facebookmetapixel
Editorial: बाजार में एसएमई आईपीओ की लहरराष्ट्र की बात: कहानियां गढ़ने में डीपफेक से पैदा हुई नई चुनौतीजलवायु परिवर्तन नहीं सत्ता परिवर्तन असल मुद्दा!क्विक कॉमर्स में स्टार्टअप की नई रणनीतिपिछड़ा अरट्टई, व्हाट्सऐप फिर नंबर एक; एआई सर्च इंजन परप्लेक्सिटी ने भारतीयों का ध्यान ज्यादा खींचा‘पाक से रिश्ते भारत की कीमत पर नहीं’…अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा – भारत के साथ हमारी दोस्ती गहरीसिल्क सिटी भागलपुर के रेशम का घुट रहा दम, ट्रंप टैरिफ से बढ़ी गर्दिशसस्ते आयात से स्टील के दाम पर दबाव की आशंका, उद्योग के साथ महत्त्वपूर्ण बैठक करेगा इस्पात मंत्रालयपोर्टल पर हो नौकरियों का सटीक आंकड़ा, श्रम मंत्रालय से मजबूत तंत्र विकसित करने का आग्रहभारत बनेगा खिलौनों का ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब, ₹13000 करोड़ की योजना पर काम कर रही सरकार

बुजुर्गों के स्वास्थ्य बीमा में को-पे से बेहतर रहेगा डिडक्टिबल

बढ़ती जीवन प्रत्याशा और स्वास्थ्य सेवा लागत में तेजी के मद्देनजर स्वास्थ्य बीमा कवर हासिल करना बेहद जरूरी हो गया है।

Last Updated- November 05, 2023 | 10:51 PM IST
LIC Jeevan Arogya Scheme

करीब 5-10 साल पहले उच्च रक्तचाप अथवा मधुमेह जैसी बीमारियों से पीड़ित वरिष्ठ नागरिक को स्वास्थ्य बीमा कवर लेने में तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता था। मगर अब बीमाकर्ताओं की अंडरराइटिंग और कवर जारी करने की क्षमता में काफी सुधार हुआ है। इससे वरिष्ठ नागरिकों के लिए स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी लेना आसान हो गया है। बढ़ती जीवन प्रत्याशा और स्वास्थ्य सेवा लागत में तेजी के मद्देनजर स्वास्थ्य बीमा कवर हासिल करना बेहद जरूरी हो गया है। पिछले सप्ताह टाटा एआईजी जनरल इंश्योरेंस ने इस आयु वर्ग के लोगों के लिए एक नई पॉलिसी लॉन्च की।

फ्लेग्जिबल पॉलिसी

वरिष्ठ नागरिकों के लिए पॉलिसियों में आजकल काफी सहूलियत दी जाती है। पॉलिसीबाजार डॉट कॉम के कारोबार प्रमुख (स्वास्थ्य बीमा) सिद्धार्थ सिंघल ने कहा, ‘पहले उनमें सह-भुगतान अनिवार्य था। मगर अब ग्राहक अतिरिक्त प्रीमियम का भुगतान करके सह-भुगतान की शर्त को हटा सकते हैं। अगर ग्राहक अपना प्रीमियम कम करना चाहते हैं तो वे अधिक सह-भुगतान का विकल्प भी चुन सकते हैं।’ ऐसी कुछ पॉलिसियों में उम्र को बढ़ाकर 99 वर्ष तक कर दिया गया। इसका मतलब साफ है कि 70 और 80 वर्ष के लोग भी इन्हें खरीद सकते हैं। पहले से मौजूद बीमारियों के लिए मानक प्रतीक्षा अवधि आम तौर पर 4 साल होती थी। सिंघल ने, ‘अधिक प्रीमियम का भुगतान करते हुए खरीदार अब प्रतीक्षा अवधि भी कम करवा सकते हैं।’

महंगी पॉलिसी

वरिष्ठ नागरिकों के लिए पॉलिसी आम तौर पर महंगी होती है। सना इंश्योरेंस ब्रोकर्स के प्रमुख (बिक्री एवं सेवा) नयन गोस्वामी ने कहा, ‘आवश्यकताओं के साथ-साथ कई उप-सीमाएं और सह-भुगतान भी आते हैं। कुछ लोग महंगी सर्जरी को कवरेज के दायरे से बाहर रखते हैं।’ऐसी कुछ ही पॉलिसी हैं जहां ओपीडी कवरेज भी प्रदान की गई है।

इन बातों की कर लें जांच

पॉलिसी की शर्तों अथवा ग्राहक सूचना को ध्यान से पढ़ें। पॉलिसी खरीदते समय इन बातों पर विशेष ध्यान दें:

कमरे के किराये की सीमा

कुछ पॉलिसियों में कमरे के किराये की सीमा बीमा राशि का 2 फीसदी हो सकती है। अगर आप महानगर के किसी बड़े अस्पताल में जाते हैं तो कमरे का किराया पॉलिसी की सीमा से अधिक हो सकती है। ऐसे में बीमाकर्ता द्वारा आपको प्रतिपूर्ति की जाने वाली राशि प्रभावित होगी।

सिंघल ने कहा, ‘ऐसी पॉलिसी चुनें जिसमें कम से कम एक निजी वातानुकूलित कमरा उपलब्ध हो।’

प्रतीक्षा अवधि

खरीदारों को पहले से मौजूद बीमारियों के लिए प्रतीक्षा अवधि की जांच करनी चाहिए। सिक्योरनाउ के सह-संस्थापक कपिल मेहता ने कहा, ‘अधिकतर पॉलिसी में दो साल की प्रतीक्षा अवधि होती है।’
सिंघल ने कहा कि अतिरिक्त प्रीमियम का भुगतान करके प्रतीक्षा अवधि को घटाकर 31 दिन (कुछ मामलों में एक दिन भी) करना संभव है। उन्होंने कहा कि जो वरिष्ठ नागरिक खर्च वहन कर सकते हैं वे इस विकल्प को चुन सकते हैं।

खास बीमारियों पर उप-सीमाएं

मोतियाबिंद, हर्निया आदि धीरे-धीरे उभरने वाली बीमारियों पर उप-सीमाएं हो सकती हैं। पॉलिसी में आधुनिक उपचारों पर भी उप-सीमाएं लगाई जाती हैं। मेहता ने कहा, ‘यह सुनिश्चित करें कि ये लगाई गई सीमाएं कम से कम उचित हों।’

कटौती और सह-भुगतान

कटौती अस्पताल के बिल का वह हिस्सा है जिसका भुगतान बीमाधारक को अपनी जेब से करना होगा। अगर बिल उस रकम से अधिक है तभी बीमाकर्ता भुगतान करता है। यदि अस्पताल का बिल 10 लाख रुपये है और कटौती 1 लाख रुपये की है तो बीमाकर्ता 9 लाख रुपये का भुगतान करेगा।

सह-भुगतान का अर्थ यह भी है कि बीमाधारक बिल के एक हिस्से का भुगतान करता है। सह-भुगतान फीसदी में बताया जाता है। अगर कुल बिल 10 लाख रुपये है और सह-भुगतान 20 फीसदी है तो बीमाधारक को 2 लाख रुपये और बीमाकर्ता को 8 लाख रुपये का भुगतान करना होगा।

वरिष्ठ नागरिकों की पॉलिसी का प्रीमियम अधिक होता है। ऐसे में सह-भुगतान अथवा कटौती विकल्प चुनकर प्रीमियम को कम किया जा सकता है।

सिंघल ने कहा, ‘सह-भुगतान के मामले में बिल बढ़ने पर ग्राहक को भुगतान की जाने वाली रकम बढ़ जाती है। अगर वह कटौती का विकल्प चुनता है तो उसकी देनदारी एक निश्चित रकम तक सीमित हो जाती है। ऐसे में बाद वाला विकल्प ही बेहतर रहेगा।’

पता लगाएं कि क्या कटौती समग्र आधार पर है अथवा प्रति दावा आधार पर। अगर कटौती की रकम 25,000 रुपये समग्र आधार पर है तो ग्राहक को एक वर्ष में केवल 25,000 रुपये तक का भुगतान करना होगा। लेकिन यदि वह प्रति दावा आधार पर है तो उसे हरेक दावे के लिए 25,000 रुपये का भुगतान करना होगा। सिंघल ने कहा, ‘कुल कटौती योग्य विकल्प चुनना बेहतर रहेगा।’

First Published - November 5, 2023 | 10:51 PM IST

संबंधित पोस्ट