वैश्विक ऋणदाता क्रेडिट सुइस और यूबीएस के शेयरों में तेज गिरावट का असर घरेलू बाजार पर भी पड़ा और प्रमुख सूचकांक 1.6 फीसदी से ज्यादा गिरावट पर बंद हुए। वैश्विक बैंकों के शेयरों में बिकवाली की वजह से पश्चिमी देशों में बैंकिंग संकट का डर बढ़ गया है। यही वजह है कि निवेशक जोखिम वाली संपत्तियों और जिंसों से निवेश निकालकर सुरक्षित माने जाने वाले बॉन्ड और शेयरों में पैसा लगा रहे हैं। इस बीच यूबीएस समूह द्वारा क्रेडिट सुइस को खरीदने के करार से चिंता थोड़ी कम हुई है। इससे पहले अमेरिका में सिलिकन वैली बैंक के डूबने से वैश्विक बैंकिंग क्षेत्र पर संकट को लेकर चिंता बढ़ गई थी।
कारोबार के दौरान बेंचमार्क सेंसेक्स 905 अंक तक लुढ़क गया था मगर कारोबार की समाप्ति पर यह करीब दो-तिहाई नुकसान की भरपाई करते हुए 361 अंक नीचे 57,629 पर बंद हुआ। निफ्टी भी दिन के निचले स्तर से 160 अंक सुधरकर 112 अंक के नुकसान के साथ 17 हजार से नीचे 16,988 पर बंद हुआ।
यूरोपीय बाजारों में सुधार से देसी बाजार को भी दिन के निचले स्तर से काफी हद तक वापसी करने में मदद मिली। यूरोपीय बाजार की शुरुआत गिरावट के साथ हुई थी लेकिन बाद में इसमें थोड़ा सुधार हुआ मगर क्रेडिट सुइस और यूबीएस के शेयरों में बिकवाली से बाजार पर दबाव बना रहा। क्रेडिट सुइस का शेयर करीब 60 फीसदी तक लुढ़क गया था जबकि यूबीएस में करीब 10 फीसदी की गिरावट आई।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने देसी बाजार में भी बिकवाली जारी रखी। उन्होंने 2,546 करोड़ रुपये के शेयर बेचे जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 2,876 करोड़ रुपये की लिवाली की, जिससे बाजार को थोड़ा सहारा मिला।
अवेंडस कैपिटल अल्टरनेट स्ट्रैटजीज के मुख्य कार्याधिकारी एंड्रयू हॉलैंड ने कहा, ‘सभी सोच रहे हैं अगला शिकार कौन होगा। यह संकट अमेरिका से यूरोप होते हुए अब एशिया में स्थानांतरित हो गया है। क्रेडिट सुइस को लेकर भी लोगों के मन में सवाल हैं कि कंपनी का क्या होगा और उसमें कितने लोग बचेंगे? हर कोई बगलें झांक रहा है। इससे बाजार में उठापटक बनी रहेगी।’
यूबीएस समूह ने क्रेडिट सुइस को खरीदने पर सहमति जताई है। सौदे के अनुसार स्विस नैशनल बैंक यूबीएस को 100 अरब फ्रैंक की तरलता प्रदान करेगा जबकि वहां की सरकार संभावित नुकसान के लिए 9 अरब फ्रैंक की गारंटी दे रही है।
पश्चिमी देशों के केंद्रीय बैंक और वित्तीय नीति निर्माता डर के माहौल के बीच निवेशकों का भरोसा बढ़ाने के लिए कदम उठा रहे हैं। फेडरल रिजर्व का गठजोड़ और पांच अन्य केंद्रीय बैंकों ने वैश्विक वित्तीय प्रणाली में तरलता बढ़ाने के लिए समन्वित प्रयासों की घोषणा की है।
निवेशक इसका अंदाज लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि बैंकिंग संकट से फेड के दर वृद्धि के निर्णय पर क्या असर पड़ेगा। बाजार के एक वर्ग का मानना है कि फेड दर में कटौती कर सकता है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा बैंकिंग संकट अमेरिका में मंदी का दौर खत्म होने की कष्टकारक शुरुआत है। निवेशकों की नजरें 21-22 मार्च को होने वाली फेड की बैठक पर टिकी हैं और उम्मीद जताई जा रही है दर में 50 आधार अंक की बढ़ोतरी की संभावना अब नहीं है।
निवेशकों के सुरक्षित संपत्तियों पर दांव लगाने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कारोबार के दौरान सोने का दाम 2,000 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया था। इस बीच ब्रेंट क्रूड फिसलकर करीब 15 महीने के निचले स्तर पर आ गया।
फेड की नीतिगत घोषणा के अलावा निवेशकों की नजर ईसीबी अध्यक्ष क्रिस्टिन लेगार्ड और अमेरिका की वित्त मंत्री जेनेट येलन के बयान पर भी है। बैंक ऑफ इंगलैंड और स्विस नैशनल बैंक भी इस हफ्ते दरों पर निर्णय की घोषणा कर सकता है।
हालांकि बैंकिंग संकट के बीच कुछ सकारात्मक संकेत भी हैं। आनंद राठी रिसर्च ने एक नोट में कहा है, ‘फेड द्वारा तरलता बढ़ाने और ज्यादा नरम नीतिगत रुख अपनाने से भारतीय रिजर्व बैंक भी इस तरह की रणनीति अपना सकता है। ऐसे में देश में ब्याज दर का परिदृश्य पहले की तुलना में ज्यादा सकारात्मक हो गया है।
अमेरिका में दो बैंकों के डूबने से भारत की सूचीबद्ध कंपनियों के आय परिदृश्य पर खास असर नहीं पड़ा है। इसके उलट ब्याज दरों में संभावित कमी, बॉन्ड प्रतिफल में नरमी आदि का घरेलू शेयरों के मूल्यांकन पर सकारात्मक असर पड़ सकता है।’
हालांकि निकट अवधि में उठापटक से बचना बाजार के लिए कठिन होगा। इंडिया वीआईएक्स सूचकांक 8 फीसदी बढ़कर 16 पर पहुंच गया। बंबई स्टॉक एक्सचेंज पर 2,671 शेयर नुकसान में रहे जबकि 1,072 लाभ पर बंद हुए। रिलायंस इंडस्ट्रीज में करीब 1 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। इस साल अब तक रिलायंस का शेयर करीब 14 फीसदी नीचे आ चुका है। इन्फोसिस 1.2 फीसदी और एचडीएफसी बैंक 0.73 फीसदी की गिरावट पर बंद हुआ। हिंदुस्तान यूनिलीवर में 2.5 फीसदी की तेजी देखी गई।