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PSU फंड से कमाई की सही घड़ी आई, पिछले साल औसतन 93.6 फीसदी की बढ़त दर्ज की

जबरदस्त तेजी के फौरन बाद के प्रदर्शन का अनुमान लगाना मुश्किल होता है मगर फंड मैनेजरों को लगता है कि मझोली से लंबी अव​धि तक PSU मजबूत बने रहेंगे।

Last Updated- March 03, 2024 | 9:32 PM IST
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सार्वजनिक उपक्रम (पीएसयू) फंड में पिछले साल औसतन 93.6 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है। विशेषज्ञ कह रहे हैं कि इतने ज्यादा इजाफे के बाद अब निवेशकों को सावधान रहना चाहिए। पिछले तीन साल में ऐसे कई क्षेत्रों के कारोबारी चक्र सुधरा है, जहां पीएसयू काम करते हैं। आईसीआईसीआई प्रूडें​शियल ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) के फंड मैनेजर आनंद शर्मा कहते हैं, ‘अगर किसी क्षेत्र के फंडामेंटल्स बेहतर होते हैं तो बाजार की अग्रणी कंपनी होने के नाते उसमें मौजूद सार्वजनिक उपक्रमों को सीधा फायदा होता है।’

पीएसयू की वित्तीय स्थिति भी बेहतर हुई है। आदित्य बिड़ला सन लाइफ एएमसी के मुख्य निवेश अधिकारी महेश पाटिल बताते हैं, ‘2013-14 में पीएसयू के लिए इक्विटी पर रिटर्न 14-15 फीसदी था, जो पीएसयू बैंकों में गिरावट के कारण घटकर 4-6 फीसदी ही रह गया। मुनाफे की क्षमता लौटने के कारण इक्विटी पर कुल रिटर्न भी बढ़कर 12-13 फीसदी हो गया है। अ​धिकतर पीएसयू की प्रति शेयर आय काफी बढ़ गई है।’

उनके मुताबिक सरकार द्वारा पूंजीगत व्यय में तेजी से इस क्षेत्र को बढ़ावा मिला है। तेजी के दौर में शेयर महंगे होने पर निवेशक सस्ते शेयर तलाशने लगते हैं। प्राइमइन्वेस्टर की सह-संस्थापक विद्या बाला बताती हैं, ‘पीएसयू शेयरों के साथ भी ऐसा ही हुआ क्योंकि उनमें से कई की कीमत कम चल रही थी। रक्षा, बिजली और रेलवे शेयरों का प्रदर्शन खास तौर पर अच्छा रहा।’

जबरदस्त तेजी के फौरन बाद के प्रदर्शन का अनुमान लगाना मुश्किल होता है मगर फंड मैनेजरों को लगता है कि मझोली से लंबी अव​धि तक पीएसयू मजबूत बने रहेंगे। पाटिल रेलवे, रक्षा, बैंकिंग और बिजली जैसे क्षेत्रों राजस्व एवं आय की संभावनाओं की ओर इशारा करते हैं। उन्हें लगता है कि बैंकिंग और तेल-गैस जैसे क्षेत्रों में मूल्यांकन अब भी पहले से कम है।

बिजली क्षेत्र से भी शर्मा को काफी उम्मीद हैं। वह कहते हैं, ‘बिजली क्षेत्र में तेजी या मंदी के दौर कुछ साल तक बने रहते हैं क्योंकि नई क्षमता तैयार होने में वक्त लगता है। अगले कुछ साल बिजली की मांग दमदार रहने के आसार हैं। आगे हमें अधिकतम मांग के समय बिजली की किल्लत दिख सकती है।’ प्लूटस कैपिटल के निवेश सलाहकार अंकुर कपूर को लगता है, ‘परियोजनाओं के लिए मंजूरी और ऑर्डर मिलते रहे तो बुनियादी ढांचा और रक्षा जैसे क्षेत्र अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं।’

बहरहाल राजनीतिक अस्थिरता सार्वजनिक उपक्रमों के लिए अनि​श्चितता पैदा कर सकती है क्योंकि सत्ता बदलने पर अक्सर नीतियां भी बदलती हैं। पूंजीगत व्यय के मोर्चे पर तय कार्यक्रम से भटकना भी जोखिम बन सकता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि चुनिंदा क्षेत्रों का मूल्यांकन बढ़ा हुआ दिखता है, जबकि आय सुधरने की गुंजाइश कम ही है क्योंकि वह पहले ही रिकॉर्ड ऊंचाई पर है। ऐसे में निवेशक मुनाफावसूली करेंगे तो इन शेयरों के लिए गुंजाइश घट जाएगी।

कई पीएसयू क्षेत्रों में उम्मीद के मुताबिक कमाई नहीं हो पाई। बाला बताती हैं, ‘कमजोर प्रदर्शन कर रहे कई बैंकों अच्छा करने वाले बैंकों में विलय कर दिया गया। इसका अच्छे बैंकों के प्रदर्शन पर भी असर पड़ा।’ कपूर के अनुसार कई सार्वजनिक उपक्रमों को अच्छी गुणवत्ता वाली कंपनी नहीं कहा जा सकता क्योंकि उनमें लगाई गई पूंजी पर रिटर्न कम ही रहा है।

अच्छा लाभांश मिलने की उम्मीद में कुछ पीएसयू शेयरों में रकम लगाई जा सकती है। मगर कपूर चेताते हैं कि हालिया बढ़त के बाद लाभांश में भी कमी आई है। उनका कहना है कि इन कंपनियों पर सरकारी नियंत्रण का मतलब है कि हर बार फैसला कारोबारी नजर से ही नहीं लिया जाएगा। बाला को तेजी बनी रहने की कोई बुनियादी वजह ही नहीं दिखती। वह कहती हैं, ‘अगर सार्वजनिक उपक्रमों का प्रदर्शन अच्छा दिखता है तो उसकी वजह बाजार में लगातार दिखने वाली तेजी हो सकती है।’

सार्वजनिक उपक्रम के कुछ क्षेत्रों जैसे, वित्त, लॉजि​स्टिक्स, बिजली एवं रेलवे देसी बाजार पर चलते हैं और कुछ अन्य जैसे तेल एवं गैस और धातु पर वैश्विक कारकों का भी असर पड़ता है। ऐसे में निवेशकों के लिए सतर्कता के साथ खास क्षेत्र अथवा शेयर पर जोर देना ठीक रहेगा।

कपूर का कहना है कि इस समय महंगे पीएसयू शेयरों में निवेश करने पर आपको सामान्य रिटर्न मिल सकता है या पैसा डूब भी सकता है। बाला के मुताबिक इन फंडों को बेचकर मुनाफा कमा लेना ही निवेशकों के लिए बेहतर रहेगा। नए निवेशकों को वह बताती हैं कि कीमत में भारी गिरावट निवेश के लिए सही वक्त होता है मगर वह दौर अब बीत चुका है।

First Published - March 3, 2024 | 9:32 PM IST

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