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विदेश शिफ्ट हो रहे हैं? बैंक, डीमैट और म्युचुअल फंड में करने होंगे ये जरूरी बदलाव

नागरिकता या रेजिडेंसी स्टेटस में बदलाव होने पर केवल पेंशन ही नहीं, बल्कि बैंकिंग और निवेश से जुड़े कई जरूरी बदलाव करने होते हैं।

Last Updated- May 12, 2025 | 10:15 AM IST
Mutual Fund
Representative Image

अगर आपने भारतीय नागरिकता छोड़ दी है और आपके पास ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (OCI) कार्ड नहीं है, तो अब आपके नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) खाते पर इसका सीधा असर पड़ेगा। पेंशन फंड नियामक एवं विकास प्राधिकरण (PFRDA) के नए नियमों के अनुसार, ऐसी स्थिति में ग्राहक को तुरंत एनपीएस ट्रस्ट को सूचित करना होगा। इसके बाद उसका खाता बंद कर दिया जाएगा।

निवासी से अनिवासी बनने पर जरूरी वित्तीय बदलाव

नागरिकता या रेजिडेंसी स्टेटस में बदलाव होने पर केवल पेंशन ही नहीं, बल्कि बैंकिंग और निवेश से जुड़े कई जरूरी बदलाव करने होते हैं। आइए जानते हैं, इन जरूरी बदलावों के बारे में:

  1. बैंक अकाउंट में बदलाव जरूरी

भारत छोड़ने के बाद सभी निवासी (Resident) बैंक खाते को NRO (नॉन-रेजिडेंट ऑर्डिनरी) खाते में बदलना जरूरी होता है। इसके साथ ही, एक NRE (नॉन-रेजिडेंट एक्सटर्नल) खाता भी खोलना चाहिए।

  • NRO अकाउंट का उपयोग भारत में उत्पन्न आय जैसे किराया, ब्याज या पुराने निवेश से होने वाली आमदनी को प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
  • वहीं NRE अकाउंट में विदेशी आय जमा होती है और यह पूरी तरह से रि-पैट्रिएबल होता है, यानी आप इस पैसे को बिना किसी सीमा के भारत से बाहर अपने नए देश में भेज सकते हैं।
  1. टैक्स नियमों में फर्क
  • NRO अकाउंट पर मिलने वाले ब्याज पर भारत में टैक्स देना पड़ता है।
  • जबकि NRE अकाउंट पर मिलने वाला ब्याज टैक्स फ्री होता है।
  1. बैंक क्या मांगते हैं?

बैंक, खाता प्रकार में बदलाव करते समय व्यक्ति का विदेशी पता प्रमाण (Overseas Address Proof) मांगते हैं। यह जरूरी होता है ताकि आपके खाते का सही वर्गीकरण हो सके।

NRI के लिए म्यूचुअल फंड में निवेश के नियम: रेजिडेंट से NRI स्टेटस बदलना जरूरी

अगर आप भारत से बाहर शिफ्ट हो गए हैं और म्यूचुअल फंड में निवेश कर रहे हैं, तो जरूरी है कि आप अपना निवेश स्टेटस ‘रेजिडेंट’ से बदलकर ‘नॉन-रेजिडेंट’ कराएं। ऐसा न करने पर आगे चलकर निवेश से जुड़े कई दिक्कतें आ सकती हैं।

बैंक खाता करना होगा NRO में बदल

नया देश बसाने के बाद सबसे पहले आपको अपना लिंक्ड बैंक अकाउंट NRO (Non-Resident Ordinary) खाता में बदलना होगा। इसके बाद आपके म्यूचुअल फंड फोलियो उसी अकाउंट से लिंक हो जाएंगे।

नई इनवेस्टमेंट के लिए NRE अकाउंट ज़रूरी

अगर आप विदेश से कमाई हुई रकम से भारत में नया निवेश करना चाहते हैं, तो उसके लिए NRE (Non-Resident External) खाता खोलना होगा। इस खाते के ज़रिए आप भारत के म्यूचुअल फंड में ताजा निवेश कर सकते हैं।

KYC की प्रक्रिया थोड़ी अलग

NRI निवेशकों के लिए KYC प्रक्रिया थोड़ी विस्तृत होती है। ये KYC आप म्यूचुअल फंड हाउस या किसी रजिस्टर्ड डिस्ट्रीब्यूटर के ज़रिए पूरी कर सकते हैं। इसके तहत आपको सेबी से रजिस्टर्ड KYC रजिस्ट्रेशन एजेंसी जैसे CAMS या KFINTECH को अपडेटेड डॉक्युमेंट्स जमा करने होंगे।

जरूरी डॉक्युमेंट्स:

  • पहचान पत्र की कॉपी
  • NRI स्टेटस का सबूत (जैसे वीज़ा, वर्क परमिट, रेसिडेंस परमिट या OCI कार्ड)
  • भारत में कोई संपर्क पता
  • विदेश में निवास का प्रमाण

यह प्रक्रिया पूरी करने के बाद ही आप भारत में NRI के तौर पर म्यूचुअल फंड में सुचारु रूप से निवेश जारी रख सकते हैं।

KYC अपडेट के साथ देना होगा ये जरूरी दस्तावेज, US और UK नागरिकों के लिए अलग नियम

अगर आप अनिवासी भारतीय (NRI) हैं और म्यूचुअल फंड में निवेश कर रहे हैं या करना चाहते हैं, तो जान लें कि KYC अपडेट के लिए कुछ जरूरी दस्तावेज जमा करने होंगे।

जरूरी दस्तावेजों की लिस्ट:

NRI निवेशकों को KYC फॉर्म के साथ निम्नलिखित दस्तावेज जमा करने होंगे:

  • पहचान का प्रमाण (Proof of Identity)
  • NRI स्टेटस का प्रमाण (जैसे वीज़ा, वर्क परमिट, रेजिडेंस परमिट, OCI कार्ड आदि)
  • भारत में संपर्क का पता
  • विदेशी निवास का प्रमाण (Overseas Address Proof)

पुराने SIPs चलते रहेंगे:

यदि आपने पहले से SIP (Systematic Investment Plan) शुरू किया हुआ है, तो KYC अपडेट के बाद भी यह योजना जारी रहेगी, आपको उसे फिर से शुरू करने की जरूरत नहीं होगी।

देश के आधार पर अलग घोषणाएं जरूरी:

  • अगर NRI अमेरिका से है, तो उसे FATCA (Foreign Account Tax Compliance Act) की घोषणा देनी होगी।
  • वहीं, UK, कनाडा और अन्य 100 देशों के NRIs को CRS (Common Reporting Standard) की घोषणा देनी पड़ेगी।

सभी फंड हाउस नहीं मानते नियम:

Finnovate के CEO नेहल मोटा के मुताबिक, कुछ म्यूचुअल फंड हाउस इन वैश्विक टैक्स नियमों (FATCA/CRS) के अनुरूप नहीं हैं। ऐसे में ये फंड हाउस उन देशों के निवेशकों को निवेश की अनुमति नहीं देते जो इन नियमों की पालना की मांग करते हैं।

अगर आप एनआरआई (NRI) हैं और भारत में म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं, तो टैक्सेशन के नियम भारतीय निवासियों जैसे ही होते हैं। हालांकि, एनआरआई निवेशकों को रिडेम्पशन के समय टैक्स अलग तरीके से देना होता है।

मोटा के मुताबिक, “रेजिडेंट और एनआरआई दोनों के लिए म्यूचुअल फंड पर टैक्स नियम एक जैसे हैं, लेकिन एनआरआई को जब फंड रिडीम किया जाता है, तब टीडीएस (TDS) काटकर पैसा दिया जाता है।”

इसके अलावा, म्यूचुअल फंड से होने वाली कमाई पर टैक्स न सिर्फ भारत में बल्कि उस देश में भी लग सकता है जहां निवेशक निवास करता है। ऐसे में डबल टैक्सेशन हो सकता है। लेकिन अगर भारत और उस देश के बीच Double Taxation Avoidance Agreement (DTAA) है, तो आंशिक राहत मिल सकती है।

धवन के अनुसार, “एनआरआई को अपने नए देश में टैक्स और रिपोर्टिंग से जुड़ी जिम्मेदारियों को अच्छी तरह समझना चाहिए, ताकि किसी तरह की परेशानी से बचा जा सके।”

NRE और NRO में क्या अंतर?

  • NRE अकाउंट से पैसा रेमिट करना यानी विदेश भेजना पूरी तरह से फ्री होता है।
  • NRO अकाउंट से सालाना अधिकतम 10 लाख अमेरिकी डॉलर तक ही रेमिटेंस की अनुमति होती है।

F&O ट्रेडिंग और इन्ट्राडे पर रोक

NRE PIS अकाउंट से फ्यूचर्स और ऑप्शंस (F&O) में ट्रेडिंग की इजाजत नहीं है। लेकिन NRO non-PIS अकाउंट के ज़रिए कस्टोडियन की मदद से यह मुमकिन है, जिसमें CP (Custodian Participant) कोड की जरूरत होती है।

NRI इन्वेस्टर्स को इन्ट्राडे ट्रेडिंग की इजाजत नहीं है। हालांकि कुछ ब्रोकर NRO non-PIS अकाउंट के जरिए BTST (Buy Today Sell Tomorrow) ट्रांजैक्शन की सुविधा दे सकते हैं।

इन क्षेत्रों में ट्रेडिंग नहीं कर सकते NRI:

  • शॉर्ट सेलिंग
  • कमोडिटी ट्रेडिंग
  • करेंसी ट्रेडिंग
  • सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स में ट्रेड

NRI बनने के बाद क्या करें PPF, EPF और बीमा पॉलिसी के साथ? जानिए जरूरी बातें

अगर आप भारत छोड़कर विदेश में बसने की योजना बना रहे हैं या पहले से NRI (Non-Resident Indian) बन चुके हैं, तो आपके लिए जरूरी है कि कुछ वित्तीय निवेशों और बीमा से जुड़ी बातों का ध्यान रखें।

PPF खाता:

अगर आपने पहले से पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) अकाउंट खोल रखा है, तो आप इसे उसकी 15 साल की मूल अवधि तक जारी रख सकते हैं। लेकिन जब यह अवधि पूरी हो जाती है, तो NRI होने की स्थिति में आप इसका नवीनीकरण (extension) नहीं कर सकते।

EPF खाता:

एम्प्लॉयी प्रोविडेंट फंड (EPF) से मिलने वाले ब्याज पर NRI बनने के बाद टैक्स लगने लगता है। इसलिए इस स्थिति में आपको यह तय करना होगा कि आप EPF अकाउंट को जारी रखना चाहते हैं या बंद कराना बेहतर होगा।

बीमा पॉलिसी:

NRI बनने के बाद अपनी जीवन बीमा (Life Insurance) और स्वास्थ्य बीमा (Health Insurance) कंपनियों को अपनी नई रेजिडेंशियल स्टेटस की जानकारी जरूर दें। कुछ देशों में इन पॉलिसियों की कवरेज लागू नहीं होती। साथ ही, यह सुनिश्चित करें कि इन बीमों की प्रीमियम का भुगतान ऑटोमैटिक रूप से हो सके, ताकि किसी तरह की परेशानी न हो।

भारत में टैक्स रेजिडेंसी और टैक्स देनदारी: NRI को कब फाइल करना होता है ITR?

भारत में टैक्स रेजिडेंसी हर साल तय की जाती है, जो व्यक्ति की नागरिकता और भारत में बिताए गए दिनों पर निर्भर करती है। मुंबई के चार्टर्ड अकाउंटेंट सुरेश सुराना के अनुसार, कोई भी व्यक्ति तब टैक्स रेजिडेंट माना जाता है जब वह एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 182 दिन भारत में रहा हो। इसके अलावा, अगर कोई व्यक्ति एक वित्त वर्ष में 60 दिन या उससे ज्यादा भारत में रहा है और पिछले चार वर्षों में कुल मिलाकर 365 दिन या उससे ज्यादा भारत में रहा है, तो वह भी टैक्स रेजिडेंट की श्रेणी में आ सकता है।

नॉन-रेजिडेंट को किस आय पर देना होता है टैक्स?

अगर कोई व्यक्ति नॉन-रेजिडेंट (NRI) है, तो उसे केवल वही आय टैक्स के दायरे में आती है जो भारत में उत्पन्न हुई हो या भारत में प्राप्त हुई हो। इसमें शामिल है:

  • भारत में स्थित संपत्तियों से होने वाले कैपिटल गेन
  • भारत में अर्जित सैलरी
  • किसी भारतीय कंपनी से मिलने वाला डिविडेंड
  • भारत सरकार या किसी निवासी द्वारा दिए जाने वाले ब्याज आदि

ITR फाइल करना कब जरूरी है?

NRI को तब ITR फाइल करना जरूरी हो जाता है जब उनकी भारतीय आय बेसिक एग्जेम्प्शन लिमिट (वर्तमान में ₹2.5 लाख) से अधिक हो। हालांकि, अगर उनकी आय इस सीमा से कम भी है, फिर भी कुछ स्थितियों में उन्हें रिटर्न फाइल करना होता है:

  • अगर उन्हें लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन हुआ हो
  • अगर वे TDS रिफंड क्लेम करना चाहते हों
  • अगर वे अपने नुकसान को आगे ले जाना चाहते हों

भारत में वित्तीय लेनदेन करने और इनकम टैक्स रिटर्न भरने के लिए स्थायी खाता संख्या (PAN) अनिवार्य है।

First Published - May 12, 2025 | 10:15 AM IST

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