
सीतारमण ने कहा, ‘मैं भारत सरकार की ओर से शीर्ष से लेकर निचले स्तर पर काम करने वाले आप सभी कर्मचारियों के प्रति आभार व्यक्त करती हूं। आप लोगों ने हर रोज अपनी जान जोखिम में डालकर ग्राहकों व देश को सेवाएं प्रदान की है। आपके इस योगदान को अगले 100 साल तक याद किया जाएगा।’ बहरहाल भारत के बैंकरों को अपने पेशेवर अंदात मेंं सुधार करने और बैंकों का एकीकरण स्वाभाविक तरीके से करने की जरूरत है, जिससे देश में बड़े बैंक बन सकें और भारत की आशाओं के अनुरूप काम कर सकें। वित्त मंत्री ने कहा, ‘मैं भारत में 8 भारतीय स्टेट बैंक चाहती हूं। हर बैंक पेशेवर हो और कोरोना के बाद की बदली दुनिया में, आप पहले जैसे न बने रहें, खासकर एकीकरण के बाद।’
