Stock Market Crash: लोक सभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बहुमत के आंकड़े से पीछे रहने के संकेत से शेयर बाजार आज धराशायी हो गए। बाजार के औंधे मुंह गिरने से निवेशकों को 31 लाख करोड़ रुपये की चपत लगी है।
गठबंधन में बनने वाली नई सरकार की चिंता और इससे राजनीतिक स्थिरता पर असर पड़ने की आशंका से कारोबार के दौरान निफ्टी करीब 1,900 अंक या 9 फीसदी तक टूट गया था और सेंसेक्स 6,000 अंक लुढ़क गया था।
कारोबार की समाप्ति पर निफ्टी 1,379 अंक या 6 फीसदी के नुकसान के साथ 21,885 पर बंद हुआ, जो 20 मार्च के बाद इसका निचला स्तर है। सेंसेक्स 4,390 अंक टूटकर 72,079 पर बंद हुआ। 23 मार्च, 2020 में कोरोना महामारी के बाद यह सबसे बड़ी गिरावट है। उस समय सूचकांकों में 13 फीसदी की गिरावट आई थी।
मंगलवार को जिस तरह की बिकवाली हुई उसने 2004 के चुनावों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की हार के बाद हुई जोरदार बिकवाली की याद दिला दी। चुनाव नतीजों के दिन सूचकांकों का प्रदर्शन 1999 के बाद सबसे खराब रही है। बाजार में उठापटक बताने वाला इंडिया वीआईएक्स 27 फीसदी चढ़कर 26 के स्तर पर पहुंच गया जो दो साल में सबसे बड़ी छलांग है। इससे आगे भी उठापटक के संकेत मिलते हैं।
एक्जिट पोल के अनुमानों से उलट सत्तारूढ़ दल भाजपा बहुमत के जरूरी 272 सीटों तक भी नहीं पहुंच पाई। रात 8 बजे तक भाजपा 239 सीटों पर आगे थी। 2019 के आम चुनावों में भाजपा ने 303 सीटों पर जीत हासिल की थी।
अप्रत्याशित जनादेश ने गठबंधन राजनीति का युग वापस ला दिया, जो 1989 से 2014 के बीच देखा गया था, जहां सरकारें अपने अस्तित्व व विधेयक पारित करने के मामले में गठबंधन के सहयोगियों पर आश्रित रहीं। विशेषज्ञों ने कहा कि इस कयास के बीच काफी बिकवाली हुई कि प्रधानमंत्री में संभावित बदलाव हो सकता है या विपक्षी पार्टियां राजग की कुछ सहयोगियों के साथ नई सरकार का गठन कर सकती है।
विश्लेषकों ने कहा कि भारतीय इक्विटी के उच्च मूल्यांकन को सही ठहराना और चुनौतीपूर्ण होगा क्योंकि स्थिर सरकार और नीतिगत निरंतरता का फायदा अब नहीं मिलेगा। खंडित जनादेश ने जमीन अधिग्रहण व श्रम कानून से संबंधित सुधार को पारित कराने की नई सरकार की क्षमता पर भी सवाल उठाया, जो भारत की आर्थिक रफ्तार और बाजार की तेजी को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
एवेंडस कैपिटल ऑल्टरनेट स्ट्रैटिजीज के सीईओ एंड्यू हॉलैंड ने कहा, बाजार इस बात को लेकर चिंतित होगा कि क्या आने वाले समय में नीतिगत बदलाव और लोक लुभावन कदमों की संभावनाएं ज्यादा होंगी। उन्होंने जोर दिया कि भारत की वृद्धि की रफ्तार को दिए गए प्रीमियम का दोबारा आकलन करने की दरकार होगी क्योंकि ये अनुमान एक पार्टी के बहुमत के आधार पर लगाए गए थे। यह नए राजनीतिक हालात में भारत की वृद्धि की संभावना को लेकर सावधानीपूर्वक दोबारा आकलन की जरूरत बताता है।
व्यापक निफ्टी मिडकैप 100 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 में क्रमश: 7.8 फीसदी व 8.2 फीसदी की गिरावट आई। चुनाव होने तक मोदी व ज्यादातर वरिष्ठ मंत्रियों ने सत्ताधारी गठबंधन को मजबूत बहुमत मिलने को लेकर निवेशकों को आश्वस्त किया था और कहा था कि चुनाव के नतीजों की घोषणा के बाद बाजार में उछाल आएगी।
FMCG को छोड़कर BSE के सभी अन्य क्षेत्रीय सूचकांकों में गिरावट आई और कई में दो अंकों की गिरावट आई। बाजार में चढ़ने व गिरने वाले शेयरों का अनुपात कमजोर था और 3,427 शेयर गिरे जबकि 418 में बढ़ोतरी दर्ज हुई।