सूचकांकों में तीन दिन से चली आ रही तेजी पर शुक्रवार को विराम लग गया लेकिन हफ्ते की समाप्ति थोड़ी बढ़त के साथ करने में कामयाबी मिली। शुक्रवार को बेंचमार्क सेंसेक्स 191 अंक टूटकर 57,124 पर बंद हुआ, लेकिन हफ्ते की समाप्ति 112 अंकों की बढ़त के साथ करने में कामयाब रहा। दूसरी ओर निफ्टी ने शुक्रवार के कारोबार की समाप्ति 69 अंक की गिरावट के साथ 17,003.75 पर की।
शुक्रवार के कारोबार में सेंसेक्स अपनी दिशा तय नहीं कर पा रहा था क्योंंकि उसमें दिन के उच्च स्तर से निचले स्तर तक 810 अंकों की घटबढ़ हुई। बैंकिंग शेयरों ने इंडेक्स को सबसे ज्यादा नीचे खींचा और गिरावट में सबसे ज्यादा योगदान किया। विश्लेषकों ने कहा कि ट्रेडरों ने मुनाफावसूली को तरजीह दी क्योंंकि ओमीक्रोन के लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। इस हफ्ते कई राज्य क्रिसमस और नए साल के जश्न पर पाबंदी लगा रहे हैं क्योंकि कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। शुक्रवार को भारत के 17 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में ऐसे 358 मामले दर्ज हुए।
जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, वैश्विक बाजारों में सुस्ती और एफआईआई की बिकवाली जारी रहने से देसी सूचकांकों ने दिन की बढ़त गंवाकर लाल निशान में प्रवेश कर लिया, जिसमें इंडेक्स के दिग्गजों की तरफ से भारी बिकवाली का अहम योगदान रहा। ओमीक्रोन के बढ़ते मामले, मौद्रिक नीति व महंगाई की चिंता के बीच बाजारों में काफी ज्यादा उतारचढ़ाव बना हुआ है।
ओमीक्रोन के मोर्चे पर थोड़ी नरमी और अमेरिकी प्रोत्साहन पैकेज की उम्मीद ने इस हफ्ते बाजार को अपने नुकसान की भरपाई करने में मदद की।
इस वैरिएंट पर टीके के प्रभाव को लेकर खबरों में भी सेंटिमेंट को मजबूती प्रदान की। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की तरफ से 2 लाख करोड़ डॉलर के आर्थिक राहत पैकेज पर सांसदों से बातचीत की खबर ने भी निवेशकों को उत्साहित किया।
ओमीक्रोन के बढ़ते मामलोंं और इस वजह से पाबंदी की संभावना, केंद्रीय बैंकों की तरफ से महंगाई पर लगाम के लिए उठाए जाने वाले कदम और एफपीआई की लगातार हो रही बिकवाली ने पिछले हफ्ते निवेशकों को परेशान किया था।
महंगाई के आंकड़ों ने ज्यादातर केंद्रीय बैंकोंं को अपने मासिक बॉन्ड खरीद कार्यक्रम में नरमी का ऐलान करने को बाध्य किया था और बैक ऑफ इंगलैंड ने ब्याज दरोंं में इजाफे के अपने फैसले की घोषणा की थी। केंद्रीय बैंंकों के रुख में अचानक आए बदलाव ने निवेशकों को चौंकाया है। चीन के केंद्रीय बैक का बेंचमार्क दरें कम करने का फैसला निवेशकों को प्रोत्साहित नहींं कर पाया, जो उसने 20 महीने में पहली बार किया है।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व की तरफ से आक्रामक बॉन्ड खरीद कार्यक्रम और शून्य ब्याज दर ने उभरते बाजारों में विदेशी फंड आने में मदद की थी, जिसमें भारत शामिल है और इक्विटी बाजारों में तेजी देखने को मिली थी।
रेलिगेयर ब्रोकिंग के उपाध्यक्ष (शोध) अजित मिश्रा ने कहा, अनुकूल वैश्विक संकेतों से अच्छी शुरुआत हुई लेकिन उच्चस्तर पर मुनाफावसूली ने बढ़त गंवाने में समय नहींं लिया और बेंचमार्क को नीचें खींच लिया। बाजार कोविड की स्थिति पर नजर रखे हुए है। कोई सकारात्मक खबर सेंसेक्स को थोड़ी मदद कर सकती है, अन्यथा उतारचढ़ाव जारी रहेगा।