Tax-Saving Investments: पिछले वित्त वर्ष में कर बचाने के लिए अगर आपको 31 मार्च तक निवेश की अफरातफरी में फंसना पड़ा था तो आपको वह रफ्तार नए वित्त वर्ष की शुरुआत में भी बरकरार रखनी चाहिए। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए कर बचाने की योजना अगर शुरू में ही बना ली जाएगी तो आपको साल भर अपने रुपये-पैसे को अच्छी तरह संभालने में मदद मिलेगी और कर बचाने के लिए आप वहां निवेश कर पाएंगे, जहां से सबसे ज्यादा फायदा मिलता है।
प्लान अहेड वेल्थ एडवाइजर्स के संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) विशाल धवन कहते हैं, ‘कर बचाने की शुरुआत साल की शुरुआत में ही कर ली तो आप साल के आखिर में होने वाले तनाव से बच सकते हैं। यह तनाव तब होता है, जब आपकी कंपनी या नियोक्ता कर बचत के लिए किए गए निवेश के सबूत मांगने लगते हैं। योजना शुरू में ही बना ली तो कर कर बचाने के लिए निवेश करते समय अपने वित्तीय लक्ष्यों को ध्यान रखना आसान होता है।’
अरविंद राव ऐंड एसोसिएट्स के संस्थापक अरविंद ए राव का कहना है, ‘जब आप कर देनदारी के बारे में पूरे साल की योजना बना लेते हैं तो आपको अच्छी तरह पता होता है कि कर कितना बनेगा और नकदी खर्च या निवेश करने के मामले में भी आपका अधिक नियंत्रण होता है। ऐसे में आप निवेश के मौकों का भी ज्यादा से ज्यादा फायदा उठा सकते हैं।’
सबसे पहले देखिए कि पूरे साल में आपके ऊपर कितना कर बनने वाला है। अगर आप नौकरीपेशा हैं तो पिछले साल में तनख्वाह में हुई बढ़ोतरी के हिसाब से अनुमान लगाएं कि इस साल आपके वेतन में कितनी वृद्धि हो सकती है। धवन बताते हैं, ‘पिछले साल जो भी कमाई हुई थी, उसके हिसाब से इस बार की कमाई का अंदाजा लगाएं। यह भी देखें कि कहां-कहां कर अपने आप बच जाएगा मसलन स्कूल फीस, कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) में अंशदान आदि।’
कुछ खर्च ऐसे होते हैं, जिनकी किस्तें चल रही होती हैं जैसे जीवन बीमा प्रीमियम, स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम और इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ईएलएसएस) में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) शामिल हैं। अगर आपका होम लोन चल रहा है तो बैंक या वित्तीय कंपनी से पूछिए कि उस वित्त वर्ष में आपसे कुल कितना मूलधन लिया जाएगा और कितना ब्याज वसूला जाएगा। नौकरीपेशा लोग देखें कि साल भर में उनका कितना ईपीएफ कटेगा।
राव एक अहम सलाह देते हैं। उनका कहना है कि अपनी कर देनदारी के हिसाब से देख लें कि आपके लिए पुरानी कर व्यवस्था बेहतर रहेगी या नई कर व्यवस्था में कम कर लगेगा। उसके हिसाब से ही आपको निवेश करना चाहिए।
आखिरी समय में एकाएक निवेश करके आप थोड़ा-बहुत कर तो बचा सकते हैं मगर आपके वित्तीय लक्ष्यों को इससे कोई फायदा नहीं होता। मान लीजिए कि कर बचाने के फेर में आप हड़बड़ी करते हुए सामान्य जीवन बीमा पॉलिसी खरीद लेते हैं तो हो सकता है कि उसमें पर्याप्त रकम का बीमा न हो और अच्छा रिटर्न भी न मिले।
जर्मिनेट इन्वेस्टर सर्विसेज के संस्थापक संतोष जोसेफ मानते हैं, ‘वित्तीय लक्ष्यों को कर योजना के हिसाब से ढालने पर आप अपने पैसे का ज्यादा अच्छा इस्तेमाल कर पाएंगे यानी वित्तीय लक्ष्य भी पूरे कर पाएंगे और कर भी बचा पाएंगे।’ अगर आपके जीवनसाथी, माता-पिता और बच्चे आप पर आश्रित हैं तो अच्छी खासी रकम का टर्म बीमा खरीदना चाहिए।
कर योग्य आय में से 1.5 लाख रुपये तक की कटौती आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत हो सकती है। इसके लिए ईपीएफ और लोक भविष्य निधि (पीपीएफ) में अंशदान किया जा सकता है, जीवन बीमा प्रीमियम, राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र, ईएलएसएस, सुकन्या समृद्धि योजना में निवेश किया जा सकता है। दो बच्चों की ट्यूशन फीस और होम लोन के तहत चुकाया गया मूलधन भी इसी के दायरे में आता है।
राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) में 50,000 रुपये तक का अंशदान धारा 80 सीसीडी (1बी) के तहत कटौती का पात्र है, जो धारा 80 सीसीडी (1) के तहत 1.5 लाख रुपये की कटौती के अलावा है। अपने, जीवनसाथी, संतान और माता-पिता के स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम के जरिये कुल 25,000 रुपये सालाना की कटौती का लाभ मिल सकता है। वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह कटौती 50,000 रुपये है।
धवन कहते हैं, ‘युवा निवेशकों को ईएलएसएस ज्यादा कारगर लग सकता है क्योंकि इसमें लॉक-इन अवधि छोटी होती है और महंगाई के हिसाब से ज्यादा रिटर्न हासिल हो जाता है। चक्रवृद्धि का फायदा उठाने और कर बचाते हुए रिटायरमेंट के लिए पैसा बचाने के लिहाज से युवा निवेशक एनपीएस में रकम लगाने के बारे में भी सोच सकते हैं।’
जोसेफ की बुजुर्गों के लिए खास सलाह है। वह कहते हैं, ‘जिन वरिष्ठ नागरिकों के पास कोई सक्रिय आय नहीं है, उन्हें भी यह पक्का कर लेना चाहिए कि उनके पास आने वाली नकदी पर कम से कम कर कटे।’
यह जरूर ध्यान रखें कि आपका निवेश आपके वित्तीय लक्ष्यों से मेल खाता हो। मान लीजिए कि आप कई साल तक चलने वाली यूनिट-लिंक्ड बीमा योजना (यूलिप) में निवेश करना चाहते हैं या होम लोन लेने की सोच रहे हैं तो पहले यह देखिए कि ये दोनों आपके वित्तीय लक्ष्यों के माफिक हैं या नहीं और इनसे आपके पास नकदी की कमी तो नहीं हो जाएगी।
धवन की सलाह है, ‘लंबी अवधि के लक्ष्यों के लिए एनपीएस, सेवानिवृत्ति के अनुकूल म्युचुअल फंड, पीपीएफ, ईपीएफ और ईएलएसएस पर विचार किया जा सकता है। अगर लक्ष्य उतने दूर नहीं हैं तो आप सावधि जमा पर विचार कर सकते हैं। स्वास्थ्य बीमा सबके पास होना चाहिए क्योंकि इससे धारा 80डी के तहत फायदा मिलता है।’
राव की सलाह कुछ अलग है। वह कहते हैं, ‘कर बचाते समय कम अवधि के किसी भी लक्ष्य का ध्यान नहीं रखना चाहिए क्योंकि ईएलएसएस जैसे साधनों में भी लॉक-इन कम से कम तीन साल का होता है। ईएलएसएस इक्विटी यानी शेयरों से जुड़ा साधन है और उसे लंबी अवधि के लिए ही रखना चाहिए।’