वित्त वर्ष 26 के पहले चार महीनों में 30 वर्ष से कम आयु के नए निवेशकों की हिस्सेदारी बढ़कर 56.2 फीसदी हो गई। यह वित्त वर्ष 25 में 53.2 फीसदी थी। यह उछाल उल्लेखनीय है क्योंकि वित्त वर्ष 25 में युवा निवेशकों का अनुपात वित्त वर्ष 22 के अपने चरम से कम हो गया था। वित्त वर्ष 22 में 30 वर्ष से कम आयु के युवाओं की हिस्सेदारी में नए निवेशकों की संख्या 60 फीसदी थी। नैशनल स्टॉक एक्सचेंज की मार्केट पल्स रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2023 से 30 वर्ष और उससे अधिक आयु के निवेशकों की संख्या में क्रमिक वृद्धि का रुझान रहा है। इससे समग्र निवेशक आधार की औसत और माध्य आयु दोनों में वृद्धि हुई है जिससे जनसांख्यिकीय बदलाव का पता चलता है।
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कोविड-पूर्व अवधि की तुलना में यह अंतर और भी ज्यादा है। समग्र पंजीकृत निवेशक आधार के संदर्भ में 30 वर्ष से कम आयु वर्ग की संख्या वित्त वर्ष 19 में सिर्फ 22.6 फीसदी थी जो वित्त वर्ष 26 में बढ़कर 38.9 फीसदी हो गई है। इससे भारत के शेयर बाजारों में युवा भागीदारी का व्यापक जनसांख्यिकीय बदलाव नजर आता है।
हालांकि, 40 साल से कम उम्र के निवेशकों की संख्या में गिरावट आई है। कुल निवेशक आधार में इनका दो-तिहाई से ज्यादा हिस्सा है। इन निवेशकों की संख्या वित्त वर्ष 26 के पहले चार महीनों में सिर्फ 4 फीसदी बढ़ी जबकि एक साल पहले इसी अवधि में इसमें 9.1 फीसदी की वृद्धि हुई थी।
लैंगिक रुझानों की बात करें तो महाराष्ट्र और गुजरात महिला भागीदारी में अग्रणी हैं जहां निवेशक आधार में क्रमशः 28.5 फीसदी और 26.6 फीसदी महिलाएं हैं। इसके विपरीत उत्तर प्रदेश,जहां निवेशकों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या है, इस पैमाने पर पिछड़ा हुआ है और वहां महिलाओं की भागीदारी केवल 18.8 फीसदी है जो राष्ट्रीय औसत 24.6 फीसदी से काफी कम है।