मनी मार्केट फंड (एमएमएफ) आजकल डेट निवेशकों के बीच काफी लोकप्रिय हो गए हैं। इस साल 31 मई को इन फंडों के पास 1.93 लाख करोड़ रुपये की परिसंपत्तियां थीं, जो 4.97 लाख करोड़ रुपये संभाल रही लिक्विड योजनाओं के बाद डेट योजनाओं में दूसरे स्थान पर थीं। मई 2024 में एमएमएफ में 8,271 करोड़ रुपये आए, जबकि लिक्विड फंड को 25,873 करोड़ रुपये मिले।
जून, 2024 में समाप्त पिछले एक साल के दौरान इन योजनाओं ने औसतन 7.1 फीसदी के आसपास रिटर्न दिया है। निश्चित आय में निवेश करने वालों के लिए एमएमएफ बढ़िया रहते हैं। निप्पॉन इंडिया म्युचुअल फंड की वरिष्ठ फंड मैनेजर अंजू छाजेड़ का कहना है, ‘एमएमएफ सदाबहार फंड है, जिसमें ब्याज दर का जोखिम कम रहता है। कम जोखिम और ठीक रिटर्न होने के कारण इसमें आ रही परिसंपत्तियां लगातार बढ़ रही हैं और यह दौर बरकरार रह सकता है।’
कम जोखिम वाला उत्पाद
एमएमएफ स्थिर आय वाली ऐसी योजनाओं में निवेश करते हैं, जो एक साल से कम वक्त में पूरी हो जाती हैं। ये ब्याज दर के कम जोखिम वाली योजनाएं चुनते हैं, ऋण के जोखिम से भी बचते हैं और 1 साल से पहले परिपक्व हो रहे ट्रेजरी बिल, जमा प्रमाणपत्र, सरकारी प्रतिभूतियों और राज्य विकास ऋण में निवेश करते हैं।
ब्याज दर और ऋण जोखिम का कम होने के कारण एमएमएफ ऐसे निवेशकों को बहुत भाते हैं, जो जोखिम से दूर रहते हैं। बंधन ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी के उत्पाद प्रमुख शीर्षेंदु बोस ने कहा, ‘अप्रैल और मई में जैसे-जैसे तरलता बढ़ी, कम अवधि वाली परिसंपत्तियों की यील्ड गिर गई। इससे लिक्विड फंड की यील्ड टू मैच्योरिटी (वाईटीएम) यानी मियाद पूरी होने पर मिलते वाली यील्ड भी गिर गई। इस साल मई तक लिक्विड फंड की औसत वाईटीएम 7.1 फीसदी तक गिर गई था मगर एमएमएफ श्रेणी की वाईटीएम करीब 7.5 फीसदी रही।’
आगे क्या
भारतीय रिजर्व बैंक वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में रीपो दर में कटौती कर सकता है। ट्रस्ट म्युचुअल फंड के फंड मैनेजर (स्थिर आय) जलपान शाह कहते हैं, ‘फिलहाल सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट (सीडी) और कमर्शल पेपर (सीपी) पर 6 से 12 महीने की यील्ड अधिक है। निवेशक एमएमएफ में निवेश कर इसका फायदा ले सकते हैं।’
मगर वह चेताते हैं कि बहुत छोटी मियाद वाली निवेश योजनाओं में रकम लगाने के कारण एमएमएफ को ब्याज दरें घटने पर पूंजीगत लाभ का फायदा नहीं मिल सकता। छाजेड़ बताती हैं, ‘भविष्य में ब्याज दरों में कमी आने की संभावना है। तरलता भी बढ़ने की संभावना है। छोटी अवधि के लिए निवेश करने वालों को इसका फायदा मिलता है क्योंकि इनमें मिलने वाले रिटर्न में अस्थिरता कम रहती है।’
गुणवत्ता पर जाएं
एमएमएफ में निवेश करने से पहले देख लें कि उसका पोर्टफोलियो कैसा है और एक्सपेंस रेश्यो कितना है। ऐसा फंड चुनें तो बड़ी रकम संभाल रहा हो, जिसका एक्सपेंस रेश्यो कम हो और जिसने अधिक क्रेडिट गुणवत्ता वाले साधनों में निवेश किया हो। छाजेड़ समझाती हैं कि एमएमएफ को चुनते समय क्रेडिट गुणवत्ता, परिपक्वता और लगातार बेहतर प्रदर्शन को ही पैमाना मानना चाहिए। बसु के हिसाब से मौजूदा अवधि और फंड की वाईटीएम पर भी नजर डालनी चाहिए।
लघु अवधि में निवेश के लिए सही
एमएमएफ उनके लिए सही हैं, जो थोड़े समय के लिए रकम लगा रहे हैं। बसु कहते हैं, ‘कम जोखिम वाले निवेश साधन ढूंढ रहे निवेशकों के लिए यह सही है। चूंकि इनमें तरलता ज्यादा है, इसलिए निवेशक अपने पास मौजूद अतिरिक्त रकम भी इसमें डाल सकते हैं।’
छाजेड़ कहती हैं, ‘आपात स्थितियों के लिए रखी वह रकम यहां डाल दें, जिसकी जरूरत किसी भी समय पड़ सकती है और जिसे बैंक खाते या छोटी मियाद वाली एफडी में रखा जाता है। इनमें रकम भी लगाई जा सकती है और इक्विटी योजनाओं में निवेश करने के लिए सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान का इस्तेमाल किया जा सकता है।’