Reduce EMIs or shorten loan tenure: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार, 7 फरवरी 2025 को बेंचमार्क रीपो रेट (Repo Rate) में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की, जिससे यह 6.50% से घटकर 6.25% हो गया। पांच साल के बाद केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरों में कटौती की है। रीपो रेट से जुड़े फ्लेक्सिबल रेट वाले लोन जैसे होम लोन (Home Loan), कार लोन (Car Loan), पर्सनल लोन (Personal Loan) की ईएमआई (EMI) कम होना तय माना जा रहा है। ऐसे में होम लोन लेने वाले हजारों ग्राहक अब इस उलझन में पड़ गए हैं कि उन्हें EMI कम करनी चाहिए या लोन की अवधि? आइए समझते है कि इस सावल पर एक्सपर्ट्स की क्या राय है..
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के रजिस्टर्ड निवेश सलाहकार (RIA) दीपेश राघव कहते हैं कि आमतौर पर, जब रीपो रेट घटता है, तो इसका सामान्य प्रभाव यह होता है कि बैंक उधारकर्ताओं की लोन अवधि कम कर देते हैं। हालांकि, बैंक उधारकर्ताओं को यह विकल्प भी दे सकते हैं कि यदि वे अनुरोध करें, तो उनकी EMI कम कर दी जाए और लोन की अवधि को वही रखा जाए।
सेबी रजिस्टर्ड निवेश सलाहकार और फी-ओनली इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स एलएलपी के हेड हर्ष रूंगटा की सलाह है कि लोन की अवधि कम करने या EMI घटाने का फैसला आपकी वित्तीय स्थिति पर निर्भर होना चाहिए। अगर आपके पास पैसों की किल्लत है, तो EMI घटवा लें। अगर नहीं है, तो लोन की अवधि कम करने के डिफॉल्ट विकल्प को अपनाएं। यदि आप EMI घटवाते हैं, तो आपको लोन की कुल अवधि बढ़ानी होगी, जिससे कुल ब्याज भुगतान अधिक हो जाएगा।
नए लोन लेने वालों के मामले में लेंडर्स दर में कटौती का फायदा दें भी सकते हैं और नहीं भी। भले ही रीपो रेट घट गया हो, कुछ लेंडर्स स्प्रेड बढ़ाकर होम लोन की ब्याज दर को पहले जैसा रख सकते हैं।
सेबी रजिस्टर्ड निवेश सलाहकार और SahajMoney.com के फाउंडर अभिषेक कुमार का कहना है कि अगर नए उधारकर्ताओं के लिए दरें घटती हैं, तो उन्हें कम लागत का लाभ मिलने के साथ-साथ अधिक लोन राशि के लिए भी पात्रता मिल सकती है।
उनकी सलाह है कि नए उधारकर्ताओं को अलग-अलग लेंडर्स की दरों की तुलना करनी चाहिए (अपने क्रेडिट स्कोर के अनुसार)। कम ब्याज दरों पर होम लोन की तलाश करें, ताकि लोन अवधि के दौरान ब्याज पर काफी बचत की जा सके।
राघव का सुझाव है कि जिन मौजूदा उधारकर्ताओं के होम लोन अभी भी MCLR से जुड़े हुए हैं, वे रीपो रेट से जुड़े लोन में शिफ्ट कर लें। उधारकर्ताओं को अपनी लोन अवधि और कुल ब्याज लागत जल्दी कम करने के लिए नियमित अंतराल पर प्रीपेमेंट जारी रखना चाहिए।
हर्ष रूंगटा का सलाह है कि मौजूदा उधारकर्ताओं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे बाजार में उपलब्ध सबसे अच्छी दर (अपने क्रेडिट स्कोर के अनुसार) का लाभ ले रहे हैं। अगर आप बाजार में उपलब्ध सबसे अच्छी दर से अधिक ब्याज दे रहे हैं, तो उसी बैंक के भीतर या किसी अन्य बैंक में शिफ्ट कर जाएं।
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हर होम लोन लेने वाले ग्राहक के लिए सटीक बचत उनके मौजूदा बकाया प्रिंसिपल अमाउंट और ब्याज दर पर निर्भर करेगी। मान लीजिए कि किसी उधारकर्ता का 20 साल का लोन है, जिसमें बकाया प्रिंसिपल 75 लाख रुपये है और उनकी ब्याज दर 9% से घटकर 8.75% हो जाती है। इस कटौती के बाद उनकी EMI 67,479 रुपये से घटकर 66,278 रुपये हो जाएगी, यानी 1,201 रुपये की कमी। यह सालाना 14,412 रुपये की बचत में बदल जाएगा, बशर्ते एक साल तक ब्याज दरों में कोई और बदलाव न हो।
पैसाबाजार के को-फाउंडर और सीईओ नवीन कुकरेजा कहते हैं, “रीपो रेट से जुड़े होम लोन में ब्याज दरों में कटौती का असर तेजी से देखने को मिलेगा। मौजूदा उधारकर्ताओं के लिए दरों में कटौती का लाभ कब मिलेगा, यह उनके संबंधित लेंडर्स द्वारा तय की गई रेट रीसेट तारीखों पर निर्भर करेगा। तब तक उन्हें मौजूदा दरों पर ही अपने लोन की किस्त चुकानी होगी।”
उन्होंने कहा, “वहीं, MCLR (मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट) या अन्य इंटरनल बेंचमार्क से जुड़े लोन में इस कटौती का असर दिखने में थोड़ा समय लग सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इंटरनल बेंचमार्क दरों को तय करने में बैंक की फंड की लागत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।”