हाल के महीनों में बीएसई 200 इंडेक्स में ऑटोमोबाइल (ऑटो) शेयरों ने सबसे बेहतर प्रदर्शन किया है। पिछले एक, दो और तीन महीनों में टॉप-15 में से आधे से ज्यादा शेयर इसी क्षेत्र के रहे हैं। इस उछाल के पीछे जीएसटी स्लैब में बदलाव, सामान्य मॉनसून, कम ब्याज दरें और टैक्स में छूट जैसे कारक रहे हैं। इस कारण मांग में इजाफा होने की संभावना है।
देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजूकी इंडिया (एमएसआईएल) इस मामले में सबसे आगे रही है। 2025 में अब तक उसका शेयर 47 प्रतिशत बढ़ा है जबकि निफ्टी ऑटो इंडेक्स में 19.6 प्रतिशत की तेजी आई। जीएसटी में कटौती से भी ज्यादा कीमतों में कमी करने के अलावा कंपनी ने विक्टोरिस एसयूवी जैसी नई पेशकशों से उम्मीदें लगा रखी हैं। इन वजहों से, हाल के कारोबारी सत्रों में यह शेयर लगातार अपने सर्वाधिक ऊंचे स्तरों पर पहुंचा है।
मारुति सुजूकी इंडिया और इस क्षेत्र, दोनों के लिए तत्काल बदलाव जीएसटी में कटौती से है। इससे गाड़ियों की कीमतें कम होंगी और बिक्री में सुधार होगा। यात्री वाहनों की मांग इसलिए धीमी हुई थी क्योंकि नियमों (भारत स्टेज-4 मानदंड, अनिवार्य बीमा) से जुड़ी लागत बढ़ने के कारण लोगों की खरीद क्षमता कम हो गई थी, जो प्रति व्यक्ति जीडीपी वृद्धि दर से भी अधिक थी। शुरू में मामूली वृद्धि की उम्मीद के विपरीत वित्त वर्ष 2026 में यात्री वाहनों की बिक्री में अब तक सालाना आधार पर 3 प्रतिशत की गिरावट आई है। इलारा कैपिटल के विश्लेषक जय काले के अनुसार जीएसटी में कटौती के बाद यात्री वाहनों की कीमतें 8 प्रतिशत तक घटने की उम्मीद है जिससे इनकी कीमतें सस्ती होकर महामारी से पहले जैसे स्तर तक आ जाएंगी।
मारुति सुजूकी ने अपने वाहनों की कीमतों में 2 से 21 फीसदी के दायरे में कटौती की घोषणा की है। एंट्री-लेवल मॉडल जैसे ऑल्टो, एस-प्रेसो और सेलेरियो की कीमतों में 13-22 प्रतिशत तक की सबसे ज्यादा कटौती हुई है जबकि ब्रेजा, ग्रैंड विटारा और इनविक्टो जैसी बड़ी गाड़ियों की कीमतें 2-8 प्रतिशत कम हुई हैं। नोमूरा रिसर्च का अनुमान है कि जीएसटी में कटौती के बाद कीमतें 6.5 प्रतिशत कम होनी चाहिए थीं, लेकिन एमएसअईएल ने और भी ज्यादा कटौती की है और उसने औसतन 7.5 प्रतिशत की कीमत घटाई है।
हालांकि इस कदम से अल्पावधि में मार्जिन पर असर पड़ सकता है (लगभग 100 आधार अंक तक), लेकिन नोमूरा के विश्लेषकों कपिल सिंह और सिद्धार्थ बेरा का मानना है कि अगर मांग बढ़ती है तो इससे उसकी बाजार भागीदारी बढ़ेगी और परिचालन दक्षता में सुधार होगा। हालांकि एंट्री-लेवल कारों में लगातार सुधार के लिए अर्थव्यवस्था में व्यापक सुधार और संबंधित ग्राहक वर्ग की आय में वृद्धि जरूरी है। यात्री कारें मारुति की कुल बिक्री का बड़ा हिस्सा है और उसकी 65.5 प्रतिशत बाजार भागीदारी है।
प्रतिस्पर्धी कीमत पर विक्टोरिस का लॉन्च एक और अच्छी बात है। जेएम फाइनैंशियल के विश्लेषक सक्षम कौशल का मानना है कि यह मॉडल मिड-साइज एसयूवी सेगमेंट में अपनी जगह बना सकता है। कंपनी का नया बैटरी प्लांट हाइब्रिड पेशकश की राह आसान करेगा और मार्जिन में भी मदद करेगा। निर्यात हब के रूप में भारत की बढ़ती भूमिका से मारुति सुजूकी इंडिया की वैश्विक महत्त्वाकांक्षाओं को मजबूती मिल सकती है। जेएम फाइनैंशियल ने वित्त वर्ष 2026 और वित्त वर्ष 2027 के लिए अपने बिक्री अनुमान को 4-9 प्रतिशत और मार्जिन अनुमान को 60-70 आधार तक बढ़ा दिया है।
मोतीलाल ओसवाल रिसर्च के विश्लेषक अनिकेत म्हात्रे को उम्मीद है कि विक्टोरिस मारुति सुजूकी इंडिया को एसयूवी सेगमेंट में अपनी बाजार भागीदारी वापस पाने में मदद करेगी। हालांकि ग्रैंड विटारा से कुछ बिक्री प्रभावित हो सकती है। लेकिन ब्रोकरेज फर्म को उम्मीद है कि कुल एसयूवी बिक्री और बाजार भागीदारी में बढ़ोतरी होगी।
मोतीलाल ओसवाल को भी विक्टोरिस की मदद से निर्यात बाजारों में ईविटारा की लोकप्रियता बढ़ने और स्मॉल-कार सेगमेंट में मजबूती आने से यात्री वाहनों की बिक्री में सुधार आने की उम्मीद है। उसे मारुति की बिक्री वित्त वर्ष 2026 में 5 फीसदी और 2027 में 11 फीसदी बढ़ने का अनुमान है।