Stock market investment strategy amid Israel-Iran war: भारतीय शेयर बाजार में चल रही गिरावट अब अपने निचले स्तर के करीब हो सकती है। एनालिस्ट्स का मानना है कि ईरान-इजराइल युद्ध मीडियम टर्म में “स्थानीय” स्तर (local level) पर ही सीमित हो सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) और निफ्टी 50 (Nifty50) में ज्यादा से ज्यादा 1-2 प्रतिशत की और गिरावट हो सकती है। ऐसे में निवेशकों को इस गिरावट का फायदा उठाकर क्वालिटी वाले लार्ज कैप और चुनिंदा मिड और स्मॉल कैप शेयरों में निवेश करना चाहिए।
इक्विनॉमिक्स रिसर्च के फाउंडर और हेड रिसर्चर जी चोक्कलिंगम के मुताबिक, ‘मध्य पूर्व का युद्ध लोकल लेवल पर सीमित हो सकता है, जैसे रूस-यूक्रेन युद्ध। हमें लगता है कि इक्विटी मार्केट नियर-टर्म में अस्थिर (volatile) रह सकते हैं और जब तक इजराइल का रिएक्शन स्पष्ट होगा उससे पहले ही शेयरों में 1-3 प्रतिशत की और गिरावट हो सकती है।’
ईरान ने मंगलवार देर रात इजराइली सैन्य ठिकानों पर करीब 200 बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं। इसके बाद आज यानी 3 अक्टूबर को बीएसई सेंसेक्स 1,396 अंक गिरकर 83,000 के लेवल से नीचे आ गया। इसी तरह, निफ्टी 50 ने 408 अंकों की गिरावट के साथ 25,400 के लेवल को भी खो दिया।
BSE सेंसेक्स अब तक अपने रिकॉर्ड हाई लेवल से 3,108 अंक गिर चुका है, जबकि निफ्टी 50 ने अपने लाइफटाइम हाई लेवल से 894.5 अंक की गिरावट दर्ज की है।
व्यापक तौर पर देखें तो, शेयर बाजार के अन्य इंडेक्स जैसे- निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 1,492.5 अंक और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 641 अंक गिर चुके हैं।
शेयरखान के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट और कैपिटल मार्केट्स स्ट्रैटेजी हेड गौरव दुआ ने कहा, ‘हर तेजी को एक बेहतर करेक्शन की जरूरत होती है और यह युद्ध के कारण हो रही रिकवरी इसी का हिस्सा है। चूंकि नियर टर्म में बाजार में उतार-चढ़ाव बने रहने की उम्मीद है, इसलिए हम निवेशकों को सलाह देते हैं कि वे नॉन्ग टर्म के नजरिए से क्वालिटी वाले लार्ज-कैप में एंट्री करने के लिए इस अवसर का उपयोग करें।’
उन्होंने फार्मास्युटिकल और रोजाना उपयोग में आने वाली वस्तुओं यानी FMCG कंपनियों के शेयरों में निवेश को बेहतर विकल्प बताया।
ईरान के हमले के बाद ब्रेंट क्रूड की कीमत में लगभग 4 प्रतिशत की तेजी आई है। इसकी वजह से तेल से जुड़े प्रमुख सेक्टर्स जैसे- ऑयल मार्केटिंग, पेंट्स, एविएशन और टायर वाली कंपनियों के शेयरों में बिकवाली हुई। हालांकि, एनालिस्ट्स का मानना है कि यह वृद्धि मामूली है, क्योंकि दुनिया के सबसे ज्यादा तेल उप्पादन करने वाले देश युद्ध में उलझे हुए हैं।
इसके अलावा, ओपेक+ (Opec+) ने बुधवार को तेल उत्पादन नीति में कोई बदलाव नहीं किया, जिसमें दिसंबर से 180,000 बैरल प्रति दिन (bpd) उत्पादन बढ़ाने की योजना शामिल है।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज (Geojit Financial Services) के रिसर्च हेड विनोद नायर ने कहा, ‘कच्चे तेल की कीमतों में हालिया वृद्धि से सीमेंट जैसे सेक्टर्स में कच्चे माल की लागत बढ़ सकती है। हालांकि, निवेशक इस गिरावट का फायदा उठाकर क्वालिटी वाले शेयरों में निवेश कर सकते हैं।’ उन्होंने IT और फार्मा को लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के लिए पसंदीदा सेक्टर बताया।
इक्विनॉमिक्स रिसर्च (Equinomics Research) के जी चोकालिंगम ने कहा कि ओवर वैल्यूड और ‘परसेप्शन पर चलने वाले’ स्मॉल और मिड-कैप शेयर कुछ और समय के लिए चुनौती का सामना कर सकते हैं।
उन्होंने कहा, “इस प्रकार, कंजर्वेटिव रिस्क प्रोफाइल वाले इन्वेस्टर्स कैश और गोल्ड में 15 प्रतिशत तक हिस्सेदारी रख सकते हैं। बाकी 85 प्रतिशत का आधा हिस्सा लार्जकैप में और आधा क्वालिटी वाले SMC शेयरों में रख सकते हैं।”
टेक्निकल तौर पर देखें तो निफ्टी इंडेक्स 25,500 के 20-डेली मूविंग एवरेज (DMA) के आसपास ट्रेड कर रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे थोड़ी कुछ समय के लिए रिकवरी हो सकती है, क्योंकि हायर लेवल पर बिकवाली (selling) का दबाव बना हुआ है।
स्वस्तिका इनवेस्टमार्ट के रिसर्च हेड संतोष मीणा के अनुसार, ‘निफ्टी का हालिया हाई लेवल 26,277 नियर टर्म में एक रेजिस्टेंस का काम कर सकता है। निवेशकों को तब तक ‘बिक्री पर खरीदारी’ (sell on rise) की रणनीति अपनाने की सलाह दी जाती है, जब तक निफ्टी 26,000 के स्तर को फिर से पार नहीं कर लेता। अगर शेयर गिरते हैं तो सपोर्ट लेवल 25,100 और 24,800 के हैं।’
दीर्घकालिक निवेशकों (Long-term investors) को इस करेक्शन का उपयोग करके लार्ज-कैप शेयरों को खरीदने का मौका मिल सकता है। क्योंकि इन शेयरों की वैल्यूएशन आकर्षक हो गई हैं। नियर टर्म में कमोडिटी से जुड़े स्टॉक्स भी बेहतर परफॉर्म कर सकते हैं।