दुनिया भर के उभरते बाजारों में निवेश करने वालों का भारत से मोहभंग हो रहा है। निवेश की आवक के नए आंकड़े बताते हैं कि पिछले कुछ महीनों में भारतीय शेयरों में निवेश सबसे ज्यादा घटाया गया है। नामूरा ने उभरते बाजारों के 45 बड़े फंडों की पड़ताल की तो पता चला कि जुलाई में भारत में निवेश 2024 के जुलाई महीने के मुकाबले 110 आधार अंक कम हो गया। इस दौरान 41 फंडों ने पहले से कम निवेश किया इससे उभरते बाजारों के पोर्टफोलियो में भारत सबसे अधिक अंडरवेट बाजार बन गया, जहां बेंचमार्क एमएससीआई ईएम इंडेक्स की तुलना में 2.9 फीसदी कमनिवेश रहा।
एशिया में निवेशकों ने रुख में जो बदलाव किया है उसका सबसे बड़ा फायदा हॉन्गकॉन्ग, चीन और दक्षिण एशिया के मिला है। हॉन्गकॉन्ग में उन निवेशकों का आवंटन 80 आधार अंक, चीन में 70 आधार अंक और कोरिया में 40 आधार अंक बढ़ा है। नामूरा के नमूने में शामिल 45 में से 37 फंडों ने अपना निवेश हॉन्गकॉन्ग और चीन में बढ़ाया है तथा 29 फंडों ने दक्षिण कोरिया में बढ़ाया है। यह बदलाव इस लिहाज से अहम है कि भारत इस समय दूसरे उभरते बाजारों के मुकाबले महंगे मूल्यांकन पर कारोबार कर रहा है।
जून के अंत तक 60 फीसदी फंड के लिए भारत अंडरवेट था, जो आंकड़ा जुलाई में बढ़कर 71 फीसदी हो गया। इसके विपरीत हॉन्गकॉन्ग और चीन को अंडरवेट रखने वाले फंडों का आंकड़ा जून के 71 फीसदी से एकदम घटकर जुलाई के अंत में 53 फीसदी रह गया। इससे पता चलता है कि चीन के शेयरों में मंदी की धारणा कम होती जा रही है। दक्षिण कोरिया तो इस दौरान ओवरवेट हो गया और अब उभरते बाजारों में निवेश करने वाले 60 फीसदी फंडों ने वहां अधिक निवेश (ओवरवेट) कर दिया है।
नामूरा की रिपोर्ट के अनुसार जुलाई फंड मैनेजरों के लिए मुश्किल महीना रहा, जिसमें उभरते बाजारों में रकम लगाने वाले 45 में से केवल 7 फंड एमएससीआई इमर्जिंग मार्केट्स इंडेक्स से बेहतर प्रदर्शन कर पाए। लेकिन अगस्त के शुरुआती रुझानों से लगता है कि प्रदर्शन बेहतर हुआ है और 35 फंडों ने इस महीने में अभी तक बेहतर प्रदर्शन किया है।
रकम की आवक के ये आंकड़े बैंक ऑफ अमेरिका के हालिया फंड मैनेजर सर्वेक्षण से भी मेल खाते हैं। पिछले हफ्ते हुए इस सर्वेक्षण में पता चला कि निवेशकों की पसंद की फेहरिस्त में अब भारत सबसे नीचे चला गया है, जबकि मई तक यह सबसे ऊपर था।
भारत के बारे में फंडों की धारणा बदलने की बड़ी वजह शुल्क बढ़ाने की अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की घोषणा को माना जा रहा है। ट्रंप ने भारतीय उत्पादों के अमेरिका में आयात पर 50 फीसदी शुल्क लगाने की घोषणा की है। शुल्क इसलिए लगाया है क्योंकि भारत ने रूस से तेल आयात बंद नहीं किया है। निवेशकों को डर है कि इससे कंपनियों के मुनाफे पर चोट होगी और पहले ही ऊंचा चल रहा बाजार मूल्यांकन परेशान करेगा।