भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) अफवाहों की सच्चाई परखने के लिए खुलासे के नए नियमों में ढील दे सकता है ताकि इन नियमों को सुगमता से लागू किया जा सके और इनका पालन करना भी आसान रहे। मामले से वाकिफ लोगों ने बताया कि कंपनी जगत के विरोध के बीच यह कदम उठाया जा सकता है।
लिस्टिंग ऑब्लिगेशन ऐंड डिसक्लोजर (LODR) रेग्युलेशंस में सेबी द्वारा संशोधन के बाद ये नियम अधिसूचित हो चुके हैं मगर अब इन्हें फरवरी में लागू किया जाएगा। इस बीच उद्योग संस्थाओं, एक्सचेंजों, कानूनी विशेषज्ञों और नियामकीय अधिकारियों का एक मंच इससे जुड़ी चुनौतियां समझने और इसे आसानी से लागू करने का तरीका निकालने में जुटा हुआ है।
नियामकीय सूत्र ने कहा, ‘सेबी को पता चला है कि नियम लागू करने से कुछ अनचाही दिक्कतें सामने आ सकती हैं। इसलिए खुलासे की प्रक्रिया या सेबी के किसी दूसरे कायदे में कुछ बदलाव करने होंगे।’
कानूनी विशेषज्ञों ने कहा कि ऐसे खुलासे का असर शेयर भाव पर पड़ेगा, इसलिए धोखाधड़ी वाले कारोबारी तरीकों से निपटने वाले कायदों में बदलाव की दरकार है। कुछ लोग यह भी मानते हैं कि खुलासे से जुड़ी जरूरतों और सेबी के धोखाधड़ी व अनुचित व्यापार व्यवहार (FUTP) नियमन के बीच टकराव हो सकता है।
रेगस्ट्रीट लॉ एडवाइजर्स के मैनेजिंग पार्टनर और सेबी के अधिकारी रह चुके सुमित अग्रवाल ने कहा, ‘एफयूटीपी निरोधक कानून किसी कंपनी से जुड़े व्यक्ति को ऐसा बयान देने से रोकता है जो बाजार में शेयर भाव और शेयरधारकों के हितों पर असर डाल सकता है। ऐसे में इन नियमों का पालन करने के लिए कुछ तब्दीली करनी पड़ सकती है ताकि एलओडीआर नियमन के अंतर्गत आने वाला बाजार अफवाहों के सत्यापन का कायदा लागू करने में आसानी हो। इसके लिए जरूरी शर्तें भी लानी पड़ सकती हैं।’
केवी कामत की अगुआई वाले उद्योग मंच ने अक्टूबर में सिफारिशों का पहला सेट पेश किया था। शुरुआती मशविरे के बाद सेबी ने शीर्ष 100 सूचीबद्ध कंपनियों के लिए इसे लागू करने की तारीख बढ़ाकर 1 फरवरी, 2024 कर दी, जो पहले 1 अक्टूबर, 2023 थी। शीर्ष 250 सूचीबद्ध फर्मों को 1 अगस्त, 2024 से इसका पालन करना होगा।
फिनसेक लॉ एडवाइजर्स के पार्टनर अनिल चौधरी ने कहा कि किसी सौदे पर बातचीत चल रही हो तो बीच में उससे जुड़ी सूचना का सत्यापन बाजार के लिए फायदेमंद नहीं होगा और निवेशकों में उससे भ्रम फैल सकता है। समय से पहले या अधपका खुलासा करने से कीमत पर असर पड़ सकता है और बाजार में अफवाहें उड़ाकर सौदा बेपटरी करने की कोशिश भी हो सकती है।
चौधरी ने कहा, ‘तय करना होगा कि ऐसा खुलासा किस समय किया जा सकता है। हमें उम्मीद है कि ऐसे खुलासे किस समय अनिवार्य होंगे, इससे जुड़े नियमों में खास तौर पर कुछ नरमी आएगी। जब तक समझौता ठोस रूप न ले चुका हो तब तक ऐसे खुलासे नहीं होने चाहिए।’
प्रावधानों के तहत सूचीबद्ध फर्मों को मुख्यधारा के मीडिया में आई खबरों की पुष्टि या इनकार 24 घंटे के भीतर करना होगा या उस पर सफाई देनी होगी। उद्योग ने बताया है कि 24 घंटे की मियाद का पालन करने में किस तरह की चुनौती आएंगी।
परामर्श पत्र में पहले प्रस्तावित बदलावों के विरोध में आम जनता और उद्योग के लोगों द्वारा की गई टिप्पणियों और ब्योरे के बारे में सेबी से सवाल पूछे गए मगर कोई जवाब नहीं मिला।