अमेरिकी सरकार द्वारा भारतीय निर्यात पर 25 फीसदी तक अतिरिक्त टैरिफ बुधवार से लगाने की पुष्टि के बाद मंगलवार को भारतीय शेयर बाजारों में तीन महीने की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई। सेंसेक्स 849 अंक यानी 1.04 फीसदी की गिरावट के साथ 80,787 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 256 अंक यानी 1.02 फीसदी की गिरावट के साथ 24,712 पर टिका। मंगलवार की गिरावट 20 मई के बाद से दोनों सूचकांकों में सबसे बड़ी गिरावट रही। बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण 5.6 लाख करोड़ रुपये घटकर 449 लाख करोड़ रुपये रह गया।
अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग ने एक अधिसूचना जारी कर पुष्टि की है कि बुधवार से भारतीय वस्तुओं पर शुल्क 50 फीसदी तक बढ़ सकता है। इससे पहले, राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने भारत द्वारा रूसी तेल की निरंतर खरीद के जवाब में शुल्क दोगुना करने की योजना का संकेत दिया था। इस कदम को वॉशिंगटन, मॉस्को की युद्ध अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने के अपने प्रयासों को कमजोर करने के रूप में देखता है। कई दौर की बातचीत के बावजूद, टैरिफ वृद्धि को 15 फीसदी तक सीमित रखने के नई दिल्ली के प्रयास विफल रहे।
दूसरी तिमाही के सुस्त नतीजों और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की लगातार निकासी से शेयर कीमतों पर पहले ही दबाव था। अगस्त में अब तक एफपीआई ने 23,255 करोड़ रुपये निकाले हैं। इसके जवाब में भारत सरकार उपभोग को बढ़ावा देने और टैरिफ के प्रभाव को कम करने के लिए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) ढांचे में बदलाव पर विचार कर रही है।
स्वतंत्र इक्विटी विश्लेषक अंबरीश बालिगा ने कहा, बाजार में 50 फीसदी टैरिफ की संभावना पहले ही तय हो चुकी थी, लेकिन इसके उलट होने की उम्मीद कम ही थी। इस निराशा ने अचानक बिकवाली को बढ़ावा दिया। अब जब स्थिति स्पष्ट हो रही है तो आगे बड़ी गिरावट की संभावना सीमित है।
रुपया भी लगातार 5वें दिन गिरता रहा और 87.69 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ। जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, रुपये में लगातार कमजोरी एफपीआई निवेश पर दबाव डाल रही है। निवेशकों की नज़र सरकार पर रहेगी, खासकर जीएसटी संशोधन और टैरिफ प्रभावित उद्योगों को राहत के मामले में। एफएमसीजी को छोड़कर सभी क्षेत्रों में बिकवाली व्यापक रही, जिसमें बेहतर खपत की उम्मीद से तेजी आई।
आगे चलकर, ट्रेडरों की नजर अमेरिकी फेडरल रिजर्व की सितंबर की नीति बैठक, रूस-यूक्रेन युद्ध के घटनाक्रम और भारत के खिलाफ आगे की अमेरिकी व्यापार कार्रवाई की संभावनाओं पर रहेगी।
बाजार में चढ़ने व गिरन वाले शेयरों का अनुपात कमजोर रहा, जहां 2,973 शेयर गिरे जबकि 1,155 में इजाफा हुआ। ब्लूचिप दिग्गजों रिलायंस इंडस्ट्रीज और एचडीएफसी बैंक में क्रमश: 1.95 फीसदी व 0.9 फीसदी की गिरावट आई और सेंसेक्स की गिरावट में इसका सबसे ज्यादा योगदान रहा।