सार्वजनिक क्षेत्र की परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी(एएमसी) यूटीआई एएमसी अपने उन तीन फंडों का विलय करेगी, जिनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा।
उसने यह निर्णय वर्तमान शेयर बाजार नए फंड के लिए उपयुक्त न होने के चलते लिया है। यूटीआई एएमसी अनूप भास्कर ने बताया कि वर्तमान में किसी नए फंड को लांच करने की संभावनाएं बेहद सीमित है। इसलिए अब वे अपने वर्तमान प्रॉडक्टों को ही और प्रभावशाली बनाने पर जोर दे रहे हैं।
यह देश का सबसे पुराने म्युचुअल फंड हाउस अपनी 9 साल पुरानी यूटीआई साफ्टवेयर स्कीम और सर्विस इंडस्ट्रीज फंड का विलय करना चाहती है। वैल्यूरिसर्च ऑनलाइन के अनुसार साफ्टवेयर फंड ने 37.21 फीसदी और जबकि सर्विस फंड ने 22.65 फीसदी सालाना रिटर्न दिया है। हालांकि 30 जनवरी के बाद से बीएसई का आईटी सूचकांक 30 फीसदी गिरा है।
यूटीआई ने साफ्टवेयर फंड जून 1999 में लांच किया था। 30 जून 2008 तक इसका एयूएम (एसेट अंडर मैनेजमेंट) 76 करोड़ रुपये का था, जबकि इसी साल लांच किए गए सर्विस फंड का एयूएम 265 करोड़ रुपये था। भास्कर ने बताया कि सेक्टर फंड को उन निवेशकों की जरूरत हैं जो इस साइकिल और डायनामिक्स को समझ सकें। हालांकि इस तरह के निवेशक बेहद कम संख्या में हैं। ये फंड खरीदकर अपने पास रखने वाले फंडों जैसे नहीं हैं।
फंड मैनेजर को वैल्युएशन ऊपर होने की स्थिति में प्रॉफिट भी बुक करना चाहिए। एएमसी ने ऑटो सेक्टर के लिए पर विशेष ध्यान देते हुए अपने निवेश मैंडेट में विस्तार किया है और इसमें लाजिस्टिक को भी एक अतिरिक्त सेक्टर के रूप में शामिल किया है। अब यह स्कीम ट्रांस्पोर्टेशन एंड लॉजिस्टिक्स फंड के रूप में जानी जाएगी। विलय करके बनाए गए इस नए फंड का आकार सिर्फ 31.27 करोड़ रुपये का है। इसका सबसे बड़ा कारण विस्तारित सूचकांकों में ऑटो सेक्टर का कमजोर प्रदर्शन रहा।
वित्तीय वर्ष 2007-08 जनवरी से लेकर अब तक बीएसई ऑटो सूचकांक 34 फीसदी नीचे आया है। भास्कर ने बताया कि भविष्य में भले ही ऑटो फंड लगातार नीचे गिरे, लेकिन तब भी थीम पर आधारित इन फंडों में यह गिरावट कम ही होगी। इस तरह किसी फंड की थीम को संकुचित किए जाने पर उसके बाजार में उम्मीद से कमतर प्रदर्शन की संभावना काफी कम हो जाती है। एएमसी अपनी यूटीआई एमएनसी स्कीम को भी इंडिया इंटरनेशनल फंड में बदलने की योजना बना रही है।