शेयर बाजार

SEBI ने NPO और शेयरहोल्डिंग नियमों में ढील का रखा प्रस्ताव, अब बड़ी कंपनियों को नहीं उठाना होगा बोझ

SEBI ने कहा कि बहुत बड़ी कंपनियों को अक्सर IPO के जरिए भारी मात्रा में शेयर बेचने में दिक्कत होती है, क्योंकि बाजार इतने बड़े शेयरों को एक साथ खरीदने में सक्षम नहीं होता।

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खुशबू तिवारी   
Last Updated- August 18, 2025 | 10:46 PM IST

SEBI New IPO Rules: भारतीय पूंजी बाजार नियामक SEBI ने सोमवार को बड़ी कंपनियों के लिए न्यूनतम पब्लिक ऑफर (NPO) नियमों में ढील देने का प्रस्ताव पेश किया। साथ ही, इन कंपनियों को न्यूनतम पब्लिक शेयरहोल्डिंग (NPS) के लक्ष्य को पूरा करने के लिए ज्यादा समय देने की बात कही। इस नए प्रस्ताव का मकसद बड़ी कंपनियों पर तुरंत बड़े पैमाने पर शेयर बिक्री का बोझ कम करना है, ताकि वे भारतीय बाजार में आसानी से लिस्ट हो सकें। SEBI ने कहा कि यह कदम बाजार में शेयरों की अधिक आपूर्ति को रोकने और मौजूदा शेयरधारकों के हितों की रक्षा करने के लिए उठाया जा रहा है। 

SEBI ने अपने नए पत्र में कहा कि बहुत बड़ी कंपनियों को अक्सर IPO के जरिए भारी मात्रा में शेयर बेचने में दिक्कत होती है, क्योंकि बाजार इतने बड़े शेयरों को एक साथ खरीदने में सक्षम नहीं होता। इस वजह से कई कंपनियां घरेलू बाजार में लिस्ट होने से हिचकती हैं। नए प्रस्ताव के तहत, SEBI ने रिटेल कोटा को मौजूदा 35 फीसदी पर बनाए रखने का फैसला किया है। यह पहले के उस प्रस्ताव से अलग है, जिसमें 5,000 करोड़ रुपये से बड़े IPO के लिए रिटेल कोटा 35 से घटाकर 25 फीसदी करने की बात थी। 

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कंपनियों के लिए नई शर्तें और समयसीमा

नए नियमों के तहत, SEBI ने कंपनियों को उनकी मार्केट वैल्यू के आधार पर अलग-अलग श्रेणियों में बांटा है। जिन कंपनियों की मार्केट वैल्यू 50,000 करोड़ से 1 लाख करोड़ रुपये के बीच है, उन्हें कम से कम 1,000 करोड़ रुपये और 8 फीसदी पोस्ट-इश्यू कैपिटल का NPO करना होगा। ऐसी कंपनियों को 25 फीसदी एमपीएस का लक्ष्य पांच साल में पूरा करना होगा। वहीं, 1 लाख करोड़ से 5 लाख करोड़ रुपये की वैल्यू वाली कंपनियों के लिए NPO 6,250 करोड़ रुपये और कम से कम 2.75 फीसदी होगा। अगर लिस्टिंग के समय इनका पब्लिक शेयरहोल्डिंग 15 फीसदी से कम है, तो इसे पांच साल में 15 फीसदी और 10 साल में 25 फीसदी करना होगा। अगर पहले से 15 फीसदी या ज्यादा है, तो 25 फीसदी का लक्ष्य पांच साल में पूरा करना होगा। 

5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा वैल्यू वाली कंपनियों के लिए NPO 15,000 करोड़ रुपये और कम से कम 1 फीसदी होगा, जिसमें न्यूनतम 2.5 फीसदी की बिक्री जरूरी है। इन कंपनियों को भी 15 फीसदी से कम शेयरहोल्डिंग होने पर 10 साल में 25 फीसदी का लक्ष्य पूरा करना होगा, जबकि 15 फीसदी से ज्यादा होने पर पांच साल का समय मिलेगा। SEBI का कहना है कि यह कदम बाजार में शेयरों की अधिकता को रोकेगा और शेयर की कीमतों पर नकारात्मक असर को कम करेगा। हाल के वर्षों में एलआईसी और हुंडई मोटर इंडिया जैसे बड़े IPO देखने को मिले हैं। 2024-25 में औसत मेनबोर्ड IPO का आकार 2,057 करोड़ रुपये रहा, जो 2019-20 में 1,488 करोड़ रुपये था। 

SEBI ने इन प्रस्तावों पर जनता से 8 सितंबर तक राय मांगी है। 

First Published : August 18, 2025 | 10:12 PM IST