सूचना प्रौद्योगिकी दिग्गजों के कमजोर तिमाही नतीजे और आने वाले समय के लिए कुछ फर्मों के नरम अनुमान के कारण तकनीकी शेयरों में बिकवाली हुई और भारतीय बाजारों में तीन हफ्ते से चली आ रही तेजी थम गई।
सेंसेक्स शुक्रवार को 22 अंकों की बढ़त के साथ 59,655 पर बंद हुआ जबकि निफ्टी ने 17,624 पर कारोबार की समाप्ति की। लेकिन सप्ताह के दौरान सेंसेक्स में 1.3 फीसदी और निफ्टी में 1.1 फीसदी की गिरावट आई। अप्रैल में इन दोनों सूचकांकों की पहली साप्ताहिक गिरावट है।
विकसित दुनिया में बैंकिंग संकट के कारण इन्फोसिस जैसे आईटी दिग्गजों ने कमजोर नतीजे दर्ज किए और आने वाले समय के लिए राजस्व नरम रहने की भविष्यवाणी की, लिहाजा बाजारों में इस हफ्ते उतारचढ़ाव में इजाफा हुआ।
कई विश्लेषकों ने इस डर से आईटी शेयरों की लक्षित कीमत में कमी कर दी कि विकसित दुनिया में मंदी का आईटी सेवा निर्यातकों की मांग पर गंभीर असर पड़ सकता है।
विश्लेषकों ने कहा, आईटी कंपनियों के राजस्व पर उम्मीद से ज्यादा चोट पड़ी, ऐसे में उनकी दोबारा रेटिंग जरूरी हो गई। सप्ताह के दौरान निफ्टी आईटी इंडेक्स 5 फीसदी टूटा।
एक नोट में कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज ने कहा कि अमेरिका के क्षेत्रीय बैंकों व यूरोपीय बैंकों में मार्च में आए संकट ने सतर्कता बरतना जरूरी कर दिया है और इसका असर जून 2023 की तिमाही में दिख सकता है।
अल्फानीति के सह-संस्थापक यू आर भट्ट ने कहा, भारतीय सूचकांकों में आईटी का अच्छा खासा भारांक है। आईटी दिग्गजों ने लगातार दो अंकों में राजस्व वृद्धि दर्ज की है। अब हम उनकी आय पर काफी ज्यादा दबाव देख रहे हैं। इन आईटी फर्मों के ग्राहक बड़े अंतरराष्ट्रीय कॉरपोरेशन हैं और वे अपने कर्मचारियों की छंटनी कर रहे हैं। ऐसे परिदृश्य में मौजूदा परियोजनाएं पर भी जोखिम है। बाजार ने जिस तरह के परिदृश्य का अनुमान लगाया था, यह उससे ज्यादा खराब है।
पिछले तीन हफ्तों में सेंसेक्स व निफ्टी ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की खरीदारी के दम पर बढ़त दर्ज की थी। हालांकि पिछले चार कारोबारी सत्रों में वे 928 करोड़ रुपये के शुद्ध बिकवाल रहे हैं। शुक्रवार को एफपीआई 2,116 करोड़ रुपये के शुद्ध बिकवाल रहे। यह जानकारी एक्सचेंज के आंकड़ों से मिली।
भट्ट ने कहा, मजबूत तेजी के बाद बाजार के प्रतिभागी विराम ले रहे हैं और परख रहे हैं कि क्या अंतर्निहित मान्यताएं वैध हैं। साथ ही क्या इस वजह से और गिरावट हो सकती है।
ब्याज दरों में बढ़ोतरी को लेकर चिंता ने निवेशकों को सप्ताह के दौरान परेशान रखा क्योंकि विकसित दुनिया के कुछ केंद्रीय बैंक अधिकारियों ने महंगाई पर लगाम कसने की खातिर मौद्रिक नीति में सख्ती की बात कही।
हालांकि अमेरिका में बेरोजगारी के लाभ को लेकर दावे में उछाल से संकेत मिला कि श्रम बाजार में कुछ नरमी आई है। पर फेड के अधिकारी ने सख्त मौद्रिक नीति की दलील दी।
फेडरल रिजर्व बैंक ऑफ क्लेवरलैंड की अध्यक्ष लॉरेटा मेस्टर ने गुरुवार को एक बार और ब्याज बढ़ोतरी को लेकर अपने समर्थन का संकेत दिया था, वहीं डलास की उनकी समकक्ष लॉरी लोगान ने कहा कि महंगाई अभी भी काफी ऊंची है।
विश्लेषकों ने कहा कि आने वाले समय में बाजार की चाल मौद्रिक नीति और कंपनियों के नतीजे पर निर्भर करेगी।
जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, देसी बाजारों का सेंटिमेंट आईटी दिग्गजों के कमजोर नतीजों की शुरुआत से खराब हो गया, साथ ही उनके सतर्क परिदृश्य का भी इस पर असर पड़ा। आज बाजार के लिए सबसे बड़ा जोखिम कंपनियों की आय अनुमान में डाउनग्रेडिंग का है।
शुक्रवार को बाजार में चढ़ने व गिरने वाले शेयरों का अनुपात कमजोर रहा। कुल 1,985 शेयर टूटे जबकि 1,477 में बढ़ोतरी दर्ज हुई। आईटीसी में करीब दो फीसदी की उछाल आई और यह सेंसेक्स के शेयरों में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला रहा और सेंसेक्स की बढ़त में भी उसका योगदान सबसे ज्यादा रहा।