शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव निवेशकों के लिए एक चुनौती बनी हुई है। साथ ही लंबे इंतजार के बाद ब्याज दर में कटौती की संभावना बढ़ गई है। ऐसे में निवेश के मोर्चे पर संतुलित दृष्टिकोण अपनाने के लिए अग्रेसिव हाइब्रिड म्युचुअल फंड के जरिये निवेश समझदारी भरा कदम हो सकता है।
फिस्डम के अनुसंधान प्रमुख नीरव आर. करकेरा ने कहा, ‘वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता, मुद्रास्फीति के दबाव और ब्याज दर में संभावित कटौती जैसी आशंकाओं के कारण शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव वाले मौजूदा माहौल में निवेश के लिए अग्रेसिव हाइब्रिड फंड बिल्कुल उपयुक्त हैं। संतुलित परिसंपत्ति आवंटन के कारण ऐसे फंड इन चुनौतियों से निपटने में अधिक समर्थ होते हैं।’
महिंद्रा मनुलाइफ म्युचुअल फंड की वरिष्ठ इक्विटी फंड मैनेजर फातिमा पाचा ने कहा, ‘हाइब्रिड फंड सभी परिस्थितियों के लिए उपयुक्त होते हैं। ये फंड इक्विटी बाजार में नए निवेशकों के लिए सबसे अच्छे होते हैं, क्योंकि इनसे परिसंपत्ति वर्ग में भरोसा बढ़ाने में मदद मिलती है।’
अग्रेसिव हाइब्रिड फंड के तहत परिसंपत्ति का 65 से 80 फीसदी आवंटन शेयरों में और शेष बॉन्ड में किया जाता है। आम तौर पर ये फंड अपने इक्विटी पोर्टफोलियो के लिए लार्जकैप शेयरों में अधिक निवेश करने की रणनीति अपनाते हैं। इससे मिडकैप एवं स्मॉलकैप शेयरों में अधिक निवेश वाले पोर्टफोलियो के मुकाबले उतार-चढ़ाव के जोखिम को कम करने में मदद मिलती है।
ब्याज दरों में गिरावट आने पर पोर्टफोलियो के बॉन्ड वाले हिस्से से पूंजीगत लाभ मिलता है। मगर ब्याज दरों में वृद्धि होने पर अल्प अवधि में नुकसान भी हो सकता है।
करकेरा ने कहा, ‘फिलहाल इस श्रेणी में 70 फीसदी से अधिक आवंटन लार्जकैप शेयरों में किया जाता है। इससे पोर्टफोलियो को स्थिरता मिलती है और उस पर मिडकैप एवं स्मॉलकैप में अधिक आवंटन वाले पोर्टफोलियो के मुकाबले बाजार के उतार-चढ़ाव का कम असर होता है। स्मॉलकैप शेयरों में 5 से 7 फीसदी और बाकी मिडकैप शेयरों में निवेश किया जाता है। इससे फंड के इक्विटी पोर्टफोलियो में मिडकैप एवं स्मॉलकैप से संबंधित जोखिम कम होता है। मिडकैप और स्मॉलकैप शेयर फिलहाल अधिक मूल्यांकन पर कारोबार कर रहे हैं। इसके अलावा डेट वाला हिस्सा पोर्टफोलियो को अधिक स्थिरता प्रदान करता है।’
आर्थिक मंदी और कंपनियों के सुस्त मुनाफे जैसी स्थितियों का सामना करने के लिए लार्जकैप शेयर आम तौर पर मिडकैप एवं स्मॉलकैप शेयरों के मुकाबले बेहतर स्थिति में होते हैं।
पाचा ने कहा, ‘वित्त वर्ष 2024 जैसी बाजार परिस्थितियों में हाइब्रिड फंड शुद्ध इक्विटी फंड के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन करते हैं। मगर वे लंबी अवधि में जोखिम के बाद भी बेहतर रिटर्न देते हैं क्योंकि बाजार का रुख आम तौर पर चक्रीय होता है। शेयर बाजार में पिछले दो वर्षों के शानदार रिटर्न के बाद 2025 उतार-चढ़ाव वाला वर्ष हो सकता है। ऐसे में हाइब्रिड फंड का प्रदर्शन आम तौर पर बेहतर होता है। इसके अलावा हम उम्मीद करते हैं कि भारतीय रिजर्व बैंक इस साल दरों में कटौती करेगा। इससे डेट फंड को अधिक रिटर्न देने में मदद मिलेगी क्योंकि बॉन्ड की कीमतों में तेजी आ सकती है।’
अग्रेसिव हाइब्रिड फंड उन निवेशकों को आकर्षित करते हैं जो अपेक्षाकृत कम उतार-चढ़ाव के साथ शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं।
करकेरा ने कहा, ‘यह फंड कम जोखिम लेने वाले निवेशकों के लिए उपयुक्त है क्योंकि डेट आवंटन के कारण इसमें उतार-चढ़ाव का जोखिम कम होता है। इसके अलावा यह फंड उन नए निवेशकों के लिए भी उपयुक्त हैं जो शेयर बाजार में अपेक्षाकृत सुरक्षित तरीके से प्रवेश करना चाहते हैं और जिनके वित्तीय लक्ष्य मध्यावधि के लिए हैं।’
निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो का आकलन करना चाहिए और जोखिम लेने की अपनी क्षमता के अनुरूप फंडों का चयन करना चाहिए। उन्हें निवेश से पहले फंड के पिछले प्रदर्शन पर भी गौर करना करना चाहिए। वैसे तो इन फंडों की रफ्तार अपेक्षाकृत स्थिर होती है, लेकिन कभी-कभी उतार-चढ़ाव का दौर भी दिख सकता है। इसलिए निवेशकों को कम से कम 5 साल के लिए निवेश पर विचार करना चाहिए।
इन फंडों में निवेश करने का सबसे प्रभावी तरीका सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) है। करकेरा ने कहा, ‘अग्रेसिव हाइब्रिड फंडों में कम से कम 3 से 5 साल तक निवेश रखना चाहिए। इससे निवेशक को बाजार चक्रों के प्रभावों से निपटने और संतुलित रिटर्न हासिल करने में मदद मिलती है।’ उनका सुझाव है कि मध्यम जोखिम लेने वाले निवेशक अपने पोर्टफोलियो का 15 से 25 फीसदी आवंटन इस फंड में कर सकते हैं जबकि कम जोखिम लेने वाले निवेशकों को 10 से 15 फीसदी आवंटन करना चाहिए।