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भारतीय सरकारी रिफाइनरी कुछ महीनों में US से शॉर्ट-टर्म बेसिस पर LPG के चार और कार्गो खरीदने के लिए दूसरा टेंडर जारी करेंगे। दो शीर्ष रिफाइनिंग सूत्रों के मुताबिक, यह खरीद फ्री ऑन-बोर्ड (FOB) आधार पर होगी, जिससे भारतीय रिफाइनर पहली बार लंबी दूरी के LPG ट्रांसपोर्टेशन के लिए अपने चार्टर लगा सकेंगे। इसका मकसद परिवहन लागत को कम करना है। सूत्रों ने कहा कि भारतीय रिफाइनर अगले साल की शुरुआत में डिलीवरी के लिए US LPG की खरीद के लिए कुछ स्पॉट टेंडर भी जारी करेंगे। डिटेल्स अभी उपलब्ध नहीं हैं।
Kpler के शिप-ट्रैकिंग आंकड़ों के अनुसार, भारत की अमेरिका से स्पॉट LPG खरीद जनवरी–नवंबर अवधि में 1.42 मिलियन टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। तुलना करें तो 2024 में यह केवल 0.1 मिलियन टन और 2023 में 0.4 मिलियन टन थी। भारत अपनी LPG खपत का 60% से अधिक आयात करता है, जिसमें अधिकांश आपूर्ति खाड़ी देशों से होती है।
एक सरकारी रिफाइनर के सीनियर ट्रेडर ने बताया कि इस साल की शुरुआत में खाड़ी देशों से LPG के कॉन्ट्रैक्ट मूल्य 600 डॉलर प्रति टन से ऊपर स्थिर थे, जबकि कच्चे तेल की कीमतों में तेज गिरावट आ चुकी थी।
लेकिन जब भारत ने पहली बार किसी गैर-खाड़ी देश से टर्म कॉन्ट्रैक्ट के तहत LPG खरीदने का फैसला किया, तो सऊदी अरब ने रेट कम करना शुरू कर दिया। इस साल भारतीय सरकारी ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने तीन ट्रेडरों के साथ समझौता किया है, जिसके अंतर्गत 2026 में 2 मिलियन टन तक अमेरिकी LPG टर्म कॉन्ट्रैक्ट के तहत खरीदी जाएगी।
अगर भारत मौजूदा स्तर पर स्पॉट खरीद जारी रखता है और टर्म कॉन्ट्रैक्ट को शामिल कर लें, तो 2026 में अमेरिका से होने वाला LPG आयात लगभग 2 अरब डॉलर का हो सकता है, जो 2024 के 60 मिलियन डॉलर से कई गुना अधिक है। यह बढ़ोतरी भारत के अमेरिका के साथ ट्रेड सरप्लस को कम कर सकती है।
सऊदी अरामको ने दिसंबर महीने के लिए प्रोपेन की कीमत $495 प्रति टन और ब्यूटेन की कीमत $485 प्रति टन कर दी है। अरामको की LPG कीमतें मिडिल ईस्ट के अन्य सप्लायर्स के लिए बेंचमार्क मानी जाती हैं। कंपनी के दस्तावेज के अनुसार, प्रोपेन नवंबर की तुलना में $20/टन महंगा हुआ है और ब्यूटेन $25/टन बढ़ा है। हालांकि, ये दरें अब भी जुलाई में वसूले गए $575/टन स्तर से काफी नीचे हैं, जब भारतीय रिफाइनरों ने अमेरिकी LPG के लिए टेंडर जारी किया था। नवंबर में अरामको ने प्रोपेन-ब्यूटेन की कीमतें पिछले 27 महीनों के निचले स्तर (अगस्त 2023 के बाद) यानी $475 और $460 प्रति टन तक घटा दी थीं।
सूत्रों के अनुसार, इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम अपने स्वयं के टैंकर चार्टर कर अमेरिकी LPG की ढुलाई करके लॉजिस्टिक्स लागत में बड़ी कटौती कर सकेंगे। अमेरिका से प्रोपेन-ब्यूटेन (जो मिलकर LPG बनाते हैं) की समुद्री ढुलाई की लागत खाड़ी देशों से आने वाली सप्लाई की तुलना में तीन गुना है। रिफाइनर भविष्य में US से आने वाली LPG के FOB (Free On Board) आधार पर टर्म कॉन्ट्रैक्ट करने की योजना बना रहे हैं।
सूत्रों ने कहा, “अपने चार्टर इस्तेमाल करने से अमेरिकी LPG और UAE/सऊदी अरब से आने वाली LPG की लागत में समानता लाई जा सकेगी।” भारत ने इस वर्ष 2026 के लिए 48 कार्गो (प्रोपेन + ब्यूटेन) खरीदने का सौदा किया है। जनवरी से हर महीने 2–2 कार्गो (प्रोपेन और ब्यूटेन) भारतीय रिफाइनरों को मिलेंगे। इंडियन ऑयल को 24 कार्गो मिलेंगे। शेष 24 कार्गो BPCL और HPCL को समान रूप से बाँटे जाएंगे
US की P66 कंपनी को 24 कार्गो का कॉन्ट्रैक्ट मिला है, जबकि Chevron और Total को 12–12 कार्गो आपूर्ति के लिए चुना गया है। कम से कम 75% LPG अमेरिका से आएगी, और शेष अन्य देशों से आने की संभावना है।
भारत ने 2024 में 21.5 मिलियन टन LPG और 2025 के पहले 11 महीनों में 21.2 मिलियन टन LPG आयात की। लगभग सारी सप्लाई UAE, क़तर, कुवैत और सऊदी अरब से आई। सूत्रों के अनुसार, 2026 में अमेरिकी LPG भारत के लिए कम से कम 10% महंगी पड़ सकती है, क्योंकि US सप्लाई Mont Belvieu (OPIS) कीमतों से जुड़ी है, US से फ्रेट $130–140 प्रति टन है, जो खाड़ी देशों से आने वाले फ्रेट से कहीं ज्यादा है। हालांकि, US LPG आमतौर पर सऊदी अरामको की कीमतों से $100/टन सस्ती होती है। लेकिन हाल के महीनों में Middle East की कीमतों में तेज कटौती ने इस उच्च फ्रेट लागत की भरपाई कर दी है।
सूत्रों का कहना है कि भारत के US LPG टर्म टेंडर के बाद सऊदी अरामको ने कीमतें तेजी से घटाईं, जो प्रतिस्पर्धा बढ़ने का संकेत है। सरकारी रिफाइनर के एक सीनियर ट्रेडर ने कहा कि हम अमेरिकी LPG के लिए ज्यादा भुगतान करते हैं, लेकिन Middle East से आने वाली 90% सप्लाई की कीमतें अब काफी कम हो गई हैं।