FD & RD interest rates: बजट 2025 से पहले हर किसी के मन में यही सवाल है कि फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) और रिकरिंग डिपॉजिट (आरडी) की ब्याज दरों पर कोई असर पड़ेगा या नहीं। जवाब है – सीधे तौर पर नहीं, लेकिन बजट में किए गए ऐलान इन पर अप्रत्यक्ष रूप से जरूर असर डाल सकते हैं।
टैक्स छूट से बढ़ सकती है बचत
मुंबई की टैक्स और रेगुलेटरी फर्म ध्रुवा एडवाइजर्स के पार्टनर आशीष अग्रवाल का मानना है कि सरकार बचत बढ़ाने के लिए धारा 80सी के तहत टैक्स छूट जैसी स्कीम ला सकती है। इससे एफडी और आरडी जैसे निवेश विकल्प फिर से पॉपुलर हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, अगर सरकार धारा 80सी के तहत टैक्स में छूट का फायदा फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) और रिकरिंग डिपॉजिट (आरडी) पर दे, तो लोग इन स्कीम में ज्यादा पैसा निवेश करेंगे। इससे एफडी और आरडी जैसी बचत स्कीम फिर से लोकप्रिय हो जाएंगी।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) हर साल बजट में घोषित वित्तीय स्कीम पर नजर रखता है। इन स्कीम का असर ब्याज दरों और मौद्रिक नीति पर भी पड़ता है।
एफडी अभी भी भरोसेमंद, लेकिन चुनौती में
फिक्स्ड डिपॉजिट भारतीयों की पहली पसंद बनी हुई है। इसके स्थिर रिटर्न और सुरक्षा की वजह से लोग इसमें निवेश करते हैं। लेकिन हाल ही में बैंक डिपॉजिट में गिरावट देखी गई है। वजह? निवेशक अब इक्विटी स्कीम की ओर बढ़ रहे हैं, क्योंकि वहां टैक्स कम लगता है और लॉक-इन पीरियड भी छोटा है।
एफडी पर मिलने वाला ब्याज टैक्सेबल है। अगर सालाना ब्याज ₹40,000 (वरिष्ठ नागरिकों के लिए ₹50,000) से ज्यादा है, तो उस पर टीडीएस (TDS) काटा जाता है। हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से वित्तीय क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने एफडी पर टैक्स में राहत देने की मांग की। उनका कहना है कि टैक्स छूट से बचत बढ़ेगी और एफडी में निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
ब्याज दरों को प्रभावित करने वाले फैक्टर
ब्याज दरें कई चीजों पर निर्भर करती हैं:
फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) की ब्याज दरें तय करने के पीछे कई दिलचस्प वजहें होती हैं। सबसे पहले बात करें आरबीआई की मौद्रिक नीति की। जब रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ाता है, तो इसका असर एफडी की दरों पर भी पड़ता है, और ब्याज दरें बढ़ सकती हैं।
इसके बाद आता है मुद्रास्फीति (इन्फ्लेशन)। बैंकों को यह देखना होता है कि जमाकर्ताओं को उनके निवेश पर असली फायदा मिले, इसलिए वे रिटर्न को मुद्रास्फीति के हिसाब से एडजस्ट करते हैं।
अब बात करें आर्थिक स्थिति और तरलता की। जब बैंकों के पास फंड की कमी होती है, तो वे ज्यादा पैसा जुटाने के लिए एफडी पर आकर्षक ब्याज दरें देते हैं। इसी तरह, लोन की मांग भी अहम है। जब बाजार में कर्ज की ज्यादा मांग होती है, तो बैंक ज्यादा फंड जुटाने के लिए एफडी की दरें बढ़ा देते हैं।
आखिर में, सरकारी नीतियां भी खेल बदल सकती हैं। बजट में अगर टैक्स छूट या बचत को बढ़ावा देने वाली स्कीम का ऐलान होता है, तो यह एफडी की दरों को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर सकता है। कुल मिलाकर, ये सारे फैक्टर मिलकर तय करते हैं कि आपके एफडी पर कितना रिटर्न मिलेगा।
बजट से उम्मीदें
बैंकबाजार.कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी का कहना है कि सरकार एफडी पर टैक्स में राहत देकर इन्हें इक्विटी के बराबर ला सकती है। इससे एफडी और आरडी में निवेश बढ़ सकता है।