विश्लेषकों का कहना है कि 4 जून को लोक सभा के नतीजों में सरकार को कम जनादेश मिलने पर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSU Stocks) के शेयरों में आई गिरावट के बाद उन्हें निचले स्तरों पर खरीदा जाना चाहिए। उनका तर्क है कि पूंजीगत व्यय पर सरकार के ध्यान केंद्रित करने का मुख्य लाभ इन शेयरों को मिलता रहेगा।
रेलिगेयर ब्रोकिंग के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (शोध) अजीत मिश्र ने कहा ‘बुनियादी ढांचे, ऊर्जा और रक्षा परियोजनाओं में बड़े निवेश ने राजस्व प्रवाह में वृद्धि करते हुए पीएसयू के लिए ऑर्डर के प्रस्ताव बढ़ा दिए हैं। इसके अलावा पीएसयू ने स्थिर आय वृद्धि, निरंतर लाभांश भुगतान का प्रदर्शन किया है और महत्वपूर्ण क्षेत्रों में रणनीतिक महत्व कायम रखा है, जिससे निवेशकों का विश्वास मजबूत होता है।’
उन्होंने कहा कि निवेशकों को अक्षय ऊर्जा, बुनियादी ढांचे और रक्षा जैसे जोरदार वृद्धि की संभावनाओं वाले क्षेत्रों में बाजार की गिरावट का लाभ उठाना चाहिए।
पीएसयू के शेयरों में गिरावट और तेजी
4 जून को जब भारतीय जनता पार्टी (BJP) संसद में स्पष्ट बहुमत से चूक गई तो पीएसयू के शेयर दिन के कारोबार के दौरान 30 प्रतिशत तक लुढ़क गए। सेंसेक्स (Sensex) और निफ्टी (Nifty) सूचकांक लगभग 6-6 प्रतिशत गिरावट के साथ बंद हुआ। तब से निफ्टी पीएसई सूचकांक 12 प्रतिशत चढ़ चुका है।
कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, बीएचईएल (BHEL), ओएनजीसी, गेल, कोल इंडिया (Coal India) और एनएचपीसी जैसे शेयर छह सत्रों (12 जून तक) में 20 प्रतिशत तक चढ़ चुके हैं।
दूसरी तरफ प्रतिष्ठित 50-स्टॉक सूचकांक में करीब 6.6 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। विश्लेषकों का कहना है कि यह धारणा गलत है कि गठबंधन सरकार से पीएसयू की वृद्धि रुक जाती है, क्योंकि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है।
इनवैसेट के साझेदार और फंड प्रबंधक अनिरुद्ध गर्ग ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि गठबंधन सरकार पीएसयू क्षेत्र के प्रीमियम को ज्यादा प्रभावित करेगी क्योंकि पीएसयू शेयर तेजी की राह पर हैं। हालांकि कुछ क्षेत्रों में महंगे भावों को लेकर सावधानी बरतनी चाहिए, लेकिन कुल मिलाकर पीएसयू के खिलाफ दांव लगाने वाले इस तेजी में चोट खा सकते हैं।’
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि इस बात के आसार हैं कि राजग में भाजपा के सहयोगी पीएसयू से संबंधित क्षेत्रों और उनके स्वदेशीकरण के लिए बजट आवंटन का समर्थन करेंगे।
पिछले आंकड़ों से पता चलता है कि निफ्टी पीएसई सूचकांक ने आठ गठबंधन सरकारों में से चार के कार्यकाल में बेंचमार्क निफ्टी 50 से बेहतर प्रदर्शन किया है। 1996 और 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकारों के दौरान, 1996 में प्रधानमंत्री के रूप में एचडी देवेगौड़ा के कार्यकाल में और 2019 में नरेंद्र मोदी की दूसरी सरकार के दौरान ऐसा रहा।
विश्लेषकों का मानना है कि अगर पीएसयू में सुधार धीमे पड़ते हैं तो ऐसे शेयरों के प्रीमियम मूल्यांकन में सीमित बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। उन्होंने कहा कि निर्णय लेने में सुस्ती से परिचालन प्रभावित हो सकता है तथा निजीकरण और विनिवेश में देरी हो सकती है, जिससे पीएसयू का मूल्यांकन फिर से किया जा सकता है।
क्या हो निवेश की रणनीति?
निफ्टी पीएसई सूचकांक 13 गुना की प्राइस-टु-अर्निंग (पी/ई) मल्टिपल पर कारोबार कर रहा है, जबकि इसका पांच वर्षीय ट्रेलिंग टवेल्व मंथ (टीटीएम) पी/ई 9 गुना है।
गेल इंडिया, बीएचईएल, सेल, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स और बीईएल जैसे अधिकांश पीएसयू के शेयर अपने पांच वर्षीय पी/ई औसत से ऊपर कारोबार कर रहे हैं। विश्लेषकों ने कहा कि निवेशकों को शेयरों की आय, मूल्यांकन और ऑर्डर निष्पादन दक्षता के आधार पर शेयरों का चयन करना चाहिए।