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जब भी दान करें, टैक्स छूट के लिए फॉर्म 10BE मांग लें; धारा 80G के दावों की पुष्टि के लिए एक और काम बहुत जरूरी

दान प्राप्त करने वाली संस्था को फॉर्म 10बीडी के जरिये दानकर्ता का विवरण देना ही पड़ता है। साथ ही उसे दानकर्ता को दान प्रमाणपत्र (फॉर्म 10बीई) भी जारी करना पड़ता है।

Last Updated- May 27, 2024 | 6:24 AM IST
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Donation tax exemption India: अगर आपने ऐसे किसी ट्रस्ट या संस्था को दान दिया है, जो आयकर अधिनियम की धारा 80जी के तहत कर छूट का लाभ दिलाते हैं तो आपको उनसे फॉर्म 10बीई जरूर ले लेना चाहिए। पहले दानकर्ताओं को बतौर सबूत उस संस्था से मिली दान रसीद ही पेश करनी पड़ती थी। मगर वित्त वर्ष 2022-23 से नियम बदल गए हैं और अब दानकर्ता को संस्था से फॉर्म 10बीई लेना ही पड़ता है और यह फॉर्म 31 मई से पहले पेश भी करना पड़ता है।

क्यों पड़ी जरूरत?

धारा 80जी में संशोधन इसलिए किया गया था ताकि मंजूरी प्राप्त संगठनों को फॉर्म 10बीडी आयकर विभाग के पास जमा करना पड़े। सिरिल अमरचंद मंगलदास में पार्टनर एसआर पटनायक बताते हैं, ‘आयकर अधिनियम की धारा 80जी के तहत मंजूरी पाने वाले धर्मार्थ संगठनों को मिले दान का मिलान आयकर रिटर्न में दान देने का दावा करने वालों की बताई कर कटौती की राशि से करना और उसका सत्यापन करना आसान काम नहीं होता। सत्यापन की इसी प्रक्रिया को सुचारु बनाने के लिए 2020 में धारा 80जी में संशोधन किया गया। इससे करदाताओं के कर छूट के फर्जी दावों का खतरा कम हो गया।’

सर्टिफिकेट जरूरी

जिन संस्थाओं के पास धारा 80जी का प्रमाणपत्र है, वे कर कानूनों के तहत दान प्राप्त करने की पात्र हैं। सिंघानिया ऐंड कंपनी में पार्टनर ऋतिका नय्यर समझाती हैं, ‘इससे वे दान स्वीकार कर पाती हैं और उन्हें दान देने वाले कर में छूट का दावा कर सकते हैं। आपको अपने रिकॉर्ड में रखने के लिए रसीद की एक प्रति मिल सकती है मगर कर लाभ का दावा करने के लिए यह जरूरी नहीं है।’

क्या है फॉर्म 10बीडी?

यह विवरण है, जिसमें किसी संस्था को मिले दान का पूरा ब्योरा दिया जाता है। इस फॉर्म में दान देने वाले, दान के प्रकार (नकद या अन्य) तथा दान दी गई राशि का पूरा ब्योरा इलेक्ट्रॉनिक रूप में होता है। संस्था को जिस वित्त वर्ष में दान मिला है, उसके अगले वित्त वर्ष की 31 मई तक उस संस्था को डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट या इलेक्ट्रॉनिक वेरिफिकेशन कोड का इस्तेमाल कर वह फॉर्म ऑनलाइन दाखिल करना होता है।

अंतरराष्ट्रीय कर वकील आदित्य रेड्डी बताते हैं कि किसी वित्त वर्ष के दौरान अगर दान में कुछ भी नहीं मिला है तो फॉर्म 10बीडी दाखिल करने की जरूरत नहीं होती। फॉर्म 10बीडी के जरिये सरकार और आयकर विभाग दान के दावों की सच्चाई जांच पाते हैं। इलेक्ट्रॉनिक तरीके से दाखिल होने के बाद यह फॉर्म दानकर्ता के फॉर्म 26एएस में दिखने लगता है।

क्या है फॉर्म 10बीई?

संशोधन के बाद दान प्राप्त करने वाली संस्था को फॉर्म 10बीडी के जरिये दानकर्ता का विवरण देना ही पड़ता है। साथ ही उसे दानकर्ता को दान प्रमाणपत्र (फॉर्म 10बीई) भी जारी करना पड़ता है।

अकॉर्ड ज्यूरिस एलएलपी में पार्टनर अलै रजवी समझाते हैं, ‘ये कटौतियां हासिल करने के लिए करदाता को धर्मार्थ संस्था से फॉर्म 10बीई के रूप में दान का प्रमाणपत्र लेना होता है। यही दान का सबूत होता है। किसी भी वित्त वर्ष में किए गए दान के लिए फॉर्म 10बीई जारी करने की आखिरी तारीख आम तौर पर अगले वित्त वर्ष की 31 मई होती है। इससे करदाता उस कर निर्धारण वर्ष के लिए आयकर रिटर्न में दान का ब्योरा शामिल कर पाते हैं।’

दान प्राप्त करने वाले संगठन को टैक्स पोर्टल से फॉर्म 10 बीई डाउनलोड करना चाहिए और प्रमाणपत्र दानकर्ता को दे देना चाहिए।

आप क्या करें?

दानकर्ता को अगर तय तारीख तक फॉर्म 10बीई नहीं मिलता है तो उसे फौरन दान लेने वाली संस्था से संपर्क करना चाहिए। पटनायक की सलाह है, ‘दानकर्ता पक्का कर लें कि आयकर अधिनियम की धारा 80जी के तहत वे दान की जितनी राशि के बदले छूट मांग रहे हैं, उतनी ही राशि धर्मार्थ संस्था से मिले फॉर्म 10बीई में लिखी हुई है।’

उनका कहना है कि इस मामले में गंभीरता जरूरी है क्योंकि करदाता द्वारा रिटर्न में किए गए दावे और फॉर्म 10बीई में लिखी गई राशि में फर्क मिला तो कर विभाग जांच शुरू कर सकता है। इसीलिए दानकर्ता को आयकर रिटर्न में दावा की गई दान राशि को सही साबित करने के लिए पर्याप्त कागजात और सबूत भी अपने पास रखने चाहिए।

फॉर्म 10बीई में दी गई जानकारी को अनुसूची 80जी में बताई गई जगहों पर ठीक से भरें। इसमें संस्था का नाम, पंजीयन क्रमांक और दान दी गई राशि भरनी होती है। ऋतिका कहती हैं, ‘इसके अलावा अपने रिकॉर्ड और दस्तावेज के लिए दान रसीदों की प्रतियां संभालकर रख लें। साथ ही आपने जिस साल में दान के बदले कर छूट का दावा किया है, उसके बाद कम से कम चार साल के बैंक स्टेटमेंट भी आपके पास होने चाहिए।’

First Published - May 26, 2024 | 9:28 PM IST

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