आज के दौर में क्रेडिट कार्ड, पर्सनल लोन और “अभी खरीदें, बाद में भुगतान करें” जैसे प्लान्स ने लोन लेना बेहद आसान बना दिया है। लेकिन इसी आसानी के चलते लोग अक्सर अपनी जरूरतों और इच्छाओं के बीच फर्क नहीं कर पाते। नतीजतन वे कर्ज के जाल में फंस जाते हैं और फिर उनकी हंसती खेलती जिंदगी मुसीबतों से घिर जाती है। इसलिए समय रहते हुए इस जाल से बचना बेहद जरूरी है। आइए, इसे समझते हैं और जानते हैं इससे बचने के तरीके।
मान लीजिए, राहुल ने एक नया फोन खरीदने के लिए 50,000 रुपये का लोन लिया। उसने सोचा कि हर महीने थोड़ी-थोड़ी किश्त भरकर इसे चुका देगा। लेकिन इसी बीच, उसे अचानक मेडिकल इमरजेंसी के लिए 20,000 रुपये का और कर्ज लेना पड़ा। अब उसके पास दो लोन हो गए। पहले किश्तें चुकाने में देरी हुई और ब्याज बढ़ने लगा। इससे उबरने के लिए उसने क्रेडिट कार्ड से पैसा निकाला, लेकिन यहां ब्याज दर और ज्यादा थी। जिसके चलते उसका बजट गड़बड़ा गया। धीरे-धीरे कर्ज का बोझ इतना बढ़ गया कि राहुल की सारी सैलरी सिर्फ लोन चुकाने में ही खत्म होने लगी।
यही है कर्ज का जाल। यह तब बनता है, जब आपकी आमदनी और खर्चों के बीच बैलैंस बिगड़ जाता है। जरूरत से ज्यादा खर्च, बजट न बनाना और अचानक आने वाले खर्च, जैसे मेडिकल इमरजेंसी या नौकरी छूटना, इस जाल के मुख्य कारण होते हैं।
1. अपनी जरूरतों और इच्छाओं में फर्क समझें
उदाहरण के तौर पर, मान लीजिए कि आप एक नया टीवी खरीदना चाहते हैं। अगर आपका पुराना टीवी काम कर रहा है, तो नया टीवी खरीदना सिर्फ एक शौक है। इसे खरीदने के लिए लोन लेना सही नहीं है। पहले थोड़ा-थोड़ा बचत करें और फिर इसे खरीदें।
2. बजट बनाएं और उसी के हिसाब से चलें
सोचिए, आपकी सैलरी 50,000 रुपये है। आप हर महीने 10,000 रुपये बचत के लिए रख सकते हैं, 30,000 रुपये जरूरी खर्चों के लिए और 10,000 रुपये अन्य खर्चों के लिए लगाएं। अगर आप इस तरह बजट बनाते हैं और उस पर टिके रहते हैं, तो कर्ज की जरूरत कम होगी।
3. आपातकालीन फंड तैयार करें
मनीषा एक प्राइवेट कंपनी में काम करती हैं। उन्होंने 6 महीने की सैलरी के बराबर, यानी 3 लाख रुपये का इमरजेंसी फंड तैयार कर रखा है। जब उनकी नौकरी अचानक छूट गई, तो उन्हें लोन लेने की जरूरत नहीं पड़ी। इमरजेंसी फंड ने उनको मुश्किल समय में सहारा दिया।
4. बीमा लेना न भूलें
रोहित ने हेल्थ इंश्योरेंस नहीं लिया था। जब उसके पिता को अचानक अस्पताल में भर्ती करना पड़ा, तो उसे 1 लाख रुपये का मेडिकल बिल भरने के लिए पर्सनल लोन लेना पड़ा। अगर उसने समय पर बीमा लिया होता, तो उसे इस स्थिति का सामना नहीं करना पड़ता। इसलिए हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस समय रहते लेना जरूरी है।
5. कर्ज को कंसोलिडेट करें
नीलम के पास तीन लोन थे – एक पर्सनल लोन, एक क्रेडिट कार्ड का बकाया और एक गाड़ी का लोन। इन सबका ब्याज अलग-अलग था और किश्तें चुकाना मुश्किल हो रहा था। उसने एक कम ब्याज दर वाला बड़ा लोन लेकर सारे छोटे लोन चुका दिए। इससे उसकी मासिक किश्त कम हो गई और कर्ज चुकाने में आसानी हुई।
लैडर7 वेल्थ प्लानर्स के मैनेजिंग डायरेक्टर और प्रिंसिपल ऑफिसर सुरेश सदगोपन कहते हैं कि लोग अक्सर कर्ज लेकर ऐसी चीजें खरीदते हैं, जो उनके लिए गैर-जरूरी होती हैं। उनका कहना है कि अगर आप थोड़ी बचत करके अपनी इच्छाएं पूरी करें, तो न सिर्फ कर्ज से बच सकते हैं, बल्कि अपनी पसंदीदा चीजों का सही आनंद भी ले सकते हैं।
कुल मिलाकर, कर्ज लेना गलत नहीं है, लेकिन इसे सही तरीके से संभालना बेहद जरूरी है। खर्चों पर नियंत्रण रखें, बचत की आदत डालें और वित्तीय योजना बनाएं। याद रखें, आपकी आर्थिक सेहत आपके फैसलों पर निर्भर करती है। सही प्लानिंग और समझदारी से आप न सिर्फ कर्ज के जाल से बच सकते हैं, बल्कि आर्थिक रूप से मजबूत और तनावमुक्त जिंदगी जी सकते हैं।