इक्विरस वेल्थ (Equirus Wealth) में प्रबंध निदेशक (MD) अजीत देशमुख ने हर्शिता सिंह के साथ बातचीत में कहा कि दुनियाभर के इक्विटी बाजारों में ऊंची ब्याज दरों, मुद्रास्फीति, और मंदी को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच कैलेंडर वर्ष 2023 में अब तक उतार-चढ़ाव बना हुआ है। उन्होंने बताया कि जहां तकनीकी मजबूत निर्णय लेने में मदद करेगी, वहीं इससे मानवीय धारणा में बदलाव नहीं लाया जा सकेगा। पेश हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:
विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों – इक्विटी, डेट, गोल्ड, रियल एस्टेट आदि के लिए कैलेंडर वर्ष 2023 के शेष समय के बारे में आपका क्या आकलन है?
इक्विटी का प्रदर्शन पिछले 18 महीनों से एक सीमित दायरे में रहा है और कोविड-19 के निचले स्तरों से आई तेजी के बाद इसमें समेकन दिख रहा है। खासकर लार्ज-कैप के लिए मूल्यांकन भारतीय इक्विटी के लिए दीर्घावधि औसत के मुकाबले कुछ ऊपर है। हम कैलेंडर वर्ष 2023 के लिए शेयर-केंद्रित धारणा में तेजी आने की संभावना देख रहे हैं। दुनियाभर और स्थानीय स्तर पर ब्याज दरें चरम पर पहुंच चुकी हैं। खासकर अमेरिका में तेजी अप्रत्याशित थी, लेकिन काफी हद तक ऊंची मुद्रास्फीति का असर पड़ा है। इस सब को देखते हुए मध्यावधि-दीर्घावधि डेट निवेशकों को इन स्तरों पर सतर्कता के साथ पूंजी आवंटन करना चाहिए। स्वर्ण/रियल एस्टेट साइकल दीर्घावधि के हैं और इन परिसंपत्ति वर्गों में धैर्यपूर्वक पूंजी निवेश करना उचित होगा। निवेशकों को महत्वपूर्ण परिसंपत्ति आवंटन (एसेट अलोकेशन ) पर ध्यान देना चाहिए न कि प्रतिफल (रिटर्न) के पीछे भागना चाहिए और निवेश के अनुमानों से बचना चाहिए। प्रतिफल का मुख्य वाहक परिसंपत्ति आवंटन है न कि बाजार का समय।
क्या आपके अमीर निवेशक अगले कुछ महीनों के दौरान तेजी से निवेश करने को इच्छुक हैं? कौन से परिसंपत्ति वर्गों में ज्यादा निवेश की संभावना है?
हमने वैकल्पिक निवेश क्षेत्र, खासकर उद्यम पूंजी, निजी इक्विटी और क्रेडिट तथा मिड-मार्केट ग्रोथ फंडों में दिलचस्पी दिखाई है। इन फंडों के लिए निवेश सीमा सामान्य तौर पर 7-10 साल की है और इनमें जोखिम सहन करने की क्षमता और समय-सीमा से उन्हें उसी के हिसाब से पूंजी आवंटन की अनुमति मिलेगी। हमारे बाजार विकसित बाजारों की राह पर अमल कर रहे हैं, जहां निजी इक्विटी या वैकल्पिक निवेश को पसंद किया जा रहा है।
क्या डिस्काउंट ब्रोकिंग हाउसों और पारंपरिक ब्रोकरों द्वारा फिर से निवेशकों को समान सॉल्युशनों की पेशकश किए जाने की वजह से अब संपत्ति प्रबंधन चुनौतीपूर्ण हो गया है?
संपत्ति का पूरी तरह से प्रबंधन करना कठिन हो गया है। जहां तकनीक से भरोसेमंद निर्णय लने में मदद मिली है, वहीं इससे मानवीय धारणा में बदलाव नहीं लाया जा सकता। परिसंपत्ति परियोजनाओं की जटिल बढ़ी है और नियमन भी अब ज्यादा सख्त हो गया है, इसलिए एक उपयुक्त एवं सक्षम प्लेटफॉर्म जरूरी होगा।
Also read: बाजार हलचल: 21,000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रहा अदाणी ग्रुप, चढ़ सकते हैं शेयर
क्या आप मानते हैं कि भारतीय निवेशकों के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निवेध विविधता मौजूदा हालात में उपयुक्त है? मध्यावधि-दीर्घावधि नजरिये से कौन से बाजार आकर्षक दिख रहे हैं?
हमने पोर्टफोलियो में अंतरराष्ट्रीय विविधता पर जोर दिया है। फिर से दुनियाभर के अच्छे व्यवसायों में निवेश जरूरी हो गया है। जहां हमारे बाजारों ने दीर्घावधि के लिहाज से अच्छा प्रदर्शन किया है, वहीं हमने अंतरराट्रीय बाजारों में भी अच्छी तेजी दर्ज की है। खासकर अमेरिका समेत विकसित बाजारों में पिछले 18 महीनों में बड़ी गिरावट आई है। निवेशक अंतरराष्ट्रीय भारांक का देख सकते हैं और उसी के आधार पर निर्णय ले सकते हैं। अमेरिकी इक्विटी में 10-15 प्रतिशत आवंटन आपकी रणनीति में बदलाव ला सकता है।
Also read: Market Cap: बीते सप्ताह सेंसेक्स की टॉप 10 में से आठ कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन बढ़ा
2022 के मिश्रित प्रदर्शन के बाद, इस साल IPO और विलय-अधिग्रहण के लिए आगामी राह कैसी है?
मंदी को लेकर मौजूदा वैश्विक परिदृश्य को ध्यान में रखकर दृष्टिकोण नरम बना रह सकता है। प्राथमिक बाजार और विलय-अधिग्रहण सौदों की रफ्तार अनिश्चितता या बाजार में उतार-चढ़ाव के समय धीमी रह सकती है। हालांकि इन चुनौतीपूर्ण हालात से खरीदारों को बेहतर रिटर्न हासिल करने के अवसर पैदा होंगे। जैसा कि हम कह चुके हैं, अल्पावधि वृद्धि के अवसरों को ध्यान में रखते हुए भारत मजबूत राह पर बढ़ रहा है और उसने विलय एवं अधिग्रहण सौदों में शानदार तेजी दर्ज की है, क्योंकि उसे नकदी के रिकॉर्ड स्तर और परिसंपत्तियों की उपलब्धता से बड़ी मदद मिली है।