करीब 5-10 साल पहले उच्च रक्तचाप अथवा मधुमेह जैसी बीमारियों से पीड़ित वरिष्ठ नागरिक को स्वास्थ्य बीमा कवर लेने में तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता था। मगर अब बीमाकर्ताओं की अंडरराइटिंग और कवर जारी करने की क्षमता में काफी सुधार हुआ है। इससे वरिष्ठ नागरिकों के लिए स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी लेना आसान हो गया है। बढ़ती जीवन प्रत्याशा और स्वास्थ्य सेवा लागत में तेजी के मद्देनजर स्वास्थ्य बीमा कवर हासिल करना बेहद जरूरी हो गया है। पिछले सप्ताह टाटा एआईजी जनरल इंश्योरेंस ने इस आयु वर्ग के लोगों के लिए एक नई पॉलिसी लॉन्च की।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए पॉलिसियों में आजकल काफी सहूलियत दी जाती है। पॉलिसीबाजार डॉट कॉम के कारोबार प्रमुख (स्वास्थ्य बीमा) सिद्धार्थ सिंघल ने कहा, ‘पहले उनमें सह-भुगतान अनिवार्य था। मगर अब ग्राहक अतिरिक्त प्रीमियम का भुगतान करके सह-भुगतान की शर्त को हटा सकते हैं। अगर ग्राहक अपना प्रीमियम कम करना चाहते हैं तो वे अधिक सह-भुगतान का विकल्प भी चुन सकते हैं।’ ऐसी कुछ पॉलिसियों में उम्र को बढ़ाकर 99 वर्ष तक कर दिया गया। इसका मतलब साफ है कि 70 और 80 वर्ष के लोग भी इन्हें खरीद सकते हैं। पहले से मौजूद बीमारियों के लिए मानक प्रतीक्षा अवधि आम तौर पर 4 साल होती थी। सिंघल ने, ‘अधिक प्रीमियम का भुगतान करते हुए खरीदार अब प्रतीक्षा अवधि भी कम करवा सकते हैं।’
वरिष्ठ नागरिकों के लिए पॉलिसी आम तौर पर महंगी होती है। सना इंश्योरेंस ब्रोकर्स के प्रमुख (बिक्री एवं सेवा) नयन गोस्वामी ने कहा, ‘आवश्यकताओं के साथ-साथ कई उप-सीमाएं और सह-भुगतान भी आते हैं। कुछ लोग महंगी सर्जरी को कवरेज के दायरे से बाहर रखते हैं।’ऐसी कुछ ही पॉलिसी हैं जहां ओपीडी कवरेज भी प्रदान की गई है।
इन बातों की कर लें जांच
कुछ पॉलिसियों में कमरे के किराये की सीमा बीमा राशि का 2 फीसदी हो सकती है। अगर आप महानगर के किसी बड़े अस्पताल में जाते हैं तो कमरे का किराया पॉलिसी की सीमा से अधिक हो सकती है। ऐसे में बीमाकर्ता द्वारा आपको प्रतिपूर्ति की जाने वाली राशि प्रभावित होगी।
सिंघल ने कहा, ‘ऐसी पॉलिसी चुनें जिसमें कम से कम एक निजी वातानुकूलित कमरा उपलब्ध हो।’
खास बीमारियों पर उप-सीमाएं
मोतियाबिंद, हर्निया आदि धीरे-धीरे उभरने वाली बीमारियों पर उप-सीमाएं हो सकती हैं। पॉलिसी में आधुनिक उपचारों पर भी उप-सीमाएं लगाई जाती हैं। मेहता ने कहा, ‘यह सुनिश्चित करें कि ये लगाई गई सीमाएं कम से कम उचित हों।’
कटौती अस्पताल के बिल का वह हिस्सा है जिसका भुगतान बीमाधारक को अपनी जेब से करना होगा। अगर बिल उस रकम से अधिक है तभी बीमाकर्ता भुगतान करता है। यदि अस्पताल का बिल 10 लाख रुपये है और कटौती 1 लाख रुपये की है तो बीमाकर्ता 9 लाख रुपये का भुगतान करेगा।
सह-भुगतान का अर्थ यह भी है कि बीमाधारक बिल के एक हिस्से का भुगतान करता है। सह-भुगतान फीसदी में बताया जाता है। अगर कुल बिल 10 लाख रुपये है और सह-भुगतान 20 फीसदी है तो बीमाधारक को 2 लाख रुपये और बीमाकर्ता को 8 लाख रुपये का भुगतान करना होगा।
वरिष्ठ नागरिकों की पॉलिसी का प्रीमियम अधिक होता है। ऐसे में सह-भुगतान अथवा कटौती विकल्प चुनकर प्रीमियम को कम किया जा सकता है।
सिंघल ने कहा, ‘सह-भुगतान के मामले में बिल बढ़ने पर ग्राहक को भुगतान की जाने वाली रकम बढ़ जाती है। अगर वह कटौती का विकल्प चुनता है तो उसकी देनदारी एक निश्चित रकम तक सीमित हो जाती है। ऐसे में बाद वाला विकल्प ही बेहतर रहेगा।’
पता लगाएं कि क्या कटौती समग्र आधार पर है अथवा प्रति दावा आधार पर। अगर कटौती की रकम 25,000 रुपये समग्र आधार पर है तो ग्राहक को एक वर्ष में केवल 25,000 रुपये तक का भुगतान करना होगा। लेकिन यदि वह प्रति दावा आधार पर है तो उसे हरेक दावे के लिए 25,000 रुपये का भुगतान करना होगा। सिंघल ने कहा, ‘कुल कटौती योग्य विकल्प चुनना बेहतर रहेगा।’