भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (FSR) में मझोले और छोटे आकार के शेयरों में तेजी और छोटी फर्मों में व्यक्तिगत निवेशकों की हिस्सेदारी बढ़ने और इक्विटी डेरिवेटिव (futures & options) ट्रेडिंग को लेकर चिंता जताई है।
रिजर्व बैंक ने कहा कि इन तीनों गतिविधियों पर नजर बनाए रखने की जरूरत है। मझोले, छोटे और माइक्रोकैप सेगमेंट में इस साल मुनाफा बेंचमार्क निफ्टी में हुई बढ़त की तुलना में अधिक रहा है।
रिजर्व बैंक ने कहा है, ‘अप्रैल-अक्टूबर 2023 के दौरान निफ्टी माइक्रोकैप इंडेक्स पर रिटर्न निफ्टी50 की तुलना में 5 गुना से ज्यादा रहा है। 3 साल के दौरान निफ्टी 50 और अन्य सूचकांकों के बीच प्रदर्शन का अंतर और भी तेज है।’
बड़ी कंपनियों की तुलना में ज्यादा लाभ के अलावा करीब 69 प्रतिशत मझोली और 70 प्रतिशत छोटी कंपनियों के शेयरों का कारोबार अपने संबंधित मानक सूचकांकों की तुलना में ज्यादा प्राइस टु अर्निंग (पीई) अनुपात पर कारोबार कर रहे थे। हाल के वर्षों में व्यक्तिगत निवेशकों की शेयर बाजार, खासकर छोटी फर्मों के शेयरों में हिस्सेदारी तेजी से बढ़ी है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘संस्थागत निवेशकों के विपरीत व्यक्तिगत निवेशकों की निफ्टी 500 के बाहर की सूचीबद्ध कंपनियों में निवेश तेजी से बढ़ कर रहा है। सितंबर 2023 में इन्होंने इन फर्मों के फ्लोटिंग स्टॉक में 48 प्रतिशत खरीदारी की थी।’
मझोले और छोटे शेयरों की योजनाओं में भी खुदरा निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ी और छोटे व मझोले शेयरों के म्युचुअल फंडों में तेजी से निवेश आया है। इसके विपरीत बड़े शेयरों के म्युचुअल फंडों में से निकासी देखी गई।
रिपोर्ट में डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग में व्यक्तिगत निवेशकों की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ने को लेकर भी चिंता जताई गई है। 2018-19 के 69 लाख की तुलना में डेरिवेटिव्स कारोबारियों की हिस्सेदारी इस साल अक्टूबर 2023 तक करीब 6 गुना बढ़ी है।