facebookmetapixel
RBI के रीपो रेट कट के बाद SBI का बड़ा फैसला! FD, MCLR और EBLR दरों में किया बदलावT20 वर्ल्ड कप से पहले साझेदारी पर मुहर, ICC-JioStar ने दी सफाईIndia-US Trade Talks: अमेरिकी टीम ने भारत के डिजिटल डेटा सुरक्षा कानून और IT नियमों पर जताई चिंताइंडिगो संकट: DGCA ने 4 उड़ान निरीक्षकों को किया निलंबित, एयरलाइन ने इल्सन को स्वतंत्र समीक्षा के लिए नियुक्त कियाप्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निजी निवेश को दी मंजूरीनोवो नॉर्डिस्क लाई डायबिटीज की नई दवा, शुरुआती 0.25 मिलीग्राम खुराक की कीमत 2,200 रुपये प्रति सप्ताहत्योहारी मांग और GST में कटौती से वाहनों की बिक्री में भारी बढ़ोतरी, नवंबर में ऑटो इंडस्ट्री ने बनाया रिकॉर्डमंजूरी में देरी और मजदूर संकट के बीच रियल्टी सेक्टर पर नई परियोजनाओं को समय से पूरा करने का दबावसोना-चांदी ने तोड़े सभी रिकॉर्ड: चांदी पहली बार ₹2 लाख के पार, सोना भी ऐतिहासिक ऊंचाई पर2030 में खदानें नीलाम होने से बढ़ती अयस्क लागत से निपटने को टाटा स्टील बना रही नई रणनीति

समय से पहले तोड़ना चाहते हैं अपना FD? कैसे बच सकते हैं जुर्माने और नुकसान से, एक्सपर्ट से समझें

अगर आप बीच में FD तोड़ते हैं तो सही रणनीति अपनाकर इस नुकसान को कम कर सकते हैं और जुर्माने को भी घटा सकते हैं।

Last Updated- April 28, 2025 | 5:36 PM IST
Fund
प्रतीकात्मक तस्वीर | फोटो क्रेडिट: Pixabay

Fixed Deposit Premature Withdrawal: फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) लंबे समय से अपनी स्थिरता और गारंटीड रिटर्न के लिए लोगों की पसंद रहे हैं। लेकिन, जीवन की अनिश्चितताओं के कारण कई बार निवेशकों को अपनी FD समय से पहले तोड़नी पड़ती है, जिससे जुर्माना लगता है और रिटर्न कम हो जाता है। निवेशकों को इस नुकसान से बचाने के लिए, Bankbazaar.com के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) अधिल शेट्टी ने कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। उन्होंने बताया कि कैसे सही रणनीति इस नुकसान को कम कर सकती है और आपके जुर्माने को घटा सकती है।

पब्लिक सेक्टर के बैंक लगाते हैं कम जुर्माना

अधिल शेट्टी के अनुसार, पब्लिक सेक्टर बैंक समय से पहले FD तोड़ने पर सबसे कम जुर्माना लगाते हैं।

शेट्टी कहते हैं, “पब्लिक सेक्टर बैंक आमतौर पर प्राइवेट सेक्टर बैंक, स्मॉल फाइनेंस बैंक और कोऑपरेटिव बैंक की तुलना में कम जुर्माना लगाते हैं। पब्लिक सेक्टर बैंक सभी वर्गों, खासकर कम आय वाले लोगों की सेवा करने के अपने व्यापक उद्देश्य के कारण अधिक उदार होते हैं। इस वजह से उनका जुर्माना कम होता है।”

पब्लिक सेक्टर बैंकों में जुर्माना आमतौर पर 0.50% से 1% के बीच होता है। वहीं, प्राइवेट सेक्टर और स्मॉल फाइनेंस बैंक 1% से 1.50% तक जुर्माना लगा सकते हैं, जिससे इन बैंकों में FD समय से पहले तोड़ना निवेशकों के लिए अधिक महंगा पड़ता है।

Also Read: ITR Filing: FY25 के लिए कब तक फाइल कर सकते हैं इनकम टैक्स रिटर्न? भूल गए तो होंगे ये 5 बड़े नुकसान

ब्याज की जुर्माने में क्या है भूमिका?

कई निवेशक सोचते हैं कि ब्याज की गणना का समय—मासिक, त्रैमासिक, छमाही या सालाना—FD समय से पहले तोड़ने पर होने वाले नुकसान को प्रभावित करता है। लेकिन शेट्टी ने इस बारे में स्पष्ट किया।

उन्होंने कहा, “FD में ब्याज की गणना का समय इस बात पर असर डालता है कि जमा अवधि के दौरान ब्याज कैसे बढ़ता है। लेकिन जब FD को समय से पहले तोड़ा जाता है, तो जुर्माना उस कम ब्याज दर के आधार पर लगता है, जो FD के वास्तविक अवधि के लिए लागू होती है। यह जुर्माने की गणना पर सीधे असर नहीं डालता।”

इसलिए, भले ही ब्याज की गणना का समय पूरी अवधि तक FD चलने पर कुल रिटर्न को प्रभावित करता हो, लेकिन समय से पहले तोड़ने पर जुर्माने को कम करने में इसकी भूमिका बहुत कम होती है। शेट्टी सलाह देते हैं कि कम जुर्माना वाले बैंक चुनें और अगर समय से पहले तोड़ने की संभावना हो, तो कम अवधि की FD चुनें।

Also Read: PPF Investment: हर महीने ₹12,500 निवेश कर बनाएं 1 करोड़ रुपये का फंड, कैलकुलेशन से समझें

स्मार्ट तरीके से बनाएं अपनी रणनीति

पैसों की जरूरत पड़ने पर भारी जुर्माने से बचने के लिए, शेट्टी ने कुछ स्मार्ट रणनीतियां सुझाई हैं:

FD लैडरिंग: कुल निवेश को कई FD में बांटकर, अलग-अलग समय पर परिपक्व होने वाली FD बनाएँ। इससे निवेशकों को समय-समय पर अपने पैसे तक पहुँच मिलती है।

शेट्टी ने कहा, “ऐसा करने से निवेशक अपनी पूरी जमा राशि को समय से पहले तोड़े बिना, नियमित अंतराल पर अपने फंड का कुछ हिस्सा निकाल सकते हैं।”

स्वीप-इन सुविधा: कई बैंक स्वीप-इन खाते की सुविधा देते हैं, जिसमें बचत खाते में अतिरिक्त राशि अपने आप FD में चली जाती है। ये जमा राशि बिना किसी जुर्माने के आसानी से निकाली जा सकती है और बचत खाते की सुविधा के साथ-साथ FD के अधिक रिटर्न भी देती है।

FD पर लोन: FD तोड़ने के बजाय, निवेशक इसपर लोन ले सकते हैं।

शेट्टी कहते हैं, “बैंक आमतौर पर FD की 90% तक की राशि पर लोन देते हैं, जिसका ब्याज FD की ब्याज दर से थोड़ा अधिक होता है। यह विकल्प जुर्माने से बचने में मदद करता है और निवेश को भी बनाए रखता है।”

First Published - April 28, 2025 | 5:31 PM IST

संबंधित पोस्ट