सिलीकॉन वैली बैंक (SVB) संकट से 2008 की मंदी की यादें ताजा हो गई हैं। इसका नकारात्मक असर अगले कुछ कारोबारी सत्रों में घरेलू बाजारों पर देखा जा सकता है। विश्लेषकों ने अल्पावधि में निफ्टी-50 सूचकांक गिरकर 17,200 और फिर 17,000 के स्तर पर भी पहुंचने की आशंका जताई है।
पिछले दो कारोबारी सत्रों में निफ्टी एक प्रतिशत की गिरावट के बाद 17,413 के अपने 200-दिन के मूविंग एवरेज (DMA) से नीचे बंद हुआ है। बीएसई का सेंसेक्स बड़ी कमजोरी के साथ शुक्रवार को 59,135 पर बंद हुआ था।
एवेंडस कैपिटल अल्टरनेट स्ट्रैटेजीज के मुख्य कार्याधिकारी (CEO) एंड्रयू हॉलैंड का कहना है, ‘हमने कभी सोचा भी नहीं था कि ऊंची दरों का यह परिणाम निकलेगा। ये घटनाक्रम होते रहेंगे और बाजारों को चिंतित करेंगे। लेकिन अमेरिकी बाजारों से यदि ज्यादा खराब खबरें आती हैं, तो इससे हमारे बाजार भी प्रभावित होंगे।’
शुक्रवार को वैश्विक बाजारों में भारी बिकवाली हुई, क्योंकि निवेशकों में अमेरिकी बैंकिंग व्यवस्था की सेहत पर नकारात्मक असर पड़ने और SVB के शेयरों में एक ही दिन में 60 प्रतिशत की गिरावट आने के बाद जोखिम गहराने की आशंका बढ़ी है।
विश्लेषकों का कहना है कि SVB संकट की वजह से भारतीय इक्विटी बाजारों पर प्रभाव तीन गुना होगा। पहला, अमेरिकी बैंकिंग व्यवस्था में संकट के आकस्मिक प्रभाव की वजह से भारतीय बैंकों के शेयरों पर दबाव पड़ेगा। दूसरा, आईटी शेयरों में बिकवाली देखी जा सकती है, क्योंकि भारतीय आईटी कंपनियां अमेरिका में टेक कंपनियों को अपनी सेवा मुहैया कराती हैं या SVB से जुड़े उनके निवेश प्रभावित हो सकते हैं। तीसरा, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा की जाने वाली बिकवाली बढ़ सकती है।
नए जमाने की कंपनियां भी बिकवाली दबाव दर्ज करेंगी, क्योंकि SVB का स्टार्टअप तंत्र से संबंध रहा है। भारतीय स्टार्टअप के लिए परिदृश्य अनिश्चित है, क्योंकि बढ़ती लागत, कोष की कमी, मुद्रास्फीति बढ़ने से उपभोक्ता मांग प्रभावित होने जैसी समस्याएं बनी हुई हैं।
कैलिफोर्निया स्थित फर्म अमेरिकी स्टार्टअप के लिए एक प्रमुख ऋणदाता है। यह 2022 में अमेरिका में सूचीबद्ध हुए करीब 50 प्रतिशत वेंचर फंड समर्थित टेक्नोलॉजी और हेल्थकेयर स्टार्टअप के लिए बैंकिंग पार्टनर है।
बैंक पर संकट से क्रिप्टो उद्योग की सेहत प्रभावित होने को लेकर भी चिंता बढ़ गई है। क्रिप्टोकरेंसी-आधारित बैंक सिल्वरगेट कैपिटल के अचानक पतन के बाद, SVB संकट ने अन्य अमेरिकी ऋणदाताओं के स्थायित्व को लेकर आशंकाएं पैदा कर दी हैं।
SVB संकट के बहव अमेरिकी नियामकों ने अपनी सक्रियता बढ़ाई है और फेडरल डिपोजिट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन को इस बैंक के वित्तीय मामलों और समस्याओं को निपटाने की जिम्मेदारी सौंपी।
अमेरिका में बैंक दोहरी समस्याओं से जूझ रहे हैं। एक तरफ जहां उन्हें ऊंची ब्याज दरों की वजह से अपने बॉन्ड पोर्टफोलियो में नुकसान से जूझना पड़ रहा है, वहीं बैकों से व्यवसाय बड़ी पूंजी निकाल रहे हैं।
अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक यू आर भट का कहना है, ‘लीमन ब्रदर्स अंतरराष्ट्रीय बैंक था। यह एक स्थानीय बैंक है। उनकी समस्याएं काफी हद तक लंबी अवधि के बॉन्डों से जुड़ी हुई थी। कई अर्थव्यवस्थाओं में, बैंक को शायद ही कभी बंद होना पड़ा। लेकिन इस बार इसे लेकर आशंका गहरा गई है कि एक और लीमन घटनाक्रम से निवेशक धारणा प्रभावित हो सकती है।’
विश्लेषकों का कहना है कि बाजारों की चाल इस पर निर्भर करेगी कि अमेरिकी अधिकारी इसे अमेरिका में बड़ा बैंकिंग संकट बनने से कितनी तेजी से रोक पाएंगे और अगली मौद्रिक नीति में फेडरल रिजर्व कितनी दर वृद्धि करेगा।
बाजार का एक वर्ग यह अटकल लगा रहा है कि फेडरल रिजर्व ज्यादा दर वृद्धि नहीं करेगा और अपने सख्त रुख में नरमी ला सकता है। विश्लेषकों का मानना है कि SVB संकट की वजह से यदि फेडरल रिजर्व दर वृद्धि को धीमा किया तो इससे इक्विटी बाजारों को ताकत मिल सकती है।