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Income Tax Bill 2025: नया बिल 1961 के आयकर कानून से कितना अलग, क्या-क्या होंगे बदलाव, आसान भाषा में समझें

यह नया बिल पुराने कानून को सरल और टैक्सपेयर्स के लिए सुविधाजनक बनाने की कोशिश है। इसमें 23 चेप्टर, 536 सेक्शन्स और 16 शेड्यूल हैं।

Last Updated- August 11, 2025 | 4:21 PM IST
Nirmala Sitharaman
संसद में भाषण देती वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

Income Tax Bill 2025: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में संशोधित नया इनकम टैक्स बिल 2025 पेश किया। यह बिल पुराने इनकम टैक्स अधिनियम 1961 को बदलने के लिए लाया गया है, जो पिछले छह दशक से चला आ रहा है। इस नए बिल में बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली प्रवर समिती के ज्यादातर सुझावों को शामिल किया गया है। सरकार ने फरवरी में पेश किए गए इनकम टैक्स बिल को पिछले हफ्ते वापस ले लिया था, क्योंकि उसमें कुछ गलतियां थीं और उसमें कई और भी बदलाव की जरूरत थी। वित्त मंत्री ने संसद में कहा कि पुराना बिल हटाने का मकसद भ्रम से बचना और एक साफ-सुथरा, अपडेटेड बिल लाना था।

गौरतलब है कि यह नया बिल पुराने कानून को सरल और टैक्सपेयर्स के लिए सुविधाजनक बनाने की कोशिश है। इसमें 23 चेप्टर, 536 सेक्शन्स और 16 शेड्यूल हैं, जो टेबल और फॉर्मूले के जरिए आसानी से समझने के लिए बनाया गया है। वित्त मंत्री ने बताया कि इस बिल में ड्राफ्टिंग की गलतियों को ठीक किया गया है, वाक्यों को बेहतर बनाया गया है और आपस में जुड़े सेक्शन्स को सही तरीके से जोड़ा गया है।

चयन समिति ने क्या-क्या दिए सुझाव

चयन समिति ने पुराने ड्राफ्ट में कई खामियां पकड़ी थीं और इसमें बदलाव के सुझाव दिए थे। मसलन, खाली पड़ी संपत्ति पर “माना गया किराया (Deemed Fare)” और वास्तविक किराए की तुलना को और स्पष्ट करने को कहा गया। साथ ही, मकान की आय पर 30 प्रतिशत मानक कटौती अब नगरपालिका टैक्स को घटाने के बाद लागू होगी। किराए पर दी गई संपत्ति के लिए प्री-कंस्ट्रक्शन इंटरेस्ट की कटौती भी अब उपलब्ध होगी। इसके अलावा, पेंशन से जुड़ी कटौती अब उन लोगों को भी मिलेगी, जो कर्मचारी नहीं हैं, लेकिन पेंशन फंड से पेंशन पाते हैं। कमर्शियल प्रॉपर्टी को भी इस तरह परिभाषित किया गया है कि अगर वे अस्थायी रूप से इस्तेमाल न हों, तो उन पर “हाउस प्रॉपर्टी” की तरह टैक्स नहीं लगेगा।

Also Read: Income Tax Bill-2025: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया नया आयकर बिल 2025

इसके अलावा, बिल में टैक्स सिस्टम को डिजिटल और पारदर्शी बनाने के लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) को और अधिकार दिए गए हैं। TDS नियमों को सरल किया गया है, डेप्रिसिएशन के नियम आसान किए गए हैं और “टैक्स ईयर” का शुरू किया जा रहा है। यह बिल टैक्सपेयर्स के लिए जुर्माने को कम करता है और “पहले भरोसा, फिर जांच” की नीति अपनाता है, ताकि टैक्स संबंधी विवाद कम हों।

टैक्सपेयर्स को राहत देने की कोशिश 

नए बिल में कई ऐसे बदलाव किए गए हैं जो टैक्सपेयर्स को सीधा फायदा पहुचाएगा। सबसे बड़ा बदलाव इनकम टैक्स रिटर्न देर से फाइल करने वालों के लिए रिफंड का नियम है। पहले के ड्राफ्ट में सेक्शन 263 के तहत देर से रिटर्न दाखिल करने पर रिफंड नहीं मिलता था, भले ही देरी का कारण वाजिब हो, जैसे तकनीकी खराबी या बीमारी। अब इस नियम को हटा दिया गया है, जिससे टैक्सपेयर्स देर से रिटर्न दाखिल करने पर भी रिफंड का दावा कर सकेंगे।

इसके अलावा नए बिल में और थोड़ा टैक्स नियमों को पारदर्शी और डिजिटल बनाने की दिशा में भी कदम उठाया गया है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) को नियम बनाने के लिए और अधिकार दिए गए हैं, ताकि टैक्स प्रक्रिया और तेज और भ्रष्टाचार मुक्त हो सकें। बिल में फेसलेस असेसमेंट और ऑटोमेटिक केस एलोकेशन जैसे तरीकों को बढ़ावा दिया गया है। इसके साथ ही, टैक्सपेयर्स को बिना किसी टैक्स देनदारी के “निल TDS सर्टिफिकेट” लेने की सुविधा दी गई है, जिससे उनकी नकदी प्रवाह में सुधार होगा। सेक्शन 80M के तहत इंटर कॉर्पोरेट डिविडेंड पर कटौती को फिर से लागू किया गया है, जो उन कंपनियों के लिए फायदेमंद है जो स्पेशल 22 प्रतिशत टैक्स रेट का लाभ उठा रही हैं। साथ ही, पेंशन से संबंधित कटौती नॉन-एम्पलाई पर्सन तक भी बढ़ाया जाएगा, जिससे पहले सिर्फ कर्मचारियों को यह लाभ मिलता था।

First Published - August 11, 2025 | 4:20 PM IST

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