अमेरिका के 44वें राष्ट्रपति बराक ओबामा को व्हाइट हाउस तक पहुंचाने में बेहद अहम किरदार निभाया इंटरनेट और सोशल नेटवर्किंग साइट्स ने।
ओबामा के प्रतिद्वंद्वी मैकेन ने 2000 में जॉर्ज डब्ल्यू बुश के खिलाफ अपने अभियान में इसका शुरुआती तौर पर इस्तेमाल किया था, लेकिन ओबामा ने इसे पूरी तरह डिजिटल बना डाला। उनके प्रचार में डिजिटल जादू का पूरा इहस्तेमाल किया गया।
मीडिया से जुड़े हुए युवा ओबामा को इस बात का अहसास था कि युवाओं और दूसरे लोगों को अपने पाले में लाने के लिए सोशल नेटवर्किंग साइट्स का इस्तेमाल कितना अहम है। उन्होंने इसका फायदा उठाया और अब नतीजा सबके सामने है।
बराकओबामाडॉटकॉम पर 280,000 से भी ज्यादा लोग एकाउंट खोल चुके हैं। उनमें से 6,500 स्वयंसेवी संगठन बने, जिन्होंने साइट का ही इस्तेमाल कर 13,000 कार्यक्रम आयोजित कराए। इस वेबसाइट पर ओबामा को नीतियों के बारे में 15,000 से ज्यादा सलाहें दी जा चुकी हैं।
राष्ट्रपति के आईटी से इस कदर जुड़ाव की बात अमेरिकियों के लिए बिल्कुल नई थी। इसी वजह से जब उन्होंने ब्लॉगिंग साइट टि्वटर के जरिये ऐलान किया कि उप राष्ट्रपति पद के लिए अपने साथी उम्मीदवार को चुनते ही वह एसएमएस के जरिये समर्थकों को बताएंगे, तो उनसे संपर्क करने वालों की तादाद बढ़ गई।
शिकागो में पढ़ रही भारतीय श्रुति आडवाणी भी उनमें शामिल थीं। बकौल उनके हर कोई ओबामा की ही बात कर रहा था और उनकी नीतियों की चर्चा हो रही थी। इसलिए श्रुति भी उसी खेमे में शामिल हो गईं।
ओबामा के प्रशंसक एथन कहते हैं, ‘ओबामा यूटयूब का इस्तेमाल करने वाले पहले राजनेता हैं। दरअसल वह जानते हैं कि इंटरनेट पर आपका कोई जोर नहीं चलता। मैंने ओबामा को इतिहास रचते हुए ऑनलाइन देखा है। आज आप टेक्स्ट संदेश भेज सकते हैं, अपना ब्लॉग शुरू कर सकते हैं, ई-निमंत्रण भी भेज सकते हैं और ओबामा के प्रचार के दौरान इन सबका इस्तेमाल किया गया।’
तकनीक के प्रति ओबामा का प्यार इस बात से भी झलकता है कि उन्होंने अमेरिका के पहले मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी की नियुक्ति का प्रस्ताव रखा है। वह चाहते हैं कि अमेरिकी सरकार और उसकी सभी एजेंसियों को इससे 21वीं सदी के लिए जरूरी बुनियादी ढांचा खड़ा करने में मदद मिलेगी। इससे पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा और ई-प्रशासन को ज्यादा प्रभावी तरीके से लागू किया जा सकेगा।