लोग उस समय हैरान-परेशान हो जाते हैं जब वे अपने ऋण और कार्ड पर बकाया का भुगतान समय पर कर देते हैं, फिर भी उनका क्रेडिट स्कोर बेहतर नहीं होता। इससे लोगों को यह सवाल परेशान करता रहता है कि आखिर क्यों उनका जिम्मेदारी भरा वित्तीय व्यवहार भी उनके क्रेडिट स्कोर को सकारात्मक नहीं बना पा रहा है, जिसका सीधा असर उनके ऋण लेने की पात्रता पर पड़ता है।
गुरुग्राम में रहने वाले आईटी प्रोफेशनल 30 वर्षीय अरुण कुमार कहते हैं, ‘मैं पिछले दो साल से अपने सभी बिल समय पर चुकता कर रहा हूं, लेकिन मेरा सिबिल स्कोर जस का तस है। इससे मुझे निराशा तो होती ही है, मैं यह भी नहीं समझ पा रहा कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है।’
बैंक से ऋण लेते समय आमतौर पर संबंधित व्यक्ति का क्रेडिट स्कोर देखा जाता है। उसी के आधार पर तय होता है कि जरूरतमंद को कितना लोन मिलेगा… अथवा मिलेगा भी या नहीं। यदि क्रेडिट स्कोर अच्छा नहीं है तो बैंक ऋण देने में आना-कानी करते हैं। ऋण और तमाम बिलों का समय पर भुगतान करने के बावजूद क्रेडिट स्कोर में सुधार नहीं होने के कई कारण हो सकते हैं। इनमें कुछ नीचे दिए गए हैं-
इसकी गणना अमूमन ऋण की कुल राशि को उपलब्ध क्रेडिट लिमिट से भाग देकर की जाती है। इसे ऐसे समझिए कि यदि आपकी लिमिट 10,000 रुपये है और आपने 8000 रुपये इस्तेमाल कर लिए तो आपका क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेश्यो 80 फीसदी हुआ। विशेषज्ञ बेहतर क्रेडिट स्कोर बनाए रखने के लिए इस रेश्यो को 30 फीसदी से नीचे बनाए रखने की सलाह देते हैं। ज्यादा यूटिलाइजेशन रेश्यो आपके क्रेडिट स्कोर को कम कर सकता है।
क्रेडिट मिक्स अथवा क्रेडिट अकाउंट में विविधता एक और ऐसा कारक है, जिसका असर सीधे तौर पर आपके क्रेडिट स्कोर पर पड़ता है। होम लोन, पर्सनल लोन एवं क्रेडिट कार्ड आदि मिक्स या विविधतापूर्ण क्रेडिट आपके ऋण प्रबंधन कौशल को दर्शाता है। यहां भी ध्यान देने वाली बात है कि विविधतापूर्ण अथवा मिक्स क्रेडिट नहीं होने से आपका क्रेडिट स्कोर प्रभावित हो सकता है।
बहुत कम समय में कई क्रेडिट कार्ड अथवा ऋण के लिए आवेदन करने से भी आपका क्रेडिट स्कोर नीचे जा सकता है। जब-जब आप ऋण या क्रेडिट कार्ड के लिए अप्लाई करते हैं तब-तब ऋणदाता आपके वित्तीय लेन-देन की पड़ताल करते हैं। इससे भी क्रेडिट स्कोर कुछ प्वाइंट घट सकता है।
अपनी क्रेडिट रिपोर्ट की समीक्षा करते समय इस बात पर जरूर ध्यान देना चाहिए कि इसमें केवल आपसे संबंधित चीजें ही हों। इस बारे में पूरी तरह आश्वस्त हो जाएं कि इसमें दी गई सभी सूचनाएं और जानकारियां बिल्कुल सही और पूर्ण हों। यह बहुत जरूरी है कि उपभोक्ताओं को समय-समय पर अपनी क्रेडिट रिपोर्ट को देखते रहना चाहिए। यदि उसमें कोई गलती मिले तो फौरन उसे दूर करें। इसे नजरअंदाज करने से निश्चित रूप से क्रेडिट स्कोर पर चोट पड़ेगी।
किसी के साथ मिलकर ऋण लेने के कारण भी आपका क्रेडिट स्कोर टूट सकता है क्योंकि यदि एक साथी ऋण का भुगतान करने में असमर्थ रहता है, तो दूसरे पर उसके भुगतान की जिम्मेदारी स्वत: आ जाती है। ऐसे में यह आपका डेट टू इनकम रेश्यो बढ़ा सकता है और क्रेडिट स्कोर घट जाएगा।
पेमेंट हिस्ट्री : समय पर क्रेडिट कार्ड, ऋण और बिलों के भुगतान पर नजर रखी जाती है। यदि भुगतान देर से होता है या इसमें चूक करते हैं, तो इससे क्रेडिट स्कोर कम हो जाता है।
यूटिलाइजेशन रेश्यो : यह महत्त्वपूर्ण है कि बेहतर क्रेडिट स्कोर के लिए यूटिलाइजेशन रेश्यो को 30 प्रतिशत के नीचे रखा जाए।
क्रेडिट हिस्ट्री : क्रेडिट स्कोर के लिए यह भी देखा जाता है कि आपका क्रेडिट अकाउंट कितना पुराना है। लंबी क्रेडिट हिस्ट्री अमूमन क्रेडिट स्कोर पर सकारात्मक असर डालती है।
क्रेडिट मिक्स : जब बात क्रेडिट स्कोर या ऋण पात्रता की आती है तो बैंक या ऋणदाता आपके क्रेडिट मिक्स जैसे क्रेडिट कार्ड, ऋण या मॉर्टगेज को जरूर देखते हैं। निश्चित रूप से विविधतापूर्ण क्रेडिट मिक्स से आपका स्कोर सुधरता है।
नई क्रेडिट पूछताछ: जब-जब आप नए ऋण के लिए आवेदन करते हैं तो ऋणदाता बैंक अथवा एजेंसियां आपके बारे में और गहराई से जांच-पड़ताल करती हैं। बार-बार ऐसा होने पर अस्थायी तौर पर क्रेडिट स्कोर प्रभावित हो सकता है।