facebookmetapixel
RBI ने बैंकों को कहा: सभी शाखाओं में ग्राहकों को बुनियादी सेवाएं सुनिश्चित करें, सुधार जरूरीसाल 2025 बना इसरो के लिए ऐतिहासिक: गगनयान से भारत की मानव अंतरिक्ष उड़ान की उलटी गिनती शुरूदिल्ली देखेगी मेसी के कदमों का जादू, अर्जेंटीना के सुपरस्टार के स्वागत के लिए तैयार राजधानीदमघोंटू हवा में घिरी दिल्ली: AQI 400 के पार, स्कूल हाइब्रिड मोड पर और खेल गतिविधियां निलंबितUAE में जयशंकर की कूटनीतिक सक्रियता: यूरोप ब्रिटेन और मिस्र के विदेश मंत्री से की मुलाकात‘सच के बल पर हटाएंगे मोदी-संघ की सरकार’, रामलीला मैदान से राहुल ने सरकार पर साधा निशानासेमाग्लूटाइड का पेटेंट खत्म होते ही सस्ती होंगी मोटापा और मधुमेह की दवाएं, 80% तक कटौती संभवप्रीमियम हेलमेट से Studds को दोगुनी कमाई की उम्मीद, राजस्व में हिस्सेदारी 30% तक बढ़ाने की कोशिशकवच 4.0 के देशभर में विस्तार से खुलेगा भारतीय रेलवे में ₹50 हजार करोड़ का बड़ा सुरक्षा बाजारइंडिगो का ‘असली’ अपराध क्या, अक्षमता ने कैसे सरकार को वापसी का मौका दिया

आसान मौद्रिक नीति की वापसी की आशंका से ढहा शेयर बाजार

Last Updated- December 11, 2022 | 11:31 PM IST

इंडेक्स की दिग्गज मसलन रिलायंस इंडस्ट्रीज, आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक में नुकसान की अगुआई में बेंचमार्क सूचकांक मंगलवार को टूट गए। इक्विटी मूल्यांकन पर आरबीआई के अवलोकन और आसान मौद्रिक नीति की वापसी की आशंका का भी निवेशकों की मनोदशा पर असर पड़ा।
बेंचमार्क सूचकांक 396 अंक यानी 0.65 फीसदी टूटकर 60,322 पर बंद हुआ। दूसरी ओर निफ्टी 110 अंक यानी 0.6 फीसदी की गिरावट के साथ 17,999 पर बंद हुआ।
विश्लेषकों ने कहा कि बढ़ती मांग व आपूर्ति शृंखला के अवरोध के कारण बढ़ रही वैश्विक महंगाई से निवेशक सतर्क हो गए। आरबीआई ने सोमवार को चेताया था कि इक्विटी बाजार महंगे हैं, लेकिन अर्थव्यवस्था में सुधार को लेकर अपना आशावाद बनाए रखा था।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि मूल्यांकन के पारंपरिक मानकों मसलन प्राइस टु बुक वैल्यू रेश्यो, प्राइस टु अर्निंग्स रेश्यो और मार्केट कैपिटलाइजेशन टु जीडीपी रेश्यो अपने-अपने ऐतिहासिक औसत से ऊपर बने हुए हैं। 10 वर्षीय सरकारी प्रतिभूतियों व 12 महीने आगे की बीएसई सेंसेक्स की आय के बीच अंतर 2.47 फीसदी है और यह लंबी अवधि के अपने ऐतिहासिक औसत 1.65 फीसदी के काफी आगे निकल गया है।
आरबीआई ने कहा कि एक ओर जहां आर्थिक संकेतक सुधर रहे हैं, लेकिन असमान वैश्विक रफ्तार, जिंसों की बढ़ी हुई कीमतें, आपूर्ति के अवरोध और महंगाई की चिंता के कारण मौद्रिक सहायता की वापसी की चिंता से पोर्टफोलियो में निवेश भी डांवाडोल होने लगा है।
हालांकि उसने कहा कि सूचीबद्ध कंपनियों में लगातार प्रवर्तकों की बढ़ रही हिस्सेदारी प्रवर्तकों का अपने कारोबारी परिदृश्य के प्रति बढ़ते भरोसे और मूल्यांकन को लेकर सहजता को प्रतिबिंबित करता है।
हाल के हफ्तों में भारतीय इक्विटी के मूल्यांकन की चिंता कुछ वैश्विक ब्रोकरेज फर्में पहले ही जता चुकी हैं।
जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, बैंंकिंग व फार्मा शेयरों में भारी बिकवाली के साथ भारी नुकसान में फिसलने से पहले देसी बाजारों ने नफा-नुकसान के बीच ट्रेडिंग शुरू की। इक्विटी बाजार के मूल्यांकन को लेकर आरबीआई के बयान ने दबाव में और इजाफा किया। वैश्विक बाजारों का रुख मिला जुला रहा क्योंकि जो बाइडन व शी-जिनफिंग के बीच बैठक समाप्त हो गई और दोनों पक्षकारों ने बेहतर सामंजस्य की अपील की।
वैश्विक स्तर पर निवेशकों की नजर मंगलवार को इस पर नजर रही कि नीति निर्माता महंगाई पर अपनी प्रतिक्रिया किस तरह की जताते हैं। अमेरिकी फेडरल रिजर्व के कुछ पूर्व अधिकारियों ने चेताया कि बढ़ती कीमतों पर लगाम कसने के लिए और आक्रामक तरीका अपनाया जाना चाहिए। निवेशकों की नजर इस पर भी है कि फेड का अगला चेयरमैन कौन होगा।
सेंसेक्स के शेयरों में आरआईएल का प्रदर्शन सबसे खराब रहा और यह 2.6 फीसदी टूटा। इस शेयर ने सेंसेक्स में 193 अंकों का नकारात्मक योगदान किया। भारतीय स्टेट बैंक का शेयर 2.3 फीसदी टूटा। छह को छोड़कर बाकी क्षेत्रीय सूचकांक फिसले। ऊर्जा क्षेत्र के शेयरों में सबसे ज्यादा गिराट आई। मारुति सुजूकी सबसे ज्यादा 7.3 फीसदी चढ़ा जबकि महिंद्रा ऐंड महिंद्रा में 3.4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।

First Published - November 16, 2021 | 8:45 PM IST

संबंधित पोस्ट