बाजार नियामक सेबी मार्जिन ट्रेडिंग फंडिंग (MTF) के तहत मार्जिन फ्रेमवर्क की समीक्षा करने पर विचार कर रहा है। इसका मकसद क्लीयरिंग कॉरपोरेशनों में रिस्क मैनेजमेंट को सुव्यवस्थित करना है। वित्त वर्ष 2024-25 की अपनी एनुअल रिपोर्ट में सेबी ने कहा कि, “वर्तमान में लागू मार्जिनिंग फ्रेमवर्क की व्यापक समीक्षा की जा रही है।” इसके साथ ही, MTF और इसके तहत पात्र शेयरों की समीक्षा पर भी विचार किया जा रहा है।
मार्जिन ट्रेडिंग निवेशकों को यह सुविधा देती है कि वे पूरी राशि न होने के बावजूद भी शेयर खरीद सकें। इसके तहत निवेशक कीमत का केवल एक हिस्सा देकर शेयर खरीद सकते हैं, जबकि बाकी रकम कैश में जमा किए गए मार्जिन या गिरवी रखे शेयरों से कवर की जाती है।
मार्जिन नियमों की समीक्षा के अलावा, सेबी एंजल फंड्स के नियामक ढांचे में बदलाव पर भी विचार कर रहा है। इस समीक्षा का ध्यान फंड रेजिंग की प्रक्रियाओं, निवेश की शर्तों और संचालन से जुड़े पहलुओं पर होगा, जिसका उद्देश्य बिजनेस करने में आसानी सुनिश्चित करना और नियामक आवश्यकताओं को सुव्यवस्थित करना है।
एंजल फंड्स, एंजल निवेशकों की पूंजी को उन स्टार्टअप्स तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाते हैं जिन्हें फंडिंग की जरूरत होती है।
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सेबी ने REITs और InvITs को हाइब्रिड इंस्ट्रूमेंट्स के रूप में वर्गीकृत करने की समीक्षा करने का प्रस्ताव भी रखा है। यह कदम विभिन्न हितधारकों की मांगों, इन इंस्ट्रूमेंट्स में इक्विटी जैसी विशेषताओं, पिछले दशक में बाजार इकोसिस्टम के विकास और वैश्विक प्रथाओं को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है।
म्युचुअल फंड के नियामक ढांचे की समीक्षा भी प्रस्तावित है, जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि नियम प्रभावी, अनुकूल और बदलते बाजार बदलते बाजार के अनुसार बने रहें।
इस प्रक्रिया में सेबी एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMCs) पर वर्तमान में लगे प्रतिबंधों की भी जांच कर रहा है। यह कदम म्युचुअल फंड उद्योग और AMFI से मिली प्रतिक्रिया के आधार पर उठाया गया है।
(PTI इनपुट के साथ)