Credit Score: आजकल युवाओं के लिए नौकरी ढूंढना अपने आप में एक बड़ा टास्क है। रिज्यूमे तैयार करना, परीक्षा देना, इंटरव्यू की तैयारी करना और फिर सही कंपनी में अपनी जगह बनाना, युवाओं के लिए ये सब आसान नहीं होता। लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि आपका क्रेडिट स्कोर भी इस दौड़ में आपके लिए रुकावट बन सकता है? जी हां, अब कुछ कंपनियां और खासकर फाइनेंस, बैंकिंग और सरकारी संस्थान नौकरी के लिए उम्मीदवारों के क्रेडिट स्कोर की जांच भी कर रहे हैं।
क्रेडिट स्कोर एक तरह का नंबर है, जो ये बताता है कि आप अपनी फाइनेंशियल जिम्मेदारियों को कितनी अच्छी तरह निभाते हैं या नहीं। अगर आप अपने लोन की EMI समय पर भरते हैं, क्रेडिट कार्ड का बिल समय पर चुकाते हैं, तो आपका क्रेडिट स्कोर अच्छा रहता है। भारत में CIBIL, Equifax और Experian जैसी एजेंसियां ये स्कोर तय करती हैं, जो आमतौर पर 300 से 900 के बीच होता है। 750 या उससे ज्यादा स्कोर को अच्छा माना जाता है।
खासकर बैंकिंग, फाइनेंस और कुछ सरकारी कंपनियां क्रेडिट स्कोर को उम्मीदवार की ईमानदारी और जिम्मेदारी का पैमाना मानती हैं। बैंकिंग और फाइनेंशियल एक्सपर्ट मोहित गांग के मुताबिक, अब कुछ एम्पलॉयर क्रेडिट स्कोर को बैकग्राउंड चेक का हिस्सा मानते हैं। उनका मानना है कि अगर कोई व्यक्ति अपने पैसे का हिसाब-किताब ठीक नहीं रख सकता, तो वो कंपनी की जिम्मेदारियों को भी शायद ठीक से नहीं निभाए।
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सभी कंपनियां आपके क्रेडिट स्कोर की जांच नहीं करतीं। लेकिन बैंक, इंश्योरेंस कंपनियां और कुछ सरकारी फाइनेंशियल सेक्टर की कंपनियां, जहां पैसों से जुड़े बड़े फैसले लिए जाते हैं, वहां क्रेडिट स्कोर की जांच आम बात है। मिसाल के तौर पर, अगर आप किसी बैंक में मैनेजर या कैशियर की पोस्ट के लिए अप्लाई कर रहे हैं, तो कंपनी ये देखना चाहेगी कि आप अपने पर्सनल फाइनेंस को कितनी जिम्मेदारी से हैंडल करते हैं।
मोहित गांग कहते हैं, “भारत में प्राइवेट सेक्टर की कई कंपनियां, खासकर मल्टीनेशनल फर्म्स, अब बैकग्राउंड चेक के दौरान क्रेडिट स्कोर को शामिल कर रही हैं। ये सिर्फ फाइनेंशियल जॉब्स तक सीमित नहीं है। कुछ टेक और कंसल्टिंग फर्म्स भी ऐसा कर रही हैं, खासकर तब जब जॉब में क्लाइंट्स के साथ डायरेक्ट डीलिंग या बड़े बजट की जिम्मेदारी शामिल हो।”
अगर आपका क्रेडिट स्कोर कम है, तो क्या इसका मतलब ये है कि आपको नौकरी नहीं मिलेगी? जरूरी नहीं, लेकिन हां, ये आपकी राह में रुकावट जरूर बन सकता है।
मोहित कहते हैं, “खराब क्रेडिट स्कोर की वजह से कुछ उम्मीदवारों की जॉब एप्लिकेशन रिजेक्ट हो सकती है। कंपनियां मानती हैं कि अगर कोई व्यक्ति अपने फाइनेंस को मैनेज नहीं कर पा रहा, तो उसका तनाव और प्रेशर काम पर भी असर डाल सकता है।”
उदाहरण के लिए, अगर आपने क्रेडिट कार्ड का बिल बार-बार मिस किया या लोन की EMI समय पर नहीं भरी, तो आपका क्रेडिट स्कोर कम हो सकता है। ये कंपनियों को लग सकता है कि आप गैर-जिम्मेदार हैं। खासकर उन जॉब्स में जहां ट्रस्ट और ईमानदारी बहुत मायने रखती है, कम क्रेडिट स्कोर आपको पीछे धकेल सकता है। हालांकि, हर कंपनी का नियम अलग होता है। कुछ जगहों पर क्रेडिट स्कोर को सिर्फ एक फैक्टर के तौर पर देखा जाता है, न कि पूरी तरह से डिसाइडिंग फैक्टर के रूप में।
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हां, कंपनियों को कानूनी तौर पर आपके क्रेडिट स्कोर को चेक करने का अधिकार है, बशर्ते वो बैकग्राउंड चेक का हिस्सा हो।
मोहित कहते हैं, “कंपनियों के लिए संभावित कर्मचारी का क्रेडिट स्कोर जांचना गैरकानूनी नहीं है। जिस व्यक्ति को वे काम पर रखने जा रहे हैं, उसकी पृष्ठभूमि की जांच करना उनके अधिकार क्षेत्र में आता है।”
बता दें कि भारत में The Credit Information Companies (Regulation) Act, 2005 के तहत कंपनियां क्रेडिट ब्यूरो से आपकी क्रेडिट रिपोर्ट ले सकती हैं, बशर्ते आपके पास इसकी अनुमति हो। ज्यादातर जॉब एप्लिकेशन में आपसे एक सहमति फॉर्म साइन करवाया जाता है, जिसमें बैकग्राउंड चेक की परमिशन शामिल होती है।
मोहित के मुताबिक, भारत में कंपनियां क्रेडिट स्कोर को बैकग्राउंड चेक का एक हिस्सा मान रही हैं, खासकर तब जब जॉब में फाइनेंशियल डिसीजन लेने की जिम्मेदारी शामिल हो। हालांकि, ये जरूरी नहीं कि हर कंपनी ऐसा करे। छोटी कंपनियां या स्टार्टअप्स में शायद ही क्रेडिट स्कोर की जांच हो।
अगर आपको लगता है कि आपका क्रेडिट स्कोर कम है और ये आपकी नौकरी की राह में रुकावट बन सकता है, तो घबराने की जरूरत नहीं। कुछ आसान स्टेप्स से आप इसे सुधार सकते हैं। सबसे पहले, अपनी क्रेडिट रिपोर्ट चेक करें। CIBIL या Equifax की वेबसाइट पर जाकर आप अपनी रिपोर्ट देख सकते हैं। अगर उसमें कोई गलती है, जैसे गलत लोन या बिल की एंट्री, तो उसे ठीक करवाएं।
इसके अलावा, अपने बिल और EMI समय पर चुकाएं। अगर आपके पास क्रेडिट कार्ड है, तो उसका बैलेंस ज्यादा न बढ़ने दें। कई बार ऐसा होता है कि क्रेडिट स्कोर को सुधारने में 6 से 12 महीने लग सकते हैं, बशर्ते आप नियमित तौर पर अपने फाइनेंशियल कमिटमेंट्स पूरे करें। अगर आप जॉब के लिए अप्लाई करने वाले हैं, तो पहले से अपनी क्रेडिट हेल्थ चेक कर लें।
2025 में अगर आप नौकरी ढूंढ रहे हैं, तो सिर्फ रिज्यूमे और इंटरव्यू की तैयारी ही काफी नहीं। आपको अपने क्रेडिट स्कोर पर भी नजर रखनी चाहिए, खासकर अगर आप फाइनेंस, बैंकिंग या ऐसी जॉब्स के लिए अप्लाई कर रहे हैं, जहां पैसों से जुड़ी जिम्मेदारी हो। अपने क्रेडिट स्कोर को चेक करें, और अगर वो कम है, तो उसे सुधारने की कोशिश शुरू करें। साथ ही, जॉब अप्लाई करते वक्त ये पूछ लें कि क्या कंपनी बैकग्राउंड चेक में क्रेडिट स्कोर देखती है। इससे आपको पहले से तैयारी करने में मदद मिलेगी।
अब क्रेडिट स्कोर का नौकरी से रिश्ता पहले से और अधिक गहरा हो गया है। जैसे-जैसे कंपनियां बैकग्राउंड चेक को और सख्त कर रही हैं, वैसे-वैसे उम्मीदवारों को भी अपनी फाइनेंशियल हेल्थ पर ध्यान देना होगा। एक्सपर्ट के मुताबिक, क्रेडिट स्कोर सिर्फ लोन लेने या क्रेडिट कार्ड यूज करने तक सीमित नहीं रहा, अब ये लोगों के करियर को भी शेप दे सकता है। इसलिए जॉब केलिए अप्लाई करने से पहले अपने क्रेडिट स्कोर को भी चेक करना जरूरी हो गया है।