दलाल पथ रिकॉर्ड तेजी के साथ कैलेंडर वर्ष 2025 की पहली छमाही का समापन कर रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि दूसरी छमाही में भी शेयर बाजार की मजबूत रफ्तार बरकरार रह सकती है और मजबूत वृहद आर्थिक परिदृश्य वैश्विक जोखिमों को कम कर सकते हैं। उनका मानना है कि बेंचमार्क निफ्टी इंडेक्स अगले छह महीनों में मौजूदा स्तर से 6 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा। अलबत्ता बीच-बीच में इसके टैरिफ, तेल की कीमतें, भूराजनीति जैसी वैश्विक घटनाओं की वजह से गिरावट के झटके लगते रहेंगे।
इक्विनॉमिक्स रिसर्च के संस्थापक और मुख्य निवेश अधिकारी जी चोक्कालिंगम के अनुसार बाजारों के लिए घरेलू कारकों में मजबूत आर्थिक विकास, स्थिर मुद्रास्फीति, तेल की नरम कीमतें और सामान्य मॉनसून शामिल होंगे। उनका कहना है कि इसके अलावा पूंजीगत खर्च की गति में निरंतरता से भी बाजार की रफ्तार जारी रह सकती है।
गौरतलब है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आर्थिक अनिश्चितता के बावजूद जून की मौद्रिक नीतिगत बैठक में वित्त वर्ष 2026 की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि के अनुमान को 6.5 प्रतिशत पर बनाए रखा और कहा कि महत्वाकांक्षी वृद्धि का लक्ष्य 7-8 फीसदी पर बरकरार है। इसके अलावा, केंद्रीय बैंक ने इस वित्त वर्ष के लिए अपने मुद्रास्फीति अनुमान को 4 प्रतिशत से घटाकर 3.7 प्रतिशत कर दिया है।
विश्लेषकों का कहना है कि वैश्विक मोर्चे पर बाजारों की नजर अमेरिकी मुद्रास्फीति पर रहेगी। ऐंजल वन में वरिष्ठ विश्लेषक (फंडामेंटल) वकारजावेद खान के अनुसार, ‘अगर अमेरिका में मुद्रास्फीति अनुमान से अधिक तेजी से घटती है तो वैश्विक फंडों में जोखिम लेने की क्षमता बढ़ सकती है। इससे ब्याज दरों में कटौती जल्दी हो सकती है जिससे वैश्विक जोखिम की धारणा में सुधार होगा। हालांकि, अगर यह स्थिर रहती है तो फेडरल रिजर्व कटौती में देरी कर सकता है या कटौती की मात्रा कम कर सकता है, जिससे वैश्विक तरलता प्रभावित होगी।’
उन्होंने कहा कि व्यापारिक टकराव बढ़ने की स्थिति में वैश्विक मांग में कमजोरी भारतीय निर्यातकों को नुकसान पहुंचाएगी। 2025 की पहली छमाही में निफ्टी 50 सूचकांक 8.07 फीसदी चढ़ा। सेंसेक्स में इस अवधि में 7.4 फीसदी की तेजी आई।
विश्लेषकों ने पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ने की आशंका के खिलाफ आगाह किया है और कहा है कि इससे तेल की कीमतों में वृद्धि हो सकती है, वैश्विक मुद्रास्फीति चक्र बाधित हो सकता है और शेयर बाजारों पर असर पड़ सकता है। जी चोक्कालिंगम ने कहा, ‘ऐसा परिदृश्य संभव नहीं लगता क्योंकि संघर्षों के दौरान तेल की कीमतों के झटकों का असर कम हो रहा है।’ विश्लेषकों का कहना है कि व्यापार टैरिफ से जुड़े घटनाक्रम पर नजर रखने की जरूरत होगी।
विश्लेषकों ने निवेशकों को किसी भी वैश्विक जोखिम से बचने के लिए घरेलू क्षेत्रों पर ध्यान देने और गुणवत्ता वाले शेयरों में इक्विटी निवेश बढ़ाने की सलाह दी है। ऐंजल वन के खान ने कहा, ‘2025 की दूसरी छमाही में फाइनैंशियल, चुनिंदा रियल एस्टेट, ऑटो सहायक कंपनियां और औद्योगिक जैसे क्षेत्र अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। निवेशक हेल्थकेयर जैसे रक्षात्मक क्षेत्रों में भी कुछ आवंटन रख सकते हैं।’
इस बीच जी चोक्कालिंगम का मानना है कि छोटे और मझोले आकार के शेयर बेहतर अवसर मुहैया करा सकते हैं क्योंकि कई शेयर अभी भी ऊंचे स्तर से 30-40 प्रतिशत नीचे हैं। मोतीलाल ओसवाल का निफ्टी दिसंबर 2025 के लिए सबसे कम लक्ष्य 26,200 (2.2 प्रतिशत ऊपर) है जबकि सेंट्रम ब्रोकिंग का सबसे अधिक लक्ष्य 27,100 (5.7 प्रतिशत ऊपर) है।