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खुद का रोजगार हो तो रिटायरमेंट की तैयारी और भी जरूरी

पीजीआईएम इंडिया म्युचुअल फंड रिटायरमेंट रेडिनेस सर्वे 2023 में हिस्सा लेने वाले करीब 67 फीसदी लोगों ने बताया कि रिटायरमेंट के लिए उनकी तैयारी चल रही है।

Last Updated- December 25, 2023 | 9:18 PM IST
Don't rely only on FD for retirement, choose smart investment options to protect yourself from inflation and risk रिटायरमेंट के लिए  सिर्फ FD के भरोसे न रहें, महंगाई और जोखिम से बचाव के लिए चुनें निवेश के स्मार्ट विकल्प

कोविड-19 महामारी ने लोगों को रिटायरमेंट के लिए तेजी से और ज्यादा से ज्यादा बचत करने की अहमियत समझा दी है। पीजीआईएम इंडिया म्युचुअल फंड रिटायरमेंट रेडिनेस सर्वे 2023 में हिस्सा लेने वाले करीब 67 फीसदी लोगों ने बताया कि रिटायरमेंट के लिए उनकी तैयारी चल रही है।

2020 में इस सर्वेक्षण में शामिल केवल 49 फीसदी लोगों का ऐसा कहना था। इस बार सर्वेक्षण 9 महानगरों और 6 अन्य शहरों में कराया गया था, जिसमें 3,009 लोगों ने हिस्सा लिया था।

मगर जो लोग नौकरी करने के बजाय अपना रोजगार कर रहे थे, उनमें रिटायरमेंट की तैयारी कम दिखी। सर्वेक्षण में शामिल जिन लोगों ने कहा कि उनके पास कोई वित्तीय योजना नहीं है, उनमें से 40 फीसदी बड़े शहरों में रहते हैं, उनकी आय 50,000 रुपये से 75,000 रुपये के बीच है, उम्र 51 से 60 साल के बीच है और ज्यादातर का खुद का रोजगार है।

मानसिकता अलग

खुद के रोजगार वाले रिटायरमेंट की तैयारी के मामले में नौकरीपेशा लोगों से अलग सोचते हैं। पीजीआईएम इंडिया म्युचुअल फंड के मुख्य कार्य अधिकारी (सीईओ) अजित मेनन बताते हैं, ‘नौकरीपेशा लोगों को बाहरी कारकों जैसे आर्थिक मंदी, महंगाई, नौकरी बने रहने और आय आदि की ज्यादा चिंता रहती है। जिनका अपना रोजगार होता है, उन्हें इन बातों की चिंता कम होती है।’

सर्वेक्षण में देखा गया कि खुद के रोजगार वाले खर्च करने में भी लापरवाह होते हैं। इस वजह से उनकी रिटायरमेंट की योजना और तैयारी पर असर होता है।

जरूरतें अलग-अलग

खुद के रोजगार वालों की कमाई एक जैसी नहीं रहती। बियॉन्ड लर्निंग फाइनैंस की संस्थापक और प्रमाणित वित्तीय योजनाकार जीनल मेहता का कहना है, ‘उनके पास आने वाली नकदी घटती-बढ़ती रहती है। इसका उनकी बचत क्षमता पर बहुत असर पड़ता है। वेतनभोगी व्यक्ति का अपने पास आने वाली नकदी पर अधिक नियंत्रण रहता है।’

जो अपना रोजगार करते हैं, उनके पास नियोक्ता यानी कंपनी से मिलने वाली रिटायरमेंट योजना भी नहीं होती। फिनसेफ इंडिया की संस्थापक और निदेशक मृण अग्रवाल कहती हैं, ‘उनके पास कर्मचारी भविष्य निधि का सहारा नहीं होता और उन्हें रिटायरमेंट के लिए खुद ही बचत करनी पड़ती है।’

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उम्र और रकम कम आंकना

खुद के रोजगार वाले ज्यादातर लोग वित्तीय योजना भी खुद ही बनाते हैं और आखिर में पिछड़ जाते हैं। मेहता की राय है, ‘उनके लिए किसी वित्तीय सलाहकार से बात करना ज्यादा फायदेमंद होगा।’

कुछ लोग यही नहीं समझते कि वे बहुत लंबी उम्र जिएंगे, इसलिए उस दौरान उन्हें कितनी रकम चाहिए, इसका सही हिसाब भी नहीं लगा पाते। हम फौजी इनीशिएटिव्स के सीईओ कर्नल (सेवानिवृत्त) संजीव गोविला कहते हैं, ‘लोग यह नहीं आंक पाते कि उन्हें रिटायरमेंट के लिए कितनी बचत करनी चाहिए, इसलिए अक्सर उनके जीवित रहते हुए ही बचाई हुई पूरी रकम खर्च हो जाती है।’

एयूएम कैपिटल के राष्ट्रीय प्रमुख (वेल्थ) मुकेश कोछड़ के मुताबिक रिटायरमेंट के पोर्टफोलियो में विविधता लाना यानी अलग-अलग साधनों में निवेश नहीं करना भी बड़ी भूल होती है। वह कहते हैं, ‘अक्सर वे पूरी रकम एक ही जगह निवेश कर देते हैं।’

कई लोग अपने रिटायरमेंट के लिए बचत बहुत देर में शुरू करते हैं। मेहता समझाती हैं, ‘खुद के रोजगार वाले कई लोग यह भी नहीं सोचते कि उन्हें किस उम्र में रिटायर होना है। इसीलिए उस उम्र के हिसाब से रिटायरमेंट की कोई वित्तीय योजना भी उनके पास नहीं होती।’

कुछ लोग आपातकाल के लिए रकम नहीं रखते यानी उनके पास इमरजेंसी फंड नहीं होता। जैसे ही कोई वित्तीय संकट आता है, वे रिटायरमेंट की अपनी बचत में से पैसा खर्च कर लेते हैं। कोछड़ कहते हैं, ‘अपने रोजगार वालों में कर्ज लेने की भी आदत होती है, इसलिए अक्सर रिटायरमेंट की उम्र में भी उनके ऊपर कर्ज चढ़ा होता है। उस समय कर्ज उतारने के लिए वे अपनी रिटायरमेंट की बचत इस्तेमाल करते हैं।’

तो क्या करें आप?

जल्दी शुरुआत करें ताकि आपकी बचत को कई गुना बढ़ने के लिए पूरा समय मिल सके। कोछड़ आगाह करते हुए कहते हैं, ‘कारोबारी आय और व्यक्तिगत आय के बीच साफ अंतर रखें।’ अग्रवाल कारोबार से एक निश्चित वेतन निकालने और उसके एक हिस्से को रिटायरमेंट के लिए निवेश करने का सुझाव देती हैं।

खुद का काम करने वाले पेशेवरों को अच्छी संभावना दिखे तो वे अपनी ज्यादातर बचत दोबारा कारोबार में ही लगाने चल देते हैं। मेनन राय देते हैं, ‘उन्हें कारोबार से अलग भी संपत्ति या आय का जरिया खड़ा करना चाहिए, जिसके लिए वे म्युचुअल फंड जैसी तरलता वाली संपत्तियों में निवेश कर सकते हैं।’

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जिनका अपना रोजगार है, उन्हें सरकारी गारंटी वाली राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) में निवेश करना चाहिए। इसमें बहुत कम लागत जाती है और डेट तथा इक्विटी का महचाहा अनुपात चुना जा सकता है। परिपक्व होने पर मिलने वाली रकम का एक हिस्सा एन्युटी में जरूर निवेश करना चाहिए ताकि जीवन भर पेंशन मिलती रहे। लोक भविष्य निधि (पीपीएफ) पर भी विचार किया जा सकता है।

जब आप धन जमा करने के दौर से गुजर रहे हों तो म्युचुअल फंड के सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) का फायदा जरूर उठाइए। गोविला बताते हैं, ‘जब रकम निकालने के दिन आएंगे तो सिस्टेमैटिक विदड्रॉअल प्लान (एसडब्ल्यूपी) की कर बचाने की क्षमता और लचीलेपन का मुकाबला कोई और निवेश योजना नहीं कर पाएगी।’

अपने कारोबार किसी आकस्मिक दुर्घटना के असर से बचाने के लिए कीमैन बीमा पॉलिसी जरूर लें। एसोसिएशन ऑफ रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स के बोर्ड सदस्य दिलशाद बिलिमोरिया कहते हैं, ‘कारोबारी लोगों को मैरीड विमेन्स प्रोटेक्शन (एमडब्ल्यूपी) बीमा भी लेना चाहिए ताकि उनका परिवार कर्ज देने वालों से महफूज रह सके।’

First Published - December 25, 2023 | 9:18 PM IST

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