Fixed Deposit Premature Withdrawal: फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) लंबे समय से अपनी स्थिरता और गारंटीड रिटर्न के लिए लोगों की पसंद रहे हैं। लेकिन, जीवन की अनिश्चितताओं के कारण कई बार निवेशकों को अपनी FD समय से पहले तोड़नी पड़ती है, जिससे जुर्माना लगता है और रिटर्न कम हो जाता है। निवेशकों को इस नुकसान से बचाने के लिए, Bankbazaar.com के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) अधिल शेट्टी ने कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। उन्होंने बताया कि कैसे सही रणनीति इस नुकसान को कम कर सकती है और आपके जुर्माने को घटा सकती है।
अधिल शेट्टी के अनुसार, पब्लिक सेक्टर बैंक समय से पहले FD तोड़ने पर सबसे कम जुर्माना लगाते हैं।
शेट्टी कहते हैं, “पब्लिक सेक्टर बैंक आमतौर पर प्राइवेट सेक्टर बैंक, स्मॉल फाइनेंस बैंक और कोऑपरेटिव बैंक की तुलना में कम जुर्माना लगाते हैं। पब्लिक सेक्टर बैंक सभी वर्गों, खासकर कम आय वाले लोगों की सेवा करने के अपने व्यापक उद्देश्य के कारण अधिक उदार होते हैं। इस वजह से उनका जुर्माना कम होता है।”
पब्लिक सेक्टर बैंकों में जुर्माना आमतौर पर 0.50% से 1% के बीच होता है। वहीं, प्राइवेट सेक्टर और स्मॉल फाइनेंस बैंक 1% से 1.50% तक जुर्माना लगा सकते हैं, जिससे इन बैंकों में FD समय से पहले तोड़ना निवेशकों के लिए अधिक महंगा पड़ता है।
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कई निवेशक सोचते हैं कि ब्याज की गणना का समय—मासिक, त्रैमासिक, छमाही या सालाना—FD समय से पहले तोड़ने पर होने वाले नुकसान को प्रभावित करता है। लेकिन शेट्टी ने इस बारे में स्पष्ट किया।
उन्होंने कहा, “FD में ब्याज की गणना का समय इस बात पर असर डालता है कि जमा अवधि के दौरान ब्याज कैसे बढ़ता है। लेकिन जब FD को समय से पहले तोड़ा जाता है, तो जुर्माना उस कम ब्याज दर के आधार पर लगता है, जो FD के वास्तविक अवधि के लिए लागू होती है। यह जुर्माने की गणना पर सीधे असर नहीं डालता।”
इसलिए, भले ही ब्याज की गणना का समय पूरी अवधि तक FD चलने पर कुल रिटर्न को प्रभावित करता हो, लेकिन समय से पहले तोड़ने पर जुर्माने को कम करने में इसकी भूमिका बहुत कम होती है। शेट्टी सलाह देते हैं कि कम जुर्माना वाले बैंक चुनें और अगर समय से पहले तोड़ने की संभावना हो, तो कम अवधि की FD चुनें।
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पैसों की जरूरत पड़ने पर भारी जुर्माने से बचने के लिए, शेट्टी ने कुछ स्मार्ट रणनीतियां सुझाई हैं:
FD लैडरिंग: कुल निवेश को कई FD में बांटकर, अलग-अलग समय पर परिपक्व होने वाली FD बनाएँ। इससे निवेशकों को समय-समय पर अपने पैसे तक पहुँच मिलती है।
शेट्टी ने कहा, “ऐसा करने से निवेशक अपनी पूरी जमा राशि को समय से पहले तोड़े बिना, नियमित अंतराल पर अपने फंड का कुछ हिस्सा निकाल सकते हैं।”
स्वीप-इन सुविधा: कई बैंक स्वीप-इन खाते की सुविधा देते हैं, जिसमें बचत खाते में अतिरिक्त राशि अपने आप FD में चली जाती है। ये जमा राशि बिना किसी जुर्माने के आसानी से निकाली जा सकती है और बचत खाते की सुविधा के साथ-साथ FD के अधिक रिटर्न भी देती है।
FD पर लोन: FD तोड़ने के बजाय, निवेशक इसपर लोन ले सकते हैं।
शेट्टी कहते हैं, “बैंक आमतौर पर FD की 90% तक की राशि पर लोन देते हैं, जिसका ब्याज FD की ब्याज दर से थोड़ा अधिक होता है। यह विकल्प जुर्माने से बचने में मदद करता है और निवेश को भी बनाए रखता है।”