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Smallcap funds का माइक्रोकैप शेयरों पर बढ़ता दांव, निवेश में जोरदार उछाल

तीन साल में माइक्रोकैप निवेश 22.4% से बढ़कर 31.3% हुआ, स्मॉलकैप फंडों की परिसंपत्तियां 3.3 लाख करोड़ रुपये के पार

Last Updated- January 29, 2025 | 11:09 PM IST
Debt Funds

स्मॉलकैप फंड अपनी परिसंपत्तियों में कई गुना उछाल के बीच ‘माइक्रोकैप’ पर ध्यान बढ़ा रहे हैं। शीर्ष 500 से नीचे के शेयरों में उनका निवेश बढ़ा है। मॉर्निंगस्टार डायरेक्ट के आंकड़ों से पता चला है कि पिछले तीन साल में ऐसे शेयरों में स्मॉलकैप फंडों का औसत निवेश 22.4 फीसदी से बढ़कर 31.3 फीसदी हो गया।

जहां म्युचुअल फंड (एमएफ) उद्योग केवल तीन बाजार पूंजीकरण (एम-कैप) श्रेणियों को मान्यता देता है – लार्जकैप, मिडकैप और स्मॉलकैप, वहीं ‘माइक्रोकैप’ शब्द का इस्तेमाल बाजार विश्लेषक व्यापक रूप से उन शेयरों के लिए करते हैं जो बाजार पूंजीकरण के हिसाब से सबसे बड़ी 500 कंपनियों से बाहर हैं।

स्मॉलकैप फंड पिछले दो साल से निवेशकों के पसंदीदा बने हुए हैं। दिसंबर 2024 तक की दो साल की अवधि में इस श्रेणी ने 75,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश हासिल किया। स्मॉलकैप फंडों की संपूर्ण प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियां (एयूएम) दो साल में 2.53 गुना बढ़कर 3.3 लाख करोड़ रुपये हो गईं।

स्मॉलकैप फंडों में दिलचस्पी पिछले दो वर्षों के दौरान स्मॉलकैप में आई शानदार तेजी की वजह से दिखी है। मूल्यांकन में बड़ी तेजी ने कई फंडों को निवेश पर सीमा लगाने के लिए बाध्य कर दिया था। जोखिम घटाने के लिए अन्य उपायों के तहत फंडों ने अपने पोर्टफोलियो में शेयरों की संख्या बढ़ाई है। इन उपायों को माइक्रोकैप शेयरों में फंडों का निवेश बढ़ने के कारणों में से एक के तौर पर देखा गया है।

फंड प्रबंधकों के अनुसार माइक्रोकैप शेयरों की ओर झुकाव कोई योजनाबद्ध कदम नहीं है, बल्कि उनके विस्तारित दायरे और बढ़ती बाजार पैठ का परिणाम है। टाटा ऐसेट मैनेजमेंट में वरिष्ठ फंड प्रबंधक चंद्रप्रकाश पाडियार ने कहा, ‘मौजूदा परिभाषा में माइक्रोकैप नामक कोई श्रेणी नहीं है। स्मॉलकैप फंड में हम बॉटम अप दृष्टिकोण अपनाते हैं और आकर्षक मूल्यांकन पर उपलब्ध अच्छी वृद्धि वाली कंपनियों की पहचान करने पर ध्यान देते हैं। फंड के लिए समग्र दायरा बहुत बड़ा है।’

एलआईसी स्मॉलकैप फंड के फंड प्रबंधक महेश बेंद्रे ने कहा कि हालांकि फंड हाउस स्मॉलकैप और माइक्रोकैप शेयरों में अंतर नहीं करता है। लेकिन कम शोध वाली और कम स्वामित्व वाली कंपनियों में निवेश की उसकी रणनीति से माइक्रोकैप में निवेश बढ़ा है। उन्होंने कहा, ‘हमारे फंड में, मुख्य ध्यान उच्च गुणवत्ता और कम शोध वाली कंपनियों की पहचान करना है, जिससे कि उनके कम मूल्यांकन का लाभ उठाया जा सके। वास्तविकता यह है कि स्मॉलकैप सेगमेंट में तरलता की स्थिति में सुधार आया है।’

पिछले 3-4 साल में स्मॉलकैप शेयरों के मार्केट कैप में उछाल से इस सेगमेंट की लोकप्रियता स्पष्ट हुई है। एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के आंकड़ों से पता चलता है कि सबसे बड़ी स्मॉलकैप कंपनी (बाजार पूंजीकरण रैंकिंग में 251वां शेयर) का औसत बाजार पूंजीकरण 2021 की दूसरी छमाही के दौरान 15,926 करोड़ रुपये से बढ़कर 2024 की दूसरी छमाही में 32,800 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। 501वीं कंपनी का औसत बाजार पूंजीकरण 4,500 करोड़ रुपये से बढ़कर 11,300 करोड़ रुपये हो गया।

वेंचुरा सिक्योरिटीज ने एक ताजा रिपोर्ट में कहा है, ‘दिसंबर 2019 में जिस शेयर की रैंकिंग 251 थी, उसकी वैल्यू आज 4 गुना तक बढ़ गई है। इसी तरह, 500वीं कंपनी के लिए यह 6 गुना और 1000वीं रैंकिंग वाली कंपनी के लिए 8 गुना बढ़ी है।’

 

First Published - January 29, 2025 | 11:09 PM IST

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