प्राइवेट सेक्टर में लोग अक्सर नौकरी बदलते हैं। यदि आप भी नौकरी छोड़ने का मन बना रहे हैं तो आपको कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। नौकरी छोड़ते समय कुछ कागजी प्रक्रियाओं को अच्छी तरह से निपटा कर आप बड़े आर्थिक नुकसान से बच सकते हैं। आइए जानते है…
कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) कर्मचारियों के लिए एक लॉगटर्म फाइनेंशियल निवेश इंस्ट्रूमेंट है। हालांकि, प्राइवेट सेक्टर में लोग अक्सर नौकरी बदलते हैं, इसलिए जब भी वे किसी नई कंपनी में शामिल होते हैं तो एक नया पीएफ अकाउंट (PF account) बनाया जाता है, जिसके लिए उन्हें पुराने पीएफ अकाउंट से पैसे को नए में ट्रांसफर करना होता है। यह प्रोसेस काफी जटिल है। यदि आप नौकरी छोड़ रहे है तो आप अपने पीएफ अकाउंट को ट्रांसफर कर सकते हैं। इसमें किसी तरह का झंझट भी नहीं है और इसके कई फायदे भी हैं।
कर्मचारियों की आसानी के लिए कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) अपने इंट्रीग्रेटेड पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन अकाउंट ट्रांसफर की सुविधा प्रदान करता है। आप पोर्टल पर आवश्यक दस्तावेज अपलोड करके और कुछ आसान स्टेप का पालन करके इस काम को पूरा कर सकते हैं।
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कॉरपोरेट जगत में वर्क-लाइफ बैलेंस महत्वपूर्ण है, और समय-समय पर काम से छुट्टी लेना एक अच्छा विचार है। अधिकांश नियोक्ता राष्ट्रीय छुट्टियों, आकस्मिक और बीमार छुट्टियों जैसी अनिवार्य छुट्टियों के अलावा पर्याप्त छुट्टियां प्रदान करते हैं। वर्ष के दौरान एक या दो यात्राएं करने के बाद भी, वर्ष के अंत में यदि आपके पास कुछ छुट्टियां बच जाती हैं।
ऐसे में अधिकांश नियोक्ता आपको इन छुट्टियों को अगले वर्ष तक ले जाने की अनुमति देते हैं, और कुछ आपको उन्हें भुनाने या उनके बदले मुआवजा देने की भी अनुमति देते हैं। एक्स्ट्रा पैसे भला किसको अच्छे नहीं लगते। मगर आप नौकरी छोड़ रहे हैं तो इस स्थिति में अपनी बकाया छुट्टियों को भुनाने न भुलें।
छुट्टी भुनाने पर कोई अलग कानून नहीं है, लेकिन बहुत सी कंपनियां यह सुविधा देती हैं। आयकर अधिनियम, 1961 के अनुसार, यदि आपको ऐसी सुविधा मिलती है, तो आप एक वर्ष में अधिकतम 30 छुट्टियां भुना सकते हैं।
यदि आप नौकरी छोड़ रहे हैं तो कंपनी के हेल्थ इंश्योरेंस को इंडिविजुअल हेल्थ इंश्योरेंस के रूप में ट्रांसफर करवाना कभी नहीं भूलें। बहुत से लोग यह नहीं जानते कि आप अपनी कंपनी के हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को किसी इंडिविजुअल या फैमली हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में बदल सकते हैं।
भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) स्वास्थ्य बीमा विनियम, 2016 के अनुसार, किसी कंपनी की ग्रुप बीमा पॉलिसी द्वारा कवर किए गए कर्मचारी किसी व्यक्तिगत या पारिवारिक कवर में ट्रांसफर हो सकते हैं।
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ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1971 की धारा 4(1) में प्रावधान है कि निम्नलिखित मामलों में कम से कम 5 वर्षों तक निरंतर सेवा प्रदान करने के बाद कर्मचारी को उसके रोजगार की समाप्ति पर ग्रेच्युटी देय होगी।
(A) उसकी सेवानिवृत्ति पर, या
(B) उसकी सेवानिवृत्ति या इस्तीफे पर, या
(C) दुर्घटना या बीमारी के कारण उसकी मृत्यु या विकलांगता पर
इस प्रकार, अधिनियम के अनुसार, एक कर्मचारी ग्रेच्युटी के लिए तभी पात्र है, जब उसने किसी संगठन में 5 साल की सेवा पूरी कर ली हो। ये 5 साल लगातार होने चाहिए और उस कंपनी के साथ कर्मचारी की सेवाओं में कोई अंतर नहीं होना चाहिए। हालांकि, 5 वर्ष की निरंतर सेवा पूरी करने की शर्त आवश्यक नहीं होगी जहां किसी कर्मचारी की रोजगार समाप्ति मृत्यु या विकलांगता के कारण हो।