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क्या है EB-1 visa, जिसे ‘आइंस्टीन ग्रीन कार्ड’ कहा जाता है? जानिए कौन कर सकता है अप्लाई

डेमोक्रेटिक सांसद जैस्मिन क्रॉकेट ने हाल ही में हाउस ज्यूडिशियरी कमेटी की बैठक के दौरान इस मुद्दे को उठाया।

Last Updated- July 03, 2025 | 7:33 AM IST
Donald Trump and Melania Trump.
Donald Trump and Melania Trump

अमेरिका में एक बार फिर ‘आइंस्टीन वीज़ा’ (Einstein green card) यानी EB-1 वीज़ा को लेकर सियासी और सार्वजनिक बहस छिड़ गई है। इस बार फर्स्ट लेडी मेलानिया ट्रंप को लेकर सवाल उठे हैं कि आखिर उन्होंने यह प्रतिष्ठित वीज़ा कैसे हासिल किया।

डेमोक्रेटिक सांसद जैस्मिन क्रॉकेट ने हाल ही में हाउस ज्यूडिशियरी कमेटी की बैठक के दौरान इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा कि जब मेलानिया ट्रंप ने EB-1 वीज़ा के लिए अप्लाई किया था, तब वह स्लोवेनिया की एक मॉडल थीं। ऐसे में यह सवाल उठना लाज़मी है कि क्या वे उस मानदंड पर खरी उतरती थीं, जो इस वीज़ा के लिए तय किया गया है।

क्रॉकेट ने तंज भरे लहजे में कहा, “फर्स्ट लेडी एक मॉडल थीं। और जब मैं मॉडल कहती हूं, तो मेरा मतलब टायरा बैंक्स, सिंडी क्रॉफर्ड या नाओमी कैम्पबेल जैसे टॉप लेवल मॉडल्स से नहीं है। इसके बावजूद उन्हें EB-1 वीज़ा मिल गया।”

उन्होंने यह भी जोड़ा कि, “आइंस्टीन वीज़ा उन्हीं को मिलता है जिन्होंने किसी बड़े क्षेत्र में जबरदस्त उपलब्धि हासिल की हो—जैसे नोबेल शांति पुरस्कार, पुलित्जर पुरस्कार, ओलंपिक पदक, या विज्ञान, कला, शिक्षा, बिज़नेस या खेलों में लगातार और उल्लेखनीय सफलता। लेकिन जहां तक मुझे याद है, मेलानिया ट्रंप के पास इनमें से कुछ भी नहीं था। और यह समझने के लिए आइंस्टीन होना ज़रूरी नहीं कि इस गणित में कुछ गड़बड़ है।”

इस बयान के बाद अमेरिका की राजनीतिक गलियारों में फिर से EB-1 वीज़ा को लेकर पारदर्शिता और नियमों पर बहस शुरू हो गई है।

मेलानिया ट्रंप, जो उस समय मेलानिया क्नॉस के नाम से जानी जाती थीं, ने साल 2000 में अमेरिका का प्रतिष्ठित EB-1 वीजा पाने के लिए आवेदन किया था। उन्हें यह वीजा 2001 में मिल गया और इसके बाद उन्होंने 2006 में अमेरिकी नागरिकता हासिल कर ली। नागरिक बनने के बाद मेलानिया ने अपने माता-पिता को अमेरिका बुलाने के लिए “फैमिली रीयूनिफिकेशन” की प्रक्रिया के तहत ग्रीन कार्ड दिलवाया।

हालांकि, यह वही प्रक्रिया है जिसे उनके पति और अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप कई बार “चेन माइग्रेशन” कहकर आलोचना कर चुके हैं। ट्रंप का कहना रहा है कि अमेरिका की इमिग्रेशन नीति में बदलाव आना चाहिए और परिवार के ज़रिये वीजा देने की व्यवस्था को सख्त किया जाना चाहिए।

अब, इस दोहरे रवैये को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। अमेरिकी सांसद जैस्मिन क्रॉकेट ने पूछा, “जब बात राष्ट्रपति के परिवार की वीजा प्रक्रिया की हो, तो हम ईमानदारी की बात क्यों नहीं करते?”

EB-1 वीजा क्या है?

EB-1 वीजा अमेरिका का एक ग्रीन कार्ड श्रेणी का वीजा है, जो उन लोगों को दिया जाता है जो किसी विशेष क्षेत्र में ‘असाधारण प्रतिभा’ रखते हैं। यह क्षेत्र विज्ञान, शिक्षा, कला, व्यवसाय या खेल से जुड़ा हो सकता है। इस वीजा के ज़रिये व्यक्ति अमेरिका में स्थायी निवास (Permanent Residency) पा सकता है और यह अमेरिकी नागरिकता की ओर सबसे तेज़ रास्तों में से एक माना जाता है।

कौन कर सकता है अप्लाई?

यूनाइटेड स्टेट्स सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज (USCIS) के अनुसार, इस वीजा के लिए आवेदन करने वालों को या तो किसी प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार—जैसे नोबेल पुरस्कार या ऑस्कर—से सम्मानित होना चाहिए, या फिर USCIS द्वारा तय किए गए दस मानदंडों में से कम से कम तीन को पूरा करना होगा। इन मानदंडों के ज़रिये यह साबित होना चाहिए कि आवेदक को राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार पहचान मिली हो।

EB-1 वीज़ा कैटेगरी: अमेरिका में स्थायी निवास (ग्रीन कार्ड) पाने का रास्ता

EB-1 श्रेणी उन लोगों के लिए है जो अपने क्षेत्र में असाधारण योग्यता रखते हैं। इसमें तीन उप-श्रेणियां (subcategories) होती हैं:

1. असाधारण प्रतिभा वाले व्यक्ति (Extraordinary Ability)

इस श्रेणी में आवेदन करने के लिए किसी नियोक्ता (employer) की आवश्यकता नहीं होती। आवेदक को यह साबित करना होता है कि वह अपने क्षेत्र में उच्चतम स्तर की उपलब्धियां रखता है। इसके लिए दो विकल्प हैं:

  • या तो कोई एक बड़ा पुरस्कार प्राप्त किया हो जैसे:
    • पुलित्ज़र पुरस्कार
    • ओलंपिक पदक
    • ऑस्कर पुरस्कार
  • या फिर नीचे दी गई 10 में से कम से कम 3 योग्यताओं को पूरा करता हो:
    • राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्टता के लिए पुरस्कार
    • प्रमुख मीडिया में कवरेज
    • दूसरों के कार्य का मूल्यांकन करने के लिए आमंत्रण (जज के रूप में)
    • मौलिक योगदान जिसका असर मापा जा सकता हो
    • अकादमिक शोध या प्रकाशन
    • प्रतिष्ठित संगठनों में नेतृत्व की भूमिका
    • औसत से अधिक वेतन
    • कला या मनोरंजन में व्यावसायिक सफलता

आवेदन प्रक्रिया:
Form I-140 (Immigrant Petition for Alien Worker) के माध्यम से आवेदन किया जाता है।

2. उत्कृष्ट प्रोफेसर और शोधकर्ता (Outstanding Professors and Researchers)

इस श्रेणी में आने के लिए आवेदक को निम्नलिखित योग्यताएं साबित करनी होती हैं:

  • अपने अकादमिक क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान
  • कम से कम 3 वर्षों का शिक्षण या अनुसंधान का अनुभव
  • अमेरिका में किसी स्थायी या टेन्योर-ट्रैक पद (tenure-track job) के लिए नियुक्ति

आवेदन प्रक्रिया:
यहां अमेरिकी नियोक्ता Form I-140 फॉर्म भरता है और यह साबित करता है कि वह आवेदक को दी जा रही तनख्वाह का भुगतान कर सकता है।

3. बहुराष्ट्रीय प्रबंधक या कार्यकारी (Multinational Manager or Executive)

यह श्रेणी उन पेशेवरों के लिए है जो:

  • अमेरिका के बाहर किसी कंपनी में कम से कम एक वर्ष काम कर चुके हों
  • अब उसी कंपनी के अमेरिकी कार्यालय में प्रबंधकीय या कार्यकारी पद पर ट्रांसफर हो रहे हों

आवेदन प्रक्रिया:

इस श्रेणी में भी अमेरिकी नियोक्ता को Form I-140 भरना होता है और कंपनी की वित्तीय स्थिति से जुड़े दस्तावेज जमा करने होते हैं।

क्या हर कोई EB-1A वीज़ा की योग्यता पूरी करता है?

हर कोई नहीं। हालांकि USCIS (यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विस) ने EB-1A वीज़ा के लिए स्पष्ट मानदंड तय किए हैं, लेकिन इनकी व्याख्या अलग-अलग मामलों में अलग तरह से की जा सकती है। इसी वजह से इस वीज़ा को लेकर लंबे समय से बहस चलती रही है कि इसकी लचीलापन कुछ लोगों को इसका गलत इस्तेमाल करने का मौका देता है।

अनोखी प्रतिभाओं के आधार पर मिला EB-1A

भारतीय मूल के इन्वेस्टमेंट बैंकर
मंगेश घोगरे को EB-1A वीज़ा मिला क्योंकि उनकी क्रॉसवर्ड पज़ल बनाने की कला को अमेरिकी मीडिया में काफी पहचान मिली। उनके बनाए हुए पज़ल New York Times सहित कई बड़े अमेरिकी अखबारों में प्रकाशित हुए। यह उनके ‘मूल योगदान’ और ‘मीडिया में पहचान’ को दर्शाता है, जो वीज़ा के दो प्रमुख मानदंड हैं।

EB-1A के लिए रणनीतिक तैयारी

देबर्घ्य दास, जो सैन फ्रांसिस्को में एक टेक उद्यमी हैं, ने 2023 में एक ब्लॉग में EB-1A वीज़ा को लेकर अपनी यात्रा साझा की थी। उन्होंने इसे “Ultimate Guide to an EB-1A” कहा और बताया कि किस तरह विशेषज्ञ फर्मों की मदद लेकर कोई अपने काम को इंडस्ट्री के खास जर्नल्स या ट्रेड मैगज़ीन में प्रकाशित करवा सकता है।

दास ने लिखा—  “कुछ फर्म ऐसे पेशेवरों के साथ काम करती हैं, जो आपकी उपलब्धियों को समझती हैं और फिर उन्हें ऐसे प्लेटफॉर्म्स पर प्रकाशित कराने में मदद करती हैं, जिन्हें खासतौर पर इंडस्ट्री के विशेषज्ञ पढ़ते हैं।”

एक कानूनी सम्मेलन में प्रवासन मामलों के विशेषज्ञ वकील कार्ल शस्टरमैन ने एक दिलचस्प प्रयोग किया। उन्होंने अल्बर्ट आइंस्टीन के शुरुआती करियर पर आधारित एक बायोडाटा तैयार कर लोगों के बीच बांटा। चौंकाने वाली बात यह रही कि सम्मेलन में शामिल वकीलों का मानना था कि अगर आइंस्टीन को नोबेल पुरस्कार नहीं मिला होता, तो वे शायद अमेरिका का प्रतिष्ठित EB-1 वीज़ा भी हासिल नहीं कर पाते।

वकीलों का तर्क है कि EB-1 वीज़ा के मामलों में अक्सर उन क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाती है जिनमें योग्यता के ठोस और मापनीय पैमाने मौजूद होते हैं, जैसे अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार, रैंकिंग, या मीडिया कवरेज। इसके विपरीत, स्टार्टअप्स, नवाचार या उद्यमिता जैसे क्षेत्रों में जहां प्रतिभा का आकलन पारंपरिक मानकों से नहीं किया जा सकता, वहां ऐसे आवेदकों को नजरअंदाज कर दिया जाता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी नीति में सुधार की ज़रूरत है ताकि उन प्रतिभाओं को भी मान्यता मिल सके जो भले ही शुरुआती दौर में हों, लेकिन आगे चलकर असाधारण योगदान देने की क्षमता रखते हैं।

First Published - July 3, 2025 | 7:33 AM IST

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