अदाणी समूह पर हिंडनबर्ग रिसर्च के तीखे हमले ने बैंकिंग शेयरों को लेकर अवधारणा पर चोट पहुंचाई है क्योंकि समूह के 2.1 अरब डॉलर के कर्ज ने निवेशकों के बीच पुनर्भुगतान की चिंता पैदा की है।
24 जनवरी को रिपोर्ट जारी होने के बाद बैंक निफ्टी इंडेक्स एनएसई पर 2.97 फीसदी टूट चुका है और यह जानकारी एस इक्विटी के आंकड़ों से मिली। निफ्टी प्राइवेट बैंक और पीएसयू बैंक सूचकांकों में इस दौरान क्रमश: 2.26 फीसदी व 7.16 फीसदी की गिरावट आई है।
वैयक्तिक शेयरों की बात करें तो भारतीय स्टेट बैंक में सबसे ज्यादा 8.1 फीसदी की गिरावट आई है। इसके बाद पंजाब नैशनल बैंक (7.5 फीसदी), इंडसइंड बैंक (5.8 फीसदी) और बैंक ऑफ बड़ौदा (5.3 फीसदी) का स्थान रहा।
विदेशी संस्थागत निवेशकों ने भी 27 से 31 जनवरी के बीच भारतीय शेयर बाजारों से शुद्धरूप से 2 अरब डॉलर की निकासी की, जो मार्च के बाद की सबसे बड़ी तीन दिन की बिकवाली है। ब्लूमबर्ग के आंकड़ों से यह जानकारी मिली।
विश्लेषकों का हालांकि मानना है कि बैंक शेयरों में जितनी बिकवाली होनी थी, वह हो चुकी है क्योंकि अदाणी समूह में भारतीय बैंकों का कर्ज सीमित बना हुआ है।
कार्नेलियन कैपिटल के संस्थापक विकास खेमानी ने कहा, हमारे साथ हुई बातचीत के जरिये हमें पता लगा कि भारतीय बैंकों का अदाणी समूह को कर्ज सीमित है (उनके कुल लोनबुक का 1 से 3 फीसदी) और इसे नकदी प्रवाह व परिसंपतियों का समर्थन है।
उन्होंने कहा, चूंकि बैंक भारी रकम बट्टे खाते में डालने से दूर हो रहे हैं और अच्छी तरह से पूंजीकृत हैं, ऐसे में इसका बड़ा असर नहीं होगा, न ही वित्तीय व्यवस्था और अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव होगा।
अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने 24 जनवरी की रिपोर्ट में अदाणी समूह पर काफी ज्यादा कर्ज और उसकी सात सूचीबद्धकंपनियों के काफी ज्यादा ऊंचे मूल्यांकन को लेकर चिंता जताई है।
गौतम अदाणी की अगुआई वाले समूह ने हालांकि इन आरोपों से इनकार किया है और कहा है कि उनके आरोपों का कोई आधार नहीं है।
कर्ज पर नजर
आरबीआई के आकलन के मुताबिक, समूह की कंपनियों में बैंक का कर्ज नियमों के दायरे में है। बैंकों ने समूह को 80,000 करोड़ रुपये कर्ज दिया हुआ है, जिसमें तीन सार्वजनिक बैंकों की हिस्सेदारी करीब 50 फीसदी है। एसबीआई ने 27,000 करोड़ रुपये, पीएनबी ने 7,000 करोड़ रुपये और बीओबी ने 5,500 करोड़ रुपये का कर्ज दिया है।
कुल मिलाकर सीएलएसए का मानना है कि भारतीय बैंक अदाणी समूह के कर्ज के 35-40 फीसीद के बराबर फंडिंग कर रहे हैं, जिनमें प्राइवेट बैंकों की हिस्सेदारी 10 फीसदी से कम है जबकि पीएसयू बैंकों की फंडिंग कर्ज का 25 से 30 फीसदी है।
सीएलएसए ने कहा, निजी बैंकों का समूह को कर्ज मोटे तौर पर मजबूत नकदी प्रवाह वाले कारोबारों मसलन बिजली व हवाईअड्डों में है। समूह के कर्ज के कारण किसी तरह की कमजोरी खरीदारी का मौका प्रदान करेगी।
निवेश रणनीति
प्रभुदास लीलाधर के शोध विश्लेषक गौरव जानी के मुताबिक, अदाणी समूह का कर्ज शायद ही किसी तरह की परिसंपत्ति गुणवत्ता की चिंता पैदा करेगा। हालांकि उतारचढ़ाव व नकारात्मक अवधारणा को देखते हुए निवेशकों को कुछसमय तक पीएसबी से दूर रहना चाहिए, लेकिन निजी बैंकों मसलन एचडीएफसी बैंक व आईसीआईसीआई बैंक पर निवेशक नजर डाल सकते हैं।
विश्लेषकों ने कहा, घबराहट में हुई बिकवाली ने सूचीबद्धबैंकों के मूल्यांकन को नरम बना दिया है, जिससे उनका जोखिम-प्रतिफल आकर्षक हो गया है।
कैपिटालाइन के आंकड़ों के मुताबिक, एसबीआई का पीई गुणक 24 जनवरी के बाद से करीब 300 आधार अंक घटकर 11.4 गुना रह गया है, वहीं बीओबी का 190 आधार अंक घटकर 7.6 गुना।
दूसरी ओर, अहम निजी बैंक अपेक्षाकृत सुदृढ़ हैं और इंडसइंड बैंक के पीई में अधिकतम 90 आधार अंकों की कटौती हुई है और यह 13.1 गुना रह गया है।
आईडीबीआई कैपिटल के शोध प्रमुख ए के प्रभाकर ने कहा, मेरा मानना है कि बिकवाली ने बैंक शेयरों में प्रवेश का अच्छा मौका प्रदान किया है। समूह के ऊपर भारतीय के मुकाबले विदेशी बैंकों का ज्यादा कर्ज है।
साथ ही दिसंबर तिमाही के नतीजे में इस क्षेत्र की वित्तीय सेहत मजबूत नजर आई है। एचडीएफसी बैंक, इंडसइंड बैंक, फेडरल बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा उनके पसंदीदा शेयर हैं।