प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
दिल्ली हवाई अड्डे के टर्मिनल-3 के पास हवाई पट्टी पर काम करने के दौरान गिरने से एक मजदूर की मौत हो गई। यह हादसा इसी महीने की पांच तारीख को हुआ है। मगर सूत्रों ने शुक्रवार को बिज़नेस स्टैंडर्ड को यह जानकारी दी है।
पिछले साल 28 जून को टर्मिनल-1 पर छत गिरने की घटना के करीब एक साल बाद यह हादसा हुआ। उस वक्त 45 वर्षीय एक कैब ड्राइवर की मौत हो गई थी और आठ अन्य लोग घायल हो गए थे। बाद में विशेषज्ञों की एक समिति ने उस हादसे के संभावित कारणों में टर्मिनल की डिजाइन, कारीगरी और रखरखाव में खामियां होने का हवाला दिया था। सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि दिल्ली पुलिस ने 5 सितंबर के हादसे के बाद प्राथमिकी दर्ज की है। उल्लेखनीय है कि दिल्ली हवाई अड्डे का परिचालन जीएमआर समूह की दिल्ली इंटरनैशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डायल) करती है और यह भारत का सबसे व्यस्त हवाई अड्डा है।
मामले से संबंधित मुआवजे, जवाबदेही और सुरक्षा उपायों के बारे में पूछे जाने पर डायल के एक प्रवक्ता ने कहा, ’35 वर्षीय मजदूर सुखदेव को डायल द्वारा नियुक्त एक तीसरे पक्ष के ठेकेदार ने हवाई पट्टी पर निर्माण कार्यों के लिए लगाया था। शुरुआती जांच में पता चला है कि 5 सितंबर, 2025 को उसने निर्धारित सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया था और ऊंचाई से गिर गया। हादसे के तुरंत बाद उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई।’
प्रवक्ता ने कहा, ‘ठेकेदार ने पुलिस में मामला दर्ज करा दिया है और फिलहाल मामले की जांच चल रही है। इस कठिन घड़ी में शोक संतप्त परिवार के प्रति हमारी गहरी संवेदना है। हमें पता चला है कि ठेकेदार ने पीड़ित परिजन को आर्थिक सहायता उपलब्ध करा दी है और हम भी जरूरी मदद सुनिश्चित करने के वास्ते परिवार के संपर्क में हैं।’
इस साल की शुरुआत में डायल ने छत गिरने की घटना की जांच के लिए गठित समिति की रिपोर्ट को गलत बता दिया था और कहा था कि यह अनुभव आधारित आंकड़ों और संपूर्ण दस्तावेज के बजाय संभावनाओं, परिकल्पनाओं और अनुमानों पर आधारित थी। मगर ऑपरेटर ने स्वीकार किया कि उसने जांच के दौरान सभी को सभी जरूरी दस्तावेज भी उपलब्ध नहीं कराए थे। डायल ने छत गिरने के लिए बारिश को ही पूरी तरह जिम्मेदार ठहराया था, जो साल 1936 के बाद सबसे ज्यादा हुई भी थी। इसके कारण ही छत की भार वहन क्षमता से अधिक पानी जमा हो गया था।