शेयर बाजार

क्या शेयर बाजार में निवेश का सही समय? Jefferies के Chris Wood ने बताया मार्केट का मौजूदा मिज़ाज

ट्रंप के टैरिफ लागू करने को 90 दिनों के लिए टालने के बाद अप्रैल की गिरावट से वैश्विक बाजारों में जोरदार उछाल आया है। सेंसेक्स अप्रैल 2025 के निचले स्तर से करीब 10% उछला है।

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पुनीत वाधवा   
Last Updated- May 02, 2025 | 12:49 PM IST

Stock Market: अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के टैरिफ पर पूरी तरह यू-टर्न लेने से वैश्विक बाजारों और विशेष रूप से चीन और अमेरिका के लिए सबसे बड़ा पॉजिटिव कैटेलिस्ट बन सकता है। जेफरीज (Jefferies) में ग्लोबल हेड ऑफ इक्विटी स्ट्रैटेजी क्रिस्टोफर वुड ने अपनी हालिया निवेशक नोट GREED & fear में यह कहा है।

वहीं, उन्होंने चेतावनी दी कि यदि अमेरिका चीन की लिस्टेड ADR कंपनियों को डीलिस्ट करता है, तो यह चीन के इक्विटी बाजारों के लिए सबसे बड़ा जोखिम होगा। हालांकि, ऐसी संभावना बहुत कम है। लेकिन वुड ने इसे पूरी तरह खारिज नहीं किया है। उनका मानना है कि अगर ऐसा होता है, तो निवेशक चीन से बाहर निकलने की कोशिश करेंगे और बाकी दुनिया में निवेश करेंगे। इससे वैश्विक बाजारों में खरीदारी का बड़ा मौका पैदा हो सकता है।

अन्य बाजारों के मुकाबले अमेरिका का कमजोर प्रदर्शन कमजोर रहेगा

वुड ने बताया कि अमेरिका के स्टॉक्स अभी 19.2 गुना फॉरवर्ड अर्निंग्स पर ट्रेड कर रहे हैं। ऐसे में ग्लोबल इन्वेस्टर्स को अमेरिका की तुलना में यूरोप, चीन और भारत जैसे बाजारों में अपनी पोजिशन बढ़ानी चाहिए। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि ट्रंप के टैरिफ घटाने, टैक्स कट्स और डिरेग्युलेशन जैसे कदमों से पॉजिटिव मोमेंटम बन सकता है। लेकिन फिर भी उनका बेस केस यही है कि कमजोर डॉलर और बेरिश बॉन्ड मार्केट के चलते अमेरिका अन्य बाजारों के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन करेगा।

एशियाई बाजारों में चीन की ओर से कोई बड़ा स्टिम्युलस ना आने से फिलहाल वहां की इक्विटी मार्केट में तेजी का कोई निकटवर्ती कारण नहीं है। फिर भी वुड वैल्यूएशन और डाइवर्सिफिकेशन के नजरिए से चीनी बाजार को लेकर आश्वस्त हैं क्योंकि वह वॉल स्ट्रीट-संबंधित बाजारों से काफी हद तक असंबद्ध है।

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जहां तक भारत की बात है, ट्रंप के टैरिफ लागू करने को 90 दिनों के लिए टालने के बाद अप्रैल की गिरावट से वैश्विक बाजारों में जोरदार उछाल आया है। घरेलू स्तर पर सेंसेक्स अप्रैल 2025 के निचले स्तर से करीब 10% उछल चुका है और 3.7% ऊपर बंद हुआ। वहीं निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स ने 5% की बढ़त दर्ज कर फ्रंटलाइन इंडेक्स (सेंसेक्स और निफ्टी 50) से बेहतर प्रदर्शन किया। आगे चलकर, डॉलर के कमजोर होने से उभरते बाजारों (EMs), खासकर भारत के लिए निवेशकों की जोखिम लेने के ट्रेंड को मजबूती मिल सकती है।

इस साल 22,000 से 26,000 के बीच रह सकता है निफ्टी

कोटक अल्टरनेट एसेट मैनेजर्स के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजिस्ट जितेन्द्र गोहिल के मुताबिक, भारतीय बाजारों के लिए पॉजिटिव फैक्टर्स में RBI की नरम मौद्रिक नीति, अमेरिका के साथ व्यापार समझौता, घटती तेल कीमतें, कर्ज वितरण में सुधार और आर्थिक गतिविधियों में तेजी शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि निफ्टी इस साल 22,000 से 26,000 के दायरे में बना रह सकता है। हालांकि, भू-राजनीतिक तनाव और वैश्विक आर्थिक सुस्ती जैसे निगेटिव फैक्टर्स को चीन और यूरोप की फिस्कल पॉलिसी और सेंट्रल बैंकों के स्टिम्युलस उपायों से कुछ हद तक संतुलित किया जा सकता है।

First Published : May 2, 2025 | 12:42 PM IST