दिल्ली शराब नीति मामले को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया। हाल ही में, कई विपक्षी नेताओं को ED ने बुकिंग, छापेमारी, पूछताछ या गिरफ्तारी के जरिए निशाना बनाया है। जिन लोगों को हाल फिलहाल में गिरफ्तार किया गया है उनमें दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया, JMM नेता हेमंत सोरेन और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस)की नेता के कविता शामिल हैं।
ED द्वारा संभाले गए मामलों में मुख्य रूप से मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA) से जुड़े हैं। PMLA एक कानून है जो भारत में मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने में मदद करता है। राजनीतिक हस्तियों के अलावा, जनवरी 2024 में, ED ने दिल्ली एनसीआर, चंडीगढ़, हरियाणा, पंजाब और गुजरात में विभिन्न स्थानों पर 19 छापे मारे।
ये छापे चीनी नागरिकों से समर्थन प्राप्त करने वाली भारतीय कंपनियों की मनी लॉन्ड्रिंग जांच का हिस्सा थे। छापेमारी में ED ने कई आपत्तिजनक दस्तावेज़, डिजिटल रिकॉर्ड और 1.3 करोड़ रुपये नकद जब्त किए।
फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज PR 21 अक्टूबर 2020 और 9 जनवरी 2024 के बीच 1,368 करोड़ रुपये के दान के लिए चर्चा में रही। इस भारी दान की वजह से, ED ने इस कंपनी पर कई छापे मारे हैं। 2 अप्रैल 2022 को, ED ने फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज PR की 409.92 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली।
ED द्वारा जब्त किए गए कैश का क्या होता है?
जब ED नकदी बरामद करती है, तो आरोपी को उस धन का स्रोत बताने का मौका दिया जाता है। यदि वे स्रोत का प्रमाण नहीं दे पाते हैं, तो ED पैसे जब्त कर सकती है। लेकिन इस पैसे को ED अपने पास नहीं रख सकती।
इकोनॉमिक लॉज़ प्रैक्टिस के पार्टनर मुमताज भल्ला बताती हैं, “उदाहरण के लिए मान लीजिए कि ED ने 5 लाख रुपये बरामद किए हैं। आरोपी को यह बताना होगा कि उन्हें ये पैसे कहां से मिले। यदि वे कहते हैं कि उन्होंने बैंक से चेक के माध्यम से पैसे निकाले हैं, तो उन्हें निकासी पर्ची दिखानी होगी। यदि वे पर्ची नहीं दिखा पाते हैं, तो ED पैसे जब्त कर सकती है।”
उन्होंने बताया, जब ED किसी अपराध से जुड़े होने का संदेह होने पर धन जब्त करती है, तो उसे “अपराध या काले धन की संभावित आय” माना जाता है। इसके बाद, धन को मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत जब्त कर लिया जाता है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के अधिकारियों को बरामद पैसे की गिनती करने के लिए बुलाया जाता है। गिनती नोट गिनने वाली मशीन का उपयोग करके की जाती है। गिनती पूरी होने के बाद, ED अधिकारी बैंक अधिकारियों की मौजूदगी में जब्ती लिस्ट तैयार करते हैं।
जब्ती लिस्ट में नकदी का विवरण दर्ज किया जाता है। इसमें नकदी की कुल राशि और विभिन्न नोटों की गिनती शामिल होती है, जैसे कि 2000, 500, और 100 रुपये के नोट। गवाहों की उपस्थिति में नकदी को एक बक्से में सील कर दिया जाता है। सीलबंद बक्से को संबंधित राज्य में एक बैंक शाखा में ले जाया जाता है। बैंक में, नकदी को एजेंसी के पर्सनल डिपॉजिट अकाउंट में जमा किया जाता है। इसके बाद, धनराशि केंद्र सरकार के खजाने में ट्रांसफर कर दी जाती है।
क्या बरी होने पर आरोपी को पैसा वापस मिल सकता है?
मुमताज भल्ला कहती हैं कि जब्त की गई धनराशि पहले एक अलग बैंक खाते में जमा होती है, जो ED, बैंकों और सरकार की पहुंच से बाहर होती है। यदि अभियुक्त को दोषी ठहराया जाता है, तो यह राशि केंद्र सरकार को ‘पब्लिक मनी’ के रूप में दे दी जाती है। यदि आरोपी को बरी कर दिया जाता है, तो उसे पैसा वापस कर दिया जाता है।