वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में भारतीय कंपनियों का वित्तीय प्रदर्शन उम्मीद से कमतर रहा। लगातार नौवीं तिमाही यानी जून में राजस्व में एक अंक की कमजोर वृद्धि दर्ज की गई और अन्य आय को छोड़कर कर-पूर्व लाभ में सालाना आधार पर गिरावट आई। बैंक, आईटी सेवाएं, ऑटोमोबाइल, उपभोक्ता, पूंजीगत वस्तु और फार्मा जैसे प्रमुख क्षेत्रों की ज्यादातर अग्रणी कंपनियां कमजोर शुद्ध बिक्री और आय वृद्धि से जूझती रहीं।
इसके परिणामस्वरूप अधिकांश ब्रोकरेज फर्मों ने इस साल की पहली तिमाही के नतीजों के बाद संपूर्ण बाजार और कुछ कंपनियों के लिए वित्त वर्ष 2026 और 2027 के आगामी आय अनुमानों को घटा दिया है।
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उदाहरण के लिए कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के विश्लेषकों का मानना है कि निफ्टी 50 इंडेक्स कंपनियों का वित्त वर्ष 2026 और वित्त वर्ष 2027 में शुद्ध लाभ क्रमशः 9.6 प्रतिशत और 17.5 प्रतिशत बढ़ेगा, जबकि वित्त वर्ष 2026 की शुरुआत में इसमें 12.1 प्रतिशत और 15.4 प्रतिशत की वृद्धि की संभावना जताई गई थी।
बीएसई 200 की 192 कंपनियों, जिनके आय अनुमान उपलब्ध हैं, में से 130 कंपनियों की प्रति शेयर आय (ईपीएस) में वित्त वर्ष 2026 और वित्त वर्ष 2027 के लिए डाउनग्रेड हुई है। इसकी तुलना में ब्रोकरेज फर्मों ने वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही के नतीजों के बाद बीएसई 200 की केवल 56 कंपनियों की अग्रिम आय में सुधार किया जबकि 6 कंपनियों के आय अनुमानों में कोई बदलाव नहीं हुआ। इसका मतलब है कि प्रतिकूल अपग्रेड-डाउनग्रेड अनुपात 0.43 है जो बाजारों और निवेशकों के लिए आय से संबंधित चुनौती का संकेत देता है।
यहां पांच-पांच कंपनियां बताई जा रही हैं जिनके वित्त वर्ष 2026 और 2027 के ईपीएस में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी और गिरावट देखी गई। ब्रोकरेज फर्मों ने उनके आगामी आय अनुमानों में बदलाव किया जिससे उनके कीमत लक्ष्य में भी बदलाव हुआ है।