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कैसे बनाएं इमरजेंसी फंड? जानें तैयारी के टिप्स

भारतीयों के लिए इमरजेंसी फंड बनाना कितना है आसान?

Last Updated- November 23, 2023 | 4:29 PM IST
Post office time deposit scheme

महामारी के बावजूद, 4 में से तीन भारतीयों के पास अचानक आने वाले खर्चों के लिए सेविंग नहीं है।

फिनोलॉजी के एक सर्वे में पाया गया कि 75% भारतीयों के पास इमरजेंसी फंड नहीं है और अगर उन्हें अचानक नौकरी से निकाल दिया गया तो वे अपनी EMI चूक कर सकते हैं।

इमरजेंसी फंड एक सेविंग अकाउंट है जिसका उपयोग आप एकाएक खर्चों को कवर करने के लिए कर सकते हैं। यह आपकी मासिक आय का तीन से छह गुना होना चाहिए।

बैंकबाजार ने अलग-अलग आय वाले व्यक्तियों के लिए इमरजेंसी फंड बनाने में लगने वाले समय की कैलकुलेशन की है।

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ऊपर दी गई टेबल में, यदि आप अपनी मौजूदा मासिक आय का तीन गुना इमरजेंसी फंड बनाना चाहते हैं, तो इसमें आपको कुल 15 महीने लगेंगे। स्टडी से पता चला है कि अगर आप अपनी वर्तमान मासिक आय का छह गुना इमरजेंसी फंड बनाना चाहते हैं, तो इसमें आपको 28 महीने लगेंगे।

और यदि आप अपनी आय से नौ गुना इमरजेंसी फंड चाहते हैं, तो इसमें 41 महीने लगेंगे। निवेश शुरू करने से पहले, बुनियादी चीजों को कवर करना जरूरी है, यानी इमरजेंसी फंड, टर्म जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा। कई कारक, जैसे उम्र, हेल्थ कंडिशन, जॉब का नेचर और आश्रितों की संख्या, इन फैसलों को प्रभावित करते हैं।

अपना इमरजेंसी फंड बनाने के लिए, पहले अपने मासिक अनिवार्य खर्चों, जैसे घर के खर्चे, भोजन, बच्चों की एजुकेशन फीस पर खर्चा, EMI, इंश्योरेंस प्रीमियम आदि। इनमें से कुछ खर्चों को फिक्स्ड डिपॉजिट या लिक्विड फंड में अलग रखें।

विंट वेल्थ के को फाउंडर और सीईओ, अजिंक्य कुलकर्णी, आपके इमरजेंसी फंड के लिए स्वीप-इन फैसिलिटी के साथ बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट या सेविंग अकाउंट में 12 महीने के खर्चों को रखने की सलाह देते हैं।

स्वीप-इन फैसिलिटी यह सुनिश्चित करती है कि यदि आपके सेविंग अकाउंट की शेष राशि कम हो जाती है, तो बैंक आपकी फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज दर को प्रभावित किए बिना ऑटोमैटिकली आपके फिक्स्ड डिपॉजिट से आपके सेविंग अकाउंट में फंड ट्रांसफर कर देगा। आप अपने इमरजेंसी फंड के लिए एक लिक्विड फंड भी चुन सकते हैं।

लिक्विड म्यूचुअल फंड हाई क्वालिटी वाली शॉर्ट टर्म डेट सिक्योरिटी में निवेश करते हैं, जैसे सरकारी बांड और कॉर्पोरेट बांड जो 91 दिनों के भीतर मैच्योर होते हैं। ये फिक्स्ड डिपॉजिट की तुलना में थोड़ा ज्यादा रिटर्न देते हैं और उन निवेशकों के लिए उपयुक्त हैं जो छोटी अवधि के लिए एकमुश्त राशि जमा करना चाहते हैं, जैसे कि तीन महीने बाद एक फ्लैट पर डाउन पेमेंट करना चाहते हैं।

कुलकर्णी कहते हैं, यदि आपको कोई बोनस मिला है और आप जल्द ही एक घर खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो आप अपनी कागजी कार्रवाई को अंतिम रूप देते समय इसे लिक्विड म्यूचुअल फंड में रख सकते हैं। हालांकि, लिक्विड म्यूचुअल फंड से पैसा निकालने में 1-2 कार्य दिवस लगते हैं।

बैंकबाजार के सीईओ आदिल शेट्टी ने कहा, “लिक्विड फंड चुनते समय, ऐसे फंड की तलाश करें जिसने अतीत में अपने बेंचमार्क और समकक्ष फंडों से लगातार बेहतर प्रदर्शन किया हो। आप कम व्यय अनुपात वाला प्रत्यक्ष फंड भी चुन सकते हैं। हालांकि, ध्यान रखें कि लिक्विड फंड केवल पिछले रिटर्न की पेशकश करते हैं और भविष्य के रिटर्न की गारंटी नहीं दे सकते। दूसरी ओर, फिक्स्ड डिपॉजिट गारंटी एडवांस रिटर्न प्रदान करते हैं।”

First Published - November 14, 2023 | 6:52 PM IST

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