Stock Market: पश्चिम एशिया में संघर्ष के बीच इजरायल पर ईरान की जवाबी कार्रवाई से घबराए निवेशकों ने जोखिम वाली संपत्तियां बेचनी शुरू कर दीं, जिससे आज देसी शेयर बाजार में भी भारी गिरावट देखी गई। मगर कूटनीतिक प्रयासों की मदद से बड़ी जंग की चिंता टलने से निवेशकों को थोड़ा सुकून मिला और गिरावट की रफ्तार कुछ थम गई।
सेंसेक्स लगातार दूसरे दिन आज 1 फीसदी से ज्यादा लुढ़कने के बाद कुल 845 अंक गिरकर 73,400 पर बंद हुआ। सेंसेक्स में 27 मार्च के बाद यह सबसे बड़ी गिरावट थी। निफ्टी भी 247 अंक नीचे 22,273 पर बंद हुआ।
दमिश्क में ईरान के दूतावास पर हुए हमले में इजरायल के शामिल होने की बात उठने पर ईरान ने शनिवार को इजरायल पर कई मिसालें दागते हुए अचानक हमला कर दिया। यह बात अलग है कि ज्यादातर मिसाइलों को इजरायली सेना ने हवा में ही नष्ट कर दिया।
पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव को देखते हुए निवेशक सुरक्षित निवेश की ओर भागने लगे। इससे 10 वर्षीय अमेरिकी बॉन्ड की यील्ड बढ़कर 4.6 फीसदी पर पहुंच गई। सोना भी 0.6 फीसदी बढ़कर 2,358 डॉलर प्रति औंस तक चला गया। मध्य एशिया के तनाव का असर एशियाई मुद्राओं पर भी दिखा। डॉलर के मुकाबले रुपया नरम होकर 83.5 पर आ गया।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने आज 3,268 करोड़ रुपये के शेयर बेचे और देसी संस्थागत निवेशकों ने करीब 4,800 करोड़ रुपये की लिवाली की।
इस बीच ईरान ने संयुक्त राष्ट्र में कहा है कि इस मामले को अब खत्म माना जा सकता है। यह सुनकर कई लोगों को उम्मीद है कि दोनों देशों के बीच तनाव और नहीं बढ़ेगा। अमेरिका तथा अन्य देशों ने भी संयम बरतने की अपील की है। इस बीच ब्रेंट क्रूड 0.4 फीसदी बढ़कर 90.6 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था।
ऐक्सिस सिक्योरिटीज पीएमएस में मुख्य निवेश अधिकारी नवीन कुलकर्णी ने कहा, ‘पश्चिमी देशों में भू-राजनीतिक तनाव और मुद्रास्फीति की चिंता के कारण दुनिया भर में शेयर बाजारों पर दबाव बढ़ गया है। हालांकि भारत उनकी तुलना में बेहतर स्थिति में है, लेकिन कच्चे तेल की ऊंची कीमतें बड़ी बाधा हैं। ताजा खबरों के अनुसार भू-राजनीतिक तनाव फैल नहीं रहा है। इससे बाजार में बहुत ज्यादा गिरावट आने की आशंका नहीं है। निवेशकों को वैश्विक बाजार की स्थिति के अनुसार गिरावट का फायदा उठाकर निवेश करना चाहिए और अच्छे शेयर खरीद लेने चाहिए।’
विश्लेषकों ने कहा कि जब दुनिया भर के केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति को काबू में करने का प्रयास कर रहे हैं तब भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने से ईंधन की कीमतों में तेजी आती है तो बाजार में जोखिम बढ़ सकता है। अमेरिकी बैंक बोफा के रिसर्च नोट के अनुसार दर में कटौती जून के बजाय दिसंबर से शुरू होने की संभावना है। अमेरिकी बैंक ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि फेडरल रिजर्व दिसंबर से दरें घटाने लगेगा। मुझे नहीं लगता कि नीति निर्माताओं में इतना विश्वास आया है कि वे जून में दर में कटौती करें।’
कंपनियों के तिमाही नतीजों और चीन तथा यूरोजोन के वृहद आर्थिक आंकड़ों से आगे बाजार को दिशा मिल सकती है।