ITR Filing: हर साल लाखों टैक्सपेयर्स समय पर इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करते हैं ताकि वे टैक्स का कैलकुलेशन सही तरीके से कर सकें और अगर कोई अतिरिक्त टैक्स जमा हुआ है, तो उसका रिफंड पा सकें। लेकिन अक्सर देखा गया है कि लोग सिर्फ रिटर्न फाइल करने के बाद निश्चिंत हो जाते हैं और यह भूल जाते हैं कि रिफंड पाने के लिए एक अहम शर्त और पूरी करनी होती है। और यह अहम शर्त है बैंक अकाउंट का वेरिफिकेशन। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट केवल उसी अकाउंट में रिफंड भेजता है, जो ई-फाइलिंग पोर्टल पर जुड़ा और सफलतापूर्वक वेरिफाई किया गया हो। यानी अगर अकाउंट वेरिफाइड नहीं है, तो आपका रिफंड अटक सकता है या प्रक्रिया लंबी हो सकती है।
अच्छी बात यह है कि यह प्रक्रिया बिल्कुल आसान है और हर टैक्सपेयर्स इसे कुछ ही मिनटों में पूरा कर सकते हैं। पोर्टल पर लॉगिन करने से लेकर बैंक अकाउंट की जानकारी भरने और उसे वेलिडेट करने तक का पूरा तरीका सरल है। बस ध्यान रखना है कि आपका पैन कार्ड, बैंक अकाउंट में दर्ज नाम, मोबाइल नंबर और ईमेल ID एक-दूसरे से मेल खाते हों। यही मिलान आपके रिफंड की सुरक्षा और समय पर क्रेडिट सुनिश्चित करता है। इस नियम का महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि अभी असेसमेंट ईयर (AY) 2025-26 के लिए ITR फाइलिंग का समय चल रहा है, जिसकी अंतिम तारीख 15 सितंबर है। अगर आप चाहते हैं कि आपका मेहनत का पैसा समय पर वापस आए, तो बैंक अकाउंट जोड़ने और उसे वेरिफाई करने की यह प्रक्रिया बिल्कुल न टालें।
इनकम टैक्स विभाग के ई-फाइलिंग पोर्टल पर बैंक अकाउंट जोड़ना एक सीधी प्रक्रिया है। सबसे पहले, आपको www.incometax.gov.in पर अपने यूजर ID और पासवर्ड के साथ लॉगिन करना होगा। लॉगिन करने के बाद डैशबोर्ड पर ‘माय प्रोफाइल’ सेक्शन में जाएं। यहां आपको ‘माय बैंक अकाउंट’ का विकल्प मिलेगा। इस पर क्लिक करने के बाद ‘ऐड बैंक अकाउंट’ का बटन दिखाई देगा। अब आपको अपने बैंक अकाउंट का नंबर, अकाउंट का प्रकार (जैसे सेविंग या करेंट अकाउंट) और अकाउंट होल्डर का प्रकार (सिंगल या ज्वाइंट) चुनना होगा। इसके साथ ही बैंक का IFSC कोड भी दर्ज करना होगा।
IFSC कोड डालते ही बैंक और ब्रांच का नाम अपने आप भर जाएगा। अगर आपका बैंक ई-फाइलिंग पोर्टल के साथ जुड़ा हुआ है, तो आपका मोबाइल नंबर और ईमेल खुद भर जाएंगे, जिन्हें बदला नहीं जा सकता। इसके बाद ‘वैलिडेट’ बटन पर क्लिक करें। अगर वेरिफिकेशन सफल होता है, तो आपको स्क्रीन पर एक ‘सक्सेस’ का मैसेज दिखेगा और आपके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर और ईमेल पर भी इसकी सूचना मिलेगी।
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इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के नियमों के अनुसार, रिफंड केवल उसी बैंक अकाउंट में जमा किया जाता है, जो पहले से वेरिफाइड हो। वेरिफिकेशन यह सुनिश्चित करता है कि आपका बैंक अकाउंट आपके पैन कार्ड से जुड़ा है और चालू है। अगर अकाउंट वेरिफाइड नहीं है, तो रिफंड में देरी हो सकती है या वह जमा ही नहीं होगा। इसके अलावा, यह इलेक्ट्रॉनिक वेरिफिकेशन कोड (EVC) के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है, जो ITR और अन्य फॉर्म्स के वेरिफिकेशन, रिफंड री-इश्यू, पासवर्ड रीसेट और सेफ लॉगिन के लिए जरूरी है। आप एक से अधिक बैंक खातों को वेरिफाई और रिफंड के लिए जोड़ सकते हैं, लेकिन यह सुनिश्चित करें कि अकाउंट सक्रिय हो और उसका KYC पूरा हो। अगर आपके अकाउंट का वेरिफिकेशन विफल हो जाता है, तो आप ‘ऐड बैंक अकाउंट’ पेज पर जाकर इसे दोबारा वेरिफाई कर सकते हैं।
बैंक अकाउंट का वेरिफिकेशन तभी सफल होगा, जब आपका पैन कार्ड, बैंक अकाउंट में दर्ज नाम, मोबाइल नंबर, और ईमेल ID एक समान हों। अगर आपके ई-फाइलिंग पोर्टल पर दर्ज मोबाइल नंबर या ईमेल ID बैंक में दर्ज जानकारी से अलग है, तो वेरिफिकेशन के दौरान एक चेतावनी का मैसेज दिखाई देगा। ऐसी स्थिति में आपको या तो पोर्टल पर अपनी संपर्क जानकारी अपडेट करनी होगी या बैंक में दर्ज मोबाइल नंबर और ईमेल को अपडेट करना होगा। जानकारी अपडेट करने के बाद अकाउंट को दोबारा वेरिफाई करें। यह प्रक्रिया आमतौर पर कुछ घंटों में पूरी हो जाती है, लेकिन अगर कोई गलती होती है, तो यह स्थिति पोर्टल पर दिखाई देगी और आपको रजिस्टर्ड ईमेल पर भी सूचना मिलेगी।